लखनऊ : "बीते पांच वर्षों में प्रदेश में निवेश का माहौल बना है, इसका सबसे बड़ा कारण प्रदेश की सुधरी हुई कानून व्यवस्था है. बीते पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर के फील्ड में काफी काम हुआ है. जिससे प्रदेश में निवेश के लिए एक बेहतर माहौल तैयार करने में हमारी सरकार कामयाब रही है. इसी का नतीजा है कि इन्वेस्टर समिट में अब इतना बड़ा निवेश लाने में सरकार कामयाब रही है. हमारी सरकार की कोशिश है कि प्रदेश में निवेश चाहे 5000 करोड़ का हो या 500 करोड़ का सभी हमारे लिए महत्वपूर्ण है. उद्योगों व निवेशकों को इसके लिए जो भी मदद हमारे विभाग और सरकार से चाहिए वह उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेदारी है." यह बात प्रदेश के समाज कल्याण विभाग मंत्री असीम अरुण ने कहीं. वह गोमती नगर के एक होटल में उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग व उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा आयोजित इन्वेस्टर मीट में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे.
मंत्री असीम अरुण ने कहा कि "इन्वेस्टर समिट के रोड शो के दौरान वह चेन्नई गए थे. वहां के निवेशकों ने उनसे पूछा कि क्या आपके प्रदेश में कुशल कामगार मौजूद हैं." उन्होंने बताया कि "इस पर मैंने इन्वेस्टर्स को बताया कि उत्तर प्रदेश मौजूदा समय में सबसे अधिक लेबरों वाला प्रदेश है, खास तौर पर हमारे यहां स्किल्ड लेबर सबसे अधिक हैं, जो आज पूरे देश में उद्योगों में काम कर रहे हैं. इसके अलावा हमारे पास उपजाऊ जमीन, सालभर बहने वाली नदियां मौजूद हैं, जो किसी भी उद्योग को स्थापित करने के लिए पहली प्राथमिकता है." उन्होंने कहा कि "इस इन्वेस्टर मीट के माध्यम से हम हर उस छोटे बड़े निवेशकों तक पहुंचना चाहते हैं जो प्रदेश में निवेश करने के लिए तैयार हैं. इस इन्वेस्टर मीट के माध्यम से हम उनकी क्या डिमांड है उसको समझेंगे, उसके अनुसार उनके लिए जो भी नीतिगत निर्णय व इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी वह सरकार द्वारा मुहैया कराई जाएगी. 10 से 12 फरवरी तक हो रहे ग्लोबल इन्वेस्टर समिट ब्रांड यूपी को न केवल मजबूत करेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगा."
कार्यक्रम में मौजूद मंत्री संजीव गोंड ने कहा कि "पांच साल पहले प्रदेश में तेंदू के पत्ते का व्यापार दस्यु सरगना, माफिया व गुंडों के कब्जे में था, लेकिन आज वह सब पूरी तरह से समाप्त हो गए हैं. तेंदू के पत्ते सबसे अधिक बीड़ी व्यवसाय में प्रयोग में आते हैं. इसके व्यवसाय से जुड़े किसान व उत्पादक उसे सीधे बेच सकते हैं. सोनभद्र, चित्रकूट उसके आसपास के क्षेत्रों में जो पहले दस्यु के डर का माहौल था वह लगभग समाप्त हो चुका है. इक्का-दुक्का जो बचे हैं वह भी जल्द समाप्त कर दिए जाएंगे."
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