ETV Bharat / state

परमिट नवीनीकरण में हुआ था करोड़ों का घोटाला, दो माह में चार कदम भी नहीं बढ़ी जांच - कोरोना कर्फ्यू

राजधानी में परिवहन विभाग में ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट और परमिट नवीनीकरण के नाम पर की गई घपलेबाजी की जांच अधर में लटकी है. परिवहन आयुक्त धीरज साहू ने टीम गठित कर प्रकरण का खुलासा कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है.

लखनऊ परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार
लखनऊ परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार
author img

By

Published : Jul 25, 2021, 7:33 PM IST

लखनऊ: राजधानी के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में ऑटो-टेम्पो के परमिट नवीनीकरण में देरी होने पर वसूली जाने वाली लेट फीस में बाबुओं ने खेल कर करोड़ों का घोटाला कर डाला. ऑडिट की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था. इसके बाद आरटीओ कार्यालय में हुई गबन की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया गया था. सवाल ये है कि दो माह से ज्यादा का समय होने को है, लेकिन जांच कमेटी की जांच चार कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी. अब इस मामले में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर सख्त हुए हैं. उन्होंने कहा है कि जांच में तेजी लाकर जल्द ही दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.

परिवहन विभाग घोटालों के लिए मशहूर है. ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट और परमिट नवीनीकरण के नाम पर घपला कर शातिर तरीके से काम को अंजाम देना. इन सभी मामलों में आरटीओ कार्यालय के अधिकारियों का कोई जवाब नहीं है. हालांकि, ये सभी काम बिना अधिकारी की मिलीभगत के संभव नहीं हैं. बाबू के साथ अफसर भी बराबर के जिम्मेदार हैं. राजधानी के आरटीओ कार्यालय की बात करें तो यहां पिछले छह साल से परमिट नवीनीकरण में पेनाल्टी वसूलने के एवज में जमकर सौदेबाजी की जा रही थी. यहां के बाबुओं ने करोड़ों का वारा न्यारा कर दिया. ऑडिट टीम ने जब जांच की तो यह गंभीर मामला उजागर हुआ. इसके बाद परिवहन विभाग मुख्यालय की तरफ से परमिट नवीनीकरण में पेनॉल्टी वसूली में हुई धांधली के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी गई थी, लेकिन इस कमेटी अब तक इस गंभीर मामले पर किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है. लिहाजा, अभी तक जांच लंबित है.

परमिट नवीनीकरण में हुआ था करोड़ों का घोटाला
परमिट नवीनीकरण में हुआ था करोड़ों का घोटाला

इसे भी पढ़ेंः'योगी पर रासुका लगाने की मिली IPS जसवीर सिंह को सजा'


आरटीओ कार्यालय के बाबुओं ने परमिट की लेट फीस को लेकर खेल किया. जुर्माने की रकम को खुद कम कर वाहन मालिक से पूरी वसूली करते रहे. इस मामले में तकरीबन 5800 फाइलें मुख्यालय में तलब की गई हैं. जुर्माने के इस खेल की शिकायत वाहन मालिकों ने आरटीओ प्रशासन से लेकर वहां के अन्य अधिकारियों से की थी, लेकिन तब कोई सुनवाई नहीं हुई. शिकायत करने वालों का आरोप था कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह खेल चल रहा था. बंटवारे की धनराशि में उन्हें भी हिस्सा दिया जाता था. आरटीओ कार्यालय में सुनवाई न होने पर पीडि़तों ने शिकायत परिवहन विभाग के अधिकारियों से साल 2020 में की. अपर परिवहन आयुक्त प्रसाशन ने इसकी रिपोर्ट तलब कर ऑडिट टीम नियुक्त की थी. ऑडिट टीम ने जांच में घोटाले का खुलासा करते हुए अपनी रिपोर्ट शासन और परिवहन विभाग को भेज दी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश में लॉकडाउन लग गया और जांच ठंडे बस्ते में चली गई.

