लखनऊ : बिजली विभाग के इंजीनियर अपने उपकेंद्र से उपभोक्ताओं की संख्या कम करने के लिए खुद ही बिल का भुगतान कर रहे हैं. हालांकि वे यह भुगतान ज्यादा न करके सिर्फ ₹100 से लेकर ₹500 ही जमा करते हैं, जिससे उनके उपकेंद्र से नेवर पेड उपभोक्ताओं की संख्या कम हो जाए और समीक्षा में यह सामने न आए कि संबंधित उपकेंद्र में सबसे ज्यादा नेवर पेड उपभोक्ता है. इस तरह के मामले सामने आने के बाद बिजली विभाग अब इंजीनियरों की जांच शुरू कराने की तैयारी कर रहा है.
उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज (Uttar Pradesh Power Corporation Chairman M Devaraj) ने कुछ दिन पहले ही सभी उपकेंद्रों की समीक्षा कर नेवर पेड उपभोक्ताओं की संख्या की जानकारी अधिकारियों से ली थी. प्रदेश भर में लाखों की संख्या में ऐसे उपभोक्ता हैं जिन्होंने महीनों ही नहीं वर्षों से अपने बिल का भुगतान नहीं किया है और फ्री बिजली का लुत्फ उठा रहे हैं. बिजली विभाग के इंजीनियरों ने भी ऐसे उपभोक्ताओं से बिल वसूलने की जहमत नहीं उठाई. यही वजह है कि ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ती चली गई. अब जिस उपकेंद्र में ज्यादा उपभोक्ता होंगे उस उपकेंद्र से संबंधित जूनियर इंजीनियर पर कार्रवाई करने की तैयारी है. ऐसे में सभी जूनियर इंजीनियर कर्मचारियों के साथ मिलकर अपने यहां से नेवर पेड उपभोक्ताओं की संख्या खत्म करने के लिए प्रयास कर रहे हैं. इन प्रयासों में बिजली बिल वसूली के लिए चेकिंग अभियान चला रहे हैं. खासकर नेवर पेड उपभोक्ताओं से वसूली का लक्ष्य है.
बुलंदशहर में विद्युत वितरण खंड से विभागीय अधिकारियों को ऐसी सूचनाएं प्राप्त हुईं कि यहां पर उपभोक्ताओं की संख्या कम करने के लिए बिजली विभाग के इंजीनियर और लाइनमैन आंशिक भुगतान अपनी तरफ से कर रहे हैं. ऊर्जा मंत्री ने हाल ही में निर्देश दिए थे कि ₹100 तक कोई आंशिक भुगतान कर अपना कनेक्शन कटने से बचा सकता है. ऐसे में इंजीनियर और लाइनमैन की तरफ से आंशिक बिल जमा कर संख्या कम कर रहे हैं. इस मामले की जांच भी स्थानीय स्तर पर हो रही है और इसी तरह अब प्रदेशभर में नेवर पेड उपभोक्ताओं को लेकर विभागीय अवर अभियंताओं से पूछताछ करने की तैयारी है.
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Consumer Council President Awadhesh Kumar Verma) कहते हैं कि बिजली कंपनियां इस समय बिल वसूली को लेकर अभियंताओं से पूछताछ कर रही हैं. यही वजह है कि अपने उपकेंद्र से नेवर पेड उपभोक्ताओं की संख्या कम करने के लिए बिजली विभाग के इंजीनियर अपनी तरफ से आंशिक भुगतान कर रहे हों तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है. प्रबंधन से इसकी जांच की मांग की जाएगी, साथ ही बिजली विभाग को चाहिए कि नेवर पेड उपभोक्ताओं का उत्पीड़न होने से भी बचाया जाए. नेवर पेड के नाम पर अभियंता उपभोक्ताओं को परेशान भी करते हैं.
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