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IPS अमिताभ ठाकुर ने घर के बाहर नेम प्लेट पर जबरिया रिटायर्ड लिखाया

गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश कैडर के आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर, राकेश शंकर व राजेश कृष्णा को उनका सेवाकाल पूरा होने से पूर्व ही अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी. गृह मंत्रालय ने तीनों आइपीएस अधिकारियों को लोकहित में सेवाकाल पूरा होने से पहले अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने की बात कही थी. अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने तीनों अधिकारियों के विरुद्ध किए गए निर्णय का आदेश जारी किया था

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Published : Mar 25, 2021, 3:30 PM IST

अमिताभ ठाकुर
अमिताभ ठाकुर

लखनऊ : जबरन रिटायर किए गए आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने अपने घर के बाहर लगे नेम प्लेट पर ips अमिताभ ठाकुर (जबरन रिटायर्ड) लिखवा दिया है. उन्होंने ट्वीट कर इसे सार्वजनिक किया. इससे पूर्व उन्होंने बीते बुधवार को सरकार को लिखे पत्र के कुछ अंश इंटरनेट मीडिया पर सार्वजनिक किए थे. उन्होंने यह पत्र चार दिसंबर, 2019 को लिखा था. अमिताभ ठाकुर ने ट्वीट कर कहा कि जबरिया सेवानिवृति के संबंध में सरकार को लिखा उनका पत्र आज अत्यंत प्रासंगिक दिखता है. IPS अमिताभ ठाकुर सरकार के फैसले को चुनौती देने के लिए कोर्ट जाने का मन बना रहे हैं.

यह भी पढ़ें : लखनऊ के इस निजी स्कूल में बेची जा रही यूनिफॉर्म, वीडियो वायरल

अपर मुख्य सचिव गृह ने जारी किए थे आदेश

बता दें कि गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश कैडर के आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर, राकेश शंकर व राजेश कृष्णा को उनका सेवाकाल पूरा होने से पूर्व ही अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी. गृह मंत्रालय ने तीनों आइपीएस अधिकारियों को लोकहित में सेवाकाल पूरा होने से पहले अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने की बात कही थी. अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने तीनों अधिकारियों के विरुद्ध किए गए निर्णय का आदेश जारी किया था. यह पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश में एक साथ तीन आइपीएस अधिकारियों के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई की गई है.

अनोखे अंदाज में कर रहे विरोध
आईपीएस अमिताभ ठाकुर लगातार सरकार के फैसले के विरोध में अनोखा अंदाज अपनाए हुए हैं. पहले दिन उन्होंने पदभार छोड़ने के साथ अपने ड्राइवर को मुक्त करने की जानकारी ट्विटर पर दी. फिर अगले दिन उन्होंने पूर्व में सरकार को लिखे गए पत्र को सार्वजनिक किया है.
पत्र में उन्होंने कहा था कि उन्हें विश्वस्त सूत्रों से बताया गया कि उनके कथित रूप से असुविधाजनक तथा अप्रिय होने, 'मुकदमेबाज' होने, आपराधिक वाद दायर करने अथवा प्रशासनिक कार्रवाई करने की मांग करने के कारण उन्हें अत्यंत उच्चस्तरीय दवाब में अनिवार्य सेवानिवृति देकर नौकरी से अलग करने के उच्चस्तरीय मौखिक निर्देश हुए हैं जिसका शीघ्र क्रियान्वयन होगा.

यह भी पढ़ें : अजीत सिंह हत्याकांड मामले में बंधन सिंह से पुलिस ने की पूछताछ, मिली अहम जानकारियां

'फर्जी ढंग से शुरू की गई विभागीय कार्रवाई'

यदि ऐसा हुआ तो यह घोर अन्यायपरक और मनमाना होगा. इसका उद्देश्य प्रशासनिक व्यवस्था में अवांछित कर्मी को अलग करना नहीं बल्कि इस प्रावधान का गलत प्रयोग करते हुए व्यवस्था में ताकतवर स्थानों पर बैठे तमाम व्यक्तियों के लिए असुविधाजनक तथा अप्रिय व्यक्ति को व्यवस्था से अलग करना होगा जो अनुचित उद्देश्य से संचालित होगा. अमिताभ ने कहा था कि वे किसी भी प्रकार से अवांछित कर्मी नहीं हैं बल्कि यह संभव है कि वे व्यवस्था में बैठे ताकतवर लोगों के लिए असुविधाजनक तथा अप्रिय हों. उन्होंने अपने ऊपर फर्जी ढंग से विभागीय कार्रवाई शुरू करने और उन्हें लम्बे समय तक जानबूझ कर लंबित रखे जाने की बात भी कही थी.

