लखनऊ: प्रदेश में बिजली विभाग में निजीकरण के लिए हुए दोनों प्रयोग (नोएडा पावर कंपनी और टोरेंट पावर आगरा) फेल हो गए हैं. टोरेंट पावर आगरा न तो बिजली की क्षति को 15 फीसद तक ला पायी और न ही पुराना बकाया वसूल कर पावर कॉर्पोरेशन को दे पायी है. उपभोक्ता परिषद की शिकायत पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने एक जांच कमेटी बनाई थी. जिसकी रिपोर्ट गुरुवार को सौंपी गई. इस जांच रिपोर्ट में आगरा की टोरेंट पावर कम्पनी और नोएडा की पावर कम्पनी को फेल बताया गया है.
रिपोर्ट में टोरेंट पावर आगरा पर उठाए गए गंभीर सवाल
जांच रिपोर्ट में यह कहा गया है कि दोनों निजी घराने अपनी लॉबिंग में लगे हैं. ऐसे में ये कंपनियां विभाग को न तो बेहतर राजस्व दे सकेंगी और न ही उपभोक्ताओं को सहूलियत. बता दें कि दोनों कंपनियों की कार्यप्रणाली और गतिविधियों पर राज्य उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्री से शिकायत दर्ज कराई थी. जिस पर मंत्री ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच बैठा दी थी. कमेटी की ओर से जांच रिपोर्ट को गुरुवार को सौंप दिया गया है. जिसे लेकर उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन (यूपीपीसीएल) में हड़कंप मचा हुआ है. इस रिपोर्ट में टोरेंट पावर आगरा के ऊपर गंभीर सवाल उठाए गए हैं. कमेटी की ओर से टोरेंट पावर की विस्तृत जांच थर्ड पार्टी से कराने की बात कहीं गई है.
टोरेंट पावर पुराना बकाया भी नहीं वसूल सकी
बता दें कि आगरा में बिजली वितरण के निजीकरण का मुख्य कारण अधिक एग्रीग्रेट टेक्निकल एंड कॉमर्शियल लॉस (एटीएंडसी हानियां) था. जिसे अनुबंध की शर्तों के अनुसार 31 मार्च 2017 तक टोरेंट पावर को 15 प्रतिशत पर लाना था, लेकिन टोरेंट पावर ऐसा नहीं कर सकी. इसके साथ ही टोरेंट पावर पुराना बकाया भी नहीं वसूल सकी. इसके अलावा नोएडा पावर कंपनी पर कमेटी ने कहा कि पावर कॉर्पोरेशन खुद ही एक बिजली कंपनी है. वह इसकी जांच नहीं कर सकती. इसकी जांच सरकार किसी दूसरी एजेंसी से कराए. कुल मिलाकर सरकार को नोएडा पावर कंपनी के खिलाफ जांच बैठानी होगी.
उपभोक्ता परिषद ने नोएडा पावर कंपनी पर लगाए थे गंभीर आरोप
बता दें कि यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने 13 जनवरी 2020 को प्रदेश के ऊर्जा मंत्री से मिलकर टोरेंट पावर कंपनी व नोएडा पावर कंपनी पर गंभीर आरोप लगाए थे. इस दौरान एक ज्ञापन सौंप कर जांच कराने की मांग की गई थी. जिसमें कहा गया था कि सरकार को दोनों निजी कंपनियों की जांच करानी चाहिए. इस जांच में यह पता लगाया जाए कि इससे उपभोक्ताओं का क्या फायदा हुआ और अनुबंध की शर्तों का पालन हुआ या नहीं. ऊर्जा मंत्री के निर्देश पर पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने निदेशक वाणिज्य पावर कॉर्पोरेशन की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था. जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि दोनों निजी घराने अपनी लॉबिंग में लगे हैं. दूसरी ओर से अवधेश कुमार वर्मा ने कहा अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि टोरेंट पावर आगरा, जिसके संबंध में जांच कमेटी ने बड़ा खुलासा किया है और उपभोक्ता परिषद के उठाए गए मुद्दे सच साबित हुए हैं. जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि टोरेंट पावर कंपनी को आगरा में अप्रैल 2010 तक जो उपभोक्ताओं के ऊपर पुराना बकाया रुपया 1677 करोड़ था. उसे वसूल कर बिजली कंपनी दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को वापस करना था. उसमें से मात्र 52 करोड़ 44 लाख वापस किया.
बकाया बढ़कर 2221 करोड़ हो गया
अब जून 2020 तक कुल बकाया बढ़कर 2221 करोड़ हो गया है. जो एग्रीग्रेट टेक्निकल एंड कॉमर्शियल लॉस (एटीएंडसी हानियां) 31 मार्च 2017 तक 15 प्रतिशत पर लाना था. वह 31 मार्च 2017 को 27.21 प्रतिशत था और 31 मार्च 2019 को वह 17.06 प्रतिशत पर पहुंची. जांच रिपोर्ट में कमेटी ने टोरेंट पावