लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार निवेश बढ़ाने और औद्योगिक विकास (Government of UP and Industrial Development) को लेकर तमाम कोशिशें कर रही है. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) दो दिवसीय दौरे पर देश की औद्योगिक राजधानी (industrial capital mumbai) कहे जाने वाले शहर मुंबई गए हैं, जहां वह देश के दिग्गज उद्योगपतियों और बैंकर्स के साथ बैठकें कर प्रदेश में निवेश (invest in up) का आह्वान कर रहे हैं. इससे पहले विगत माह मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी वरिष्ठ मंत्रियों ने कई देशों के दौरे किए और निवेशकों को आमंत्रित किया. सरकार राज्य के विकास को लेकर बहुत गंभीर है और निवेश लाने के लिए हर संभव प्रयास भी कर रही है, लेकिन इसे लेकर अब भी कुछ बाधाएं हैं. व्यवसायी कहते हैं कि सरकार को निचले स्तर पर सरकारी तंत्र को ठीक करने के लिए अभी और काम करने की जरूरत है.
प्रदेश में भाजपा की सरकार 2017 से ही प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई स्तर पर काम कर रही है. स्थानीय व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए ही वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना शुरू की गई थी, जिसका लाभ तमाम उद्यमियों ने उठाया. इसके बावजूद ज्यादातर निवेशक दिल्ली एनसीआर और उसके आसपास ही निवेश करने के इच्छुक रहते हैं. प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में निवेश लाना और उसके अनुकूल माहौल बना पाना अब भी एक चुनौती ही है. एनओसी और अन्य सेवाओं की ऑनलाइन स्वीकृति के लिए सरकार ने सभी प्रबंध किए हैं, लेकिन सरकारी तंत्र में सुधार की अभी बहुत जरूरत दिखाई देती है. भ्रष्टाचार और फाइलों को अपने ढंग से निपटाने की अधिकारियों की आदत सरकार की मंशा के पूरा होने में बड़ी बाधा है. उद्यमी बताते हैं कि कोई भी व्यवसाय शुरू करने के प्रारंभिक महीनों में लोगों बड़ा उत्साह होता है, लेकिन जब फाइलों के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं, तो सारा उत्साह काफूर हो जाता है.
गौरतलब है कि प्रदेश में अगले माह होने वाली इन्वेस्टर्स समिट (UP Investors Summit in February) में इक्कीस देशों के निवेशकों ने साकारात्मक रुख दिखाया है. इसके लिए मुख्यमंत्री और उनके प्रमुख सहयोगियों ने कई देशों में रोड शो किए और वहां के उद्यमियों से भेंट कर उन्हें आमंत्रित भी किया है. यूपी बुंदेलखंड और पूर्वांचल एक्सप्रेस वे सहित छह एक्सप्रेस वे वाला प्रदेश बन गया है. गंगा एक्सप्रेस वे का काम जारी है. डिफेंस कॉरिडोर भी बन रहा है. सरकार का दावा है कि प्रदेश में निवेश और उद्योगों के अनुकूल माहौल है. राज्य में छह एक्सप्रेस वे और पांच अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट हैं. वहीं पांच शहरों मेट्रो रेल संचालित है, जबकि पांच अन्य शहरों में इस पर काम चल रहा है. प्रदेश ग्लोबल डाटा सेंटर. मेडिकल और शिक्षा का हब बनने की ओर अग्रसर है. वहीं खाद्यान्न, चीनी, दुग्ध, एथनॉल और आलू उत्पादन में प्रदेश देश में एक नंबर पर है. जल संसाधनों के मामले में भी प्रदेश की स्थिति बहुत अच्छी है. सिंगल विंडो पोर्टल 'निवेश मित्र' उद्यमियों की हर समस्या का निदान करता है. इसके अतिरिक्त प्रदेश उपभोक्ताओं और एमएसएमई इकाइयों के मामले में देश में औव्वल है. इंडस्ट्रियल लैंड बैंक और बिजली आपूर्ति के मामले में भी सूबे की स्थिति बहुत अच्छी है.
वहीं युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए पिछले दिनों एमएसएमई विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार और गेट ए फ्रेंचाइजी एलएलपी के सहयोग से पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उत्तर प्रदेश चैप्टर ने लखनऊ में दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया था. युवा कल्याण विभाग की ओर से शुरू किए जाने वाले स्टार्टअप एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स और यूपी एंजेल नेटवर्क सहयोग करने को तैयार हुए हैं. 2015 में ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत 81वें पायदान पर था, जबकि 2022 में सुधरकर 41वें नंबर पर आ गया. आबादी के लिहाज से सर्वाधिक बड़ा प्रदेश होने की वजह से यह देश का सबसे युवा प्रदेश भी है. इनोवेशन पर सरकार का खासा जोर है और इस बाबत सरकार नई स्टार्टअप नीति ला चुकी है. पॉलिसी के तहत 2025 तक 10 हजार स्टार्टअप शुरू करने का लक्ष्य है. वहीं अब तक 7800 स्टार्टअप शुरू हो चुके हैं. दूसरी ओर 100 स्टार्टअप इनक्यूबेटर का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 55 स्थापित हो चुके हैं.
इस संबंध में राजधानी के उद्यमी संदीप सक्सेना (Entrepreneur Sandeep Saxena) कहते हैं 'सरकार निवेश लाने के लिए काफी प्रयास कर रही है. आने वाली 10-11 फरवरी को जो सरकार जीआईएस कर रही है, निश्चित रूप से उसके परिणाम बहुत अच्छे आने वाले हैं. कम से कम सरकार लोगों को बता रही है कि उसके पास क्या सुविधाएं हैं.' वह कहते हैं कि 'सरकार की मंशा के विपरीत जो सिस्टम है, वह चीजों को ठीक तरीके से नहीं होने देता है. व्यापारियों और उद्योगपतियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. सरकार अपने स्तर पर योजनाएं बना देती है, लेकिन जब जमीन पर उतारने की बारी आती है, तो जो काम है सिस्टम का वह ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है. चाहे भूमि अधिग्रहण का काम हो या जमीनों के अकृषक कराने की बात, उद्योग लगने तक जो भी एनओसी आदि के काम हैं, वह समय से नहीं हो पाते. सरकार कहती जरूर है कि सिंगल विंडो सिस्टम है, लेकिन इसके बाद भी अलग-अलग विभागों के अधिकारी चीजों को अपने हिसाब से ही करते हैं.' संदीप सक्सेना कहते हैं 'यदि सरकार निवेश में गति लाना चाहती है, तो उसे इस ओर ध्यान देना होगा. निवेश लाना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उसे जमीन पर उतारना सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है.'