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यूपी में बिक रहा घटिया नमक, कंपनी के नाम पर पर्दा - यूपी में बिक रहा घटिया नमक

राज्य स्वास्थ्य संस्थान की संयुक्त निदेशक डॉ निरुपमा सिंह के मुताबिक, अप्रैल 2021 से सितम्बर तक 24 जिलों से 228 नमक के सैम्पल लिए गए. यह सैम्पल घरों व दुकानों से आशा बहुओं ने एक पुड़िया में संग्रह किया. इसके बाद राज्य स्वास्थ्य संस्थान की लैब में सैम्पल की जांच की गई. इसमें 12 फीसद नमक के सैम्पल फेल हुए. नमक में मानक के अनुरूप आयोडीन नहीं मिला.

यूपी में बिक रहा घटिया नमक
यूपी में बिक रहा घटिया नमक
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Published : Nov 10, 2021, 7:45 PM IST

लखनऊ: आयोडीन व्यक्ति की सेहत के लिए बेहद आवश्यक तत्व है. ज्यादातर आयोडीन खाद्य पदार्थ और नमक सेवन के जरिए ही शरीर में पहुंचता है. यूपी में घेंघा रोग की दिक्कत कायम है. इनमें से ज्यादातर मामले 24 जिलों के हैं. कारण, यहां के निवासियों में आयोडीन की कमी का होना है. ऐसे में सरकार चिन्हित जिलों में आयोडीन को लेकर मॉनिटरिंग करा रही है. कोविड काल में वर्ष 2020 में बंद रहा आयोडीन टेस्टिंग का काम फिर शुरू कर दिया गया है. यूपी के कई जिलों में हुई नमक की जांच में आयोडीन मानक के अनुसार नहीं मिला. यह नमक किस कंपनी का है, इसको सरकारी अफसरों ने उजागर नहीं किया. बस, नमक बदलने की सलाह देकर जिम्मेदारी झाड़ ली.


12 फीसद नमक के सैम्पल फेल
राज्य स्वास्थ्य संस्थान की संयुक्त निदेशक डॉ निरुपमा सिंह के मुताबिक, अप्रैल 2021 से सितम्बर तक 24 जिलों से 228 नमक के सैम्पल लिए गए. यह सैम्पल घरों व दुकानों से आशा बहुओं ने एक पुड़िया में संग्रह किया. इसके बाद राज्य स्वास्थ्य संस्थान की लैब में सैम्पल की जांच की गई. इसमें 12 फीसद नमक के सैम्पल फेल हुए. नमक में मानक के अनुरूप आयोडीन नहीं मिला. ऐसे में संबंधित गांव की आशा के जरिये उपभोक्ता को आयोडीन युक्त दूसरा नमक प्रयोग की सलाह दे दी गई है. वहीं नमक किस कंपनी का है, जिससे आमजन भी उसके सेवन से बचें. इस तरह की कोई रिपोर्ट जारी नहीं की है.

राज्य स्वास्थ्य संस्थान की संयुक्त निदेशक डॉ निरुपमा सिंह
राज्य स्वास्थ्य संस्थान की संयुक्त निदेशक डॉ निरुपमा सिंह
इन जिलों में हुई नमक की जांच
आगरा, अलीगढ़, आजमगढ़, बस्ती, बहराइच, बरेली, बिजनौर, बुलंदशहर, देवरिया, फैजाबाद, गाजियाबाद, गोंडा, गोरखपुर, जौनपुर, खीरी, मथुरा, मुजफ्फरनगर, रामपुर, रायबरेली, सुल्तानपुर, शाहजहांपुर, सहारनपुर, वाराणसी.
बाढ़ भी बहा ले जाती आयोडीन
डॉ निरुपमा सिंह के मुताबिक, आयोडीन की कमी ज्यादातर तराई वाले इलाके में पाई जाती है.इसका एक कारण वहां आने वाली हर वर्ष बाढ़ भी है. इसके चलते इन जिलों के प्राकृतिक स्रोतों से आयोडीन नष्ट हो जाती है. लिहाजा हरी साग-सब्जी के सेवन से भी व्यक्ति को आयोडीन नहीं मिल पाती है.