घर के बाहर नेम प्लेट पर लिखाया "जबरन रिटायर्ड"
जबरन रिटायर किए गए आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने अपने घर के बाहर लगे नेम प्लेट पर ips अमिताभ ठाकुर (जबरन रिटायर्ड) लिखा दिया है. उन्होंने ट्वीट कर इसे सार्वजनिक किया है. आईपीएस अमिताभ के ट्वीट से सरकार असहज हो रही है. इस संबंध में कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. हालांकि, अमिताभ ठाकुर सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का मन बना रहे हैं.

लखनऊ : जबरन रिटायर किए गए आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने अपने घर के बाहर लगे नेम प्लेट पर ips अमिताभ ठाकुर (जबरन रिटायर्ड) लिखवा दिया है. उन्होंने ट्वीट कर इसे सार्वजनिक किया. इससे पूर्व उन्होंने बीते बुधवार को सरकार को लिखे पत्र के कुछ अंश इंटरनेट मीडिया पर सार्वजनिक किए थे. उन्होंने यह पत्र चार दिसंबर, 2019 को लिखा था. अमिताभ ठाकुर ने ट्वीट कर कहा कि जबरिया सेवानिवृति के संबंध में सरकार को लिखा उनका पत्र आज अत्यंत प्रासंगिक दिखता है. IPS अमिताभ ठाकुर सरकार के फैसले को चुनौती देने के लिए कोर्ट जाने का मन बना रहे हैं.

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अपर मुख्य सचिव गृह ने जारी किए थे आदेश

बता दें कि गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश कैडर के आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर, राकेश शंकर व राजेश कृष्णा को उनका सेवाकाल पूरा होने से पूर्व ही अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी. गृह मंत्रालय ने तीनों आइपीएस अधिकारियों को लोकहित में सेवाकाल पूरा होने से पहले अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने की बात कही थी. अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने तीनों अधिकारियों के विरुद्ध किए गए निर्णय का आदेश जारी किया था. यह पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश में एक साथ तीन आइपीएस अधिकारियों के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई की गई है.

अनोखे अंदाज में कर रहे विरोध
आईपीएस अमिताभ ठाकुर लगातार सरकार के फैसले के विरोध में अनोखा अंदाज अपनाए हुए हैं. पहले दिन उन्होंने पदभार छोड़ने के साथ अपने ड्राइवर को मुक्त करने की जानकारी ट्विटर पर दी. फिर अगले दिन उन्होंने पूर्व में सरकार को लिखे गए पत्र को सार्वजनिक किया है.
पत्र में उन्होंने कहा था कि उन्हें विश्वस्त सूत्रों से बताया गया कि उनके कथित रूप से असुविधाजनक तथा अप्रिय होने, 'मुकदमेबाज' होने, आपराधिक वाद दायर करने अथवा प्रशासनिक कार्रवाई करने की मांग करने के कारण उन्हें अत्यंत उच्चस्तरीय दवाब में अनिवार्य सेवानिवृति देकर नौकरी से अलग करने के उच्चस्तरीय मौखिक निर्देश हुए हैं जिसका शीघ्र क्रियान्वयन होगा.

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'फर्जी ढंग से शुरू की गई विभागीय कार्रवाई'

यदि ऐसा हुआ तो यह घोर अन्यायपरक और मनमाना होगा. इसका उद्देश्य प्रशासनिक व्यवस्था में अवांछित कर्मी को अलग करना नहीं बल्कि इस प्रावधान का गलत प्रयोग करते हुए व्यवस्था में ताकतवर स्थानों पर बैठे तमाम व्यक्तियों के लिए असुविधाजनक तथा अप्रिय व्यक्ति को व्यवस्था से अलग करना होगा जो अनुचित उद्देश्य से संचालित होगा. अमिताभ ने कहा था कि वे किसी भी प्रकार से अवांछित कर्मी नहीं हैं बल्कि यह संभव है कि वे व्यवस्था में बैठे ताकतवर लोगों के लिए असुविधाजनक तथा अप्रिय हों. उन्होंने अपने ऊपर फर्जी ढंग से विभागीय कार्रवाई शुरू करने और उन्हें लम्बे समय तक जानबूझ कर लंबित रखे जाने की बात भी कही थी.

घर के बाहर नेम प्लेट पर लिखाया "जबरन रिटायर्ड"
जबरन रिटायर किए गए आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने अपने घर के बाहर लगे नेम प्लेट पर ips अमिताभ ठाकुर (जबरन रिटायर्ड) लिखा दिया है. उन्होंने ट्वीट कर इसे सार्वजनिक किया है. आईपीएस अमिताभ के ट्वीट से सरकार असहज हो रही है. इस संबंध में कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. हालांकि, अमिताभ ठाकुर सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का मन बना रहे हैं.

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