इसे भी पढ़ें-सिर्फ फोटो खिंचाने यूपी आती हैं प्रियंका गांधीः रीता बहुगुणा जोशी

कोरोना कर्फ्यू हटने के बाद जांच शुरू हुई तो आरटीओ कार्यालय में हड़कंप मच गया. इस मामले से बचने के लिए कर्मचारी अधिकारी जुगाड़ लगाने लगे. फिलहाल मामले की जांच के लिए परिवहन आयुक्त ने मुख्यालय पर तैनात उप परिवहन आयुक्त मुखलाल चौरसिया को जिम्मेदारी सौंपी. ऑटो-टेम्पो परमिट नवीनीकरण की जुड़ी 5800 फाइलों की जांच किए जाने का निर्णय लिया गया.

इतनी है लेट फीस

  • परमिट नवीनीकरण में पहले वर्ष एक दिन देरी होने पर 25 रुपये विलंब शुल्क
  • दूसरे वर्ष 35 रुपये प्रतिदिन
  • तीसरे और चौथे वर्ष 55 रुपये प्रतिदिन
  • नवीनीकरण में देरी पर जुर्माने की रकम कम कर विभाग को बाबुओं ने लगाया चूना


    सवाल यह है कि जब 2014 से आरटीओ कार्यालय में परमिट नवीनीकरण में धांधली का खेल खेला जा रहा था और हर दो साल में विभागीय ऑडिट टीम और बाहर की ऑडिट टीम जांच कर रही थी तो एक बार भी करोड़ों का यह मामला पकड़ में क्यों नहीं आया? इतने साल बाद आखिर यह मामला कैसे सामने आया, यह अपने आप में गंभीर सवाल है. परिवहन आयुक्त धीरज साहू का कहना है कि परमिट नवीनीकरण में पेनाल्टी वसूलने के नाम पर घोटाले की बात कुछ माह पहले सामने आई थी. तीन सदस्य वाली जांच टीम गठित की गई थी. जांच टीम को इस पूरे मामले की गहनता से जांच करने के लिए कहा गया है. जहां तक पहले भी ऑडिट टीम इस मामले की जांच कर चुकी है और यह मामला पकड़ में क्यों नहीं आया, इस पर भी अब जांच कमेटी गंभीरता से जांच करेगी. जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा.

लखनऊ: राजधानी के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में ऑटो-टेम्पो के परमिट नवीनीकरण में देरी होने पर वसूली जाने वाली लेट फीस में बाबुओं ने खेल कर करोड़ों का घोटाला कर डाला. ऑडिट की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था. इसके बाद आरटीओ कार्यालय में हुई गबन की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया गया था. सवाल ये है कि दो माह से ज्यादा का समय होने को है, लेकिन जांच कमेटी की जांच चार कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी. अब इस मामले में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर सख्त हुए हैं. उन्होंने कहा है कि जांच में तेजी लाकर जल्द ही दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.

परिवहन विभाग घोटालों के लिए मशहूर है. ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट और परमिट नवीनीकरण के नाम पर घपला कर शातिर तरीके से काम को अंजाम देना. इन सभी मामलों में आरटीओ कार्यालय के अधिकारियों का कोई जवाब नहीं है. हालांकि, ये सभी काम बिना अधिकारी की मिलीभगत के संभव नहीं हैं. बाबू के साथ अफसर भी बराबर के जिम्मेदार हैं. राजधानी के आरटीओ कार्यालय की बात करें तो यहां पिछले छह साल से परमिट नवीनीकरण में पेनाल्टी वसूलने के एवज में जमकर सौदेबाजी की जा रही थी. यहां के बाबुओं ने करोड़ों का वारा न्यारा कर दिया. ऑडिट टीम ने जब जांच की तो यह गंभीर मामला उजागर हुआ. इसके बाद परिवहन विभाग मुख्यालय की तरफ से परमिट नवीनीकरण में पेनॉल्टी वसूली में हुई धांधली के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी गई थी, लेकिन इस कमेटी अब तक इस गंभीर मामले पर किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है. लिहाजा, अभी तक जांच लंबित है.

परमिट नवीनीकरण में हुआ था करोड़ों का घोटाला
परमिट नवीनीकरण में हुआ था करोड़ों का घोटाला

इसे भी पढ़ेंः'योगी पर रासुका लगाने की मिली IPS जसवीर सिंह को सजा'


आरटीओ कार्यालय के बाबुओं ने परमिट की लेट फीस को लेकर खेल किया. जुर्माने की रकम को खुद कम कर वाहन मालिक से पूरी वसूली करते रहे. इस मामले में तकरीबन 5800 फाइलें मुख्यालय में तलब की गई हैं. जुर्माने के इस खेल की शिकायत वाहन मालिकों ने आरटीओ प्रशासन से लेकर वहां के अन्य अधिकारियों से की थी, लेकिन तब कोई सुनवाई नहीं हुई. शिकायत करने वालों का आरोप था कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह खेल चल रहा था. बंटवारे की धनराशि में उन्हें भी हिस्सा दिया जाता था. आरटीओ कार्यालय में सुनवाई न होने पर पीडि़तों ने शिकायत परिवहन विभाग के अधिकारियों से साल 2020 में की. अपर परिवहन आयुक्त प्रसाशन ने इसकी रिपोर्ट तलब कर ऑडिट टीम नियुक्त की थी. ऑडिट टीम ने जांच में घोटाले का खुलासा करते हुए अपनी रिपोर्ट शासन और परिवहन विभाग को भेज दी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश में लॉकडाउन लग गया और जांच ठंडे बस्ते में चली गई.

इसे भी पढ़ें-सिर्फ फोटो खिंचाने यूपी आती हैं प्रियंका गांधीः रीता बहुगुणा जोशी

कोरोना कर्फ्यू हटने के बाद जांच शुरू हुई तो आरटीओ कार्यालय में हड़कंप मच गया. इस मामले से बचने के लिए कर्मचारी अधिकारी जुगाड़ लगाने लगे. फिलहाल मामले की जांच के लिए परिवहन आयुक्त ने मुख्यालय पर तैनात उप परिवहन आयुक्त मुखलाल चौरसिया को जिम्मेदारी सौंपी. ऑटो-टेम्पो परमिट नवीनीकरण की जुड़ी 5800 फाइलों की जांच किए जाने का निर्णय लिया गया.

इतनी है लेट फीस

  • परमिट नवीनीकरण में पहले वर्ष एक दिन देरी होने पर 25 रुपये विलंब शुल्क
  • दूसरे वर्ष 35 रुपये प्रतिदिन
  • तीसरे और चौथे वर्ष 55 रुपये प्रतिदिन
  • नवीनीकरण में देरी पर जुर्माने की रकम कम कर विभाग को बाबुओं ने लगाया चूना


    सवाल यह है कि जब 2014 से आरटीओ कार्यालय में परमिट नवीनीकरण में धांधली का खेल खेला जा रहा था और हर दो साल में विभागीय ऑडिट टीम और बाहर की ऑडिट टीम जांच कर रही थी तो एक बार भी करोड़ों का यह मामला पकड़ में क्यों नहीं आया? इतने साल बाद आखिर यह मामला कैसे सामने आया, यह अपने आप में गंभीर सवाल है. परिवहन आयुक्त धीरज साहू का कहना है कि परमिट नवीनीकरण में पेनाल्टी वसूलने के नाम पर घोटाले की बात कुछ माह पहले सामने आई थी. तीन सदस्य वाली जांच टीम गठित की गई थी. जांच टीम को इस पूरे मामले की गहनता से जांच करने के लिए कहा गया है. जहां तक पहले भी ऑडिट टीम इस मामले की जांच कर चुकी है और यह मामला पकड़ में क्यों नहीं आया, इस पर भी अब जांच कमेटी गंभीरता से जांच करेगी. जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.