आयोडीन की कमी से थायराइड ट्यूमर भी


लोहिया संस्थान की इंडोक्राइन सर्जरी विभाग की डॉक्टर रोमा के मुताबिक आयोडीन की कमी से घेंघा रोग हो जाता है. इसका लक्षण गले में सूजन जैसा महसूस होना है. घेंघा के कुल मरीजों में 8 से 10 फीसद में थायराइड ट्यूमर हो जाता है. वहीं कुल ट्यूमर या कैंसर के मामले में थायराइड में 2 फीसद है.

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इसे भी पढ़ें- सीएम योगी के गढ़ में अखिलेश यादव से पहले गरजेंगे चाचा शिवपाल

लखनऊ: आयोडीन व्यक्ति की सेहत के लिए बेहद आवश्यक तत्व है. ज्यादातर आयोडीन खाद्य पदार्थ और नमक सेवन के जरिए ही शरीर में पहुंचता है. यूपी में घेंघा रोग की दिक्कत कायम है. इनमें से ज्यादातर मामले 24 जिलों के हैं. कारण, यहां के निवासियों में आयोडीन की कमी का होना है. ऐसे में सरकार चिन्हित जिलों में आयोडीन को लेकर मॉनिटरिंग करा रही है. कोविड काल में वर्ष 2020 में बंद रहा आयोडीन टेस्टिंग का काम फिर शुरू कर दिया गया है. यूपी के कई जिलों में हुई नमक की जांच में आयोडीन मानक के अनुसार नहीं मिला. यह नमक किस कंपनी का है, इसको सरकारी अफसरों ने उजागर नहीं किया. बस, नमक बदलने की सलाह देकर जिम्मेदारी झाड़ ली.


12 फीसद नमक के सैम्पल फेल
राज्य स्वास्थ्य संस्थान की संयुक्त निदेशक डॉ निरुपमा सिंह के मुताबिक, अप्रैल 2021 से सितम्बर तक 24 जिलों से 228 नमक के सैम्पल लिए गए. यह सैम्पल घरों व दुकानों से आशा बहुओं ने एक पुड़िया में संग्रह किया. इसके बाद राज्य स्वास्थ्य संस्थान की लैब में सैम्पल की जांच की गई. इसमें 12 फीसद नमक के सैम्पल फेल हुए. नमक में मानक के अनुरूप आयोडीन नहीं मिला. ऐसे में संबंधित गांव की आशा के जरिये उपभोक्ता को आयोडीन युक्त दूसरा नमक प्रयोग की सलाह दे दी गई है. वहीं नमक किस कंपनी का है, जिससे आमजन भी उसके सेवन से बचें. इस तरह की कोई रिपोर्ट जारी नहीं की है.

राज्य स्वास्थ्य संस्थान की संयुक्त निदेशक डॉ निरुपमा सिंह
राज्य स्वास्थ्य संस्थान की संयुक्त निदेशक डॉ निरुपमा सिंह
इन जिलों में हुई नमक की जांच
आगरा, अलीगढ़, आजमगढ़, बस्ती, बहराइच, बरेली, बिजनौर, बुलंदशहर, देवरिया, फैजाबाद, गाजियाबाद, गोंडा, गोरखपुर, जौनपुर, खीरी, मथुरा, मुजफ्फरनगर, रामपुर, रायबरेली, सुल्तानपुर, शाहजहांपुर, सहारनपुर, वाराणसी.
बाढ़ भी बहा ले जाती आयोडीन
डॉ निरुपमा सिंह के मुताबिक, आयोडीन की कमी ज्यादातर तराई वाले इलाके में पाई जाती है.इसका एक कारण वहां आने वाली हर वर्ष बाढ़ भी है. इसके चलते इन जिलों के प्राकृतिक स्रोतों से आयोडीन नष्ट हो जाती है. लिहाजा हरी साग-सब्जी के सेवन से भी व्यक्ति को आयोडीन नहीं मिल पाती है.

आयोडीन की कमी से थायराइड ट्यूमर भी


लोहिया संस्थान की इंडोक्राइन सर्जरी विभाग की डॉक्टर रोमा के मुताबिक आयोडीन की कमी से घेंघा रोग हो जाता है. इसका लक्षण गले में सूजन जैसा महसूस होना है. घेंघा के कुल मरीजों में 8 से 10 फीसद में थायराइड ट्यूमर हो जाता है. वहीं कुल ट्यूमर या कैंसर के मामले में थायराइड में 2 फीसद है.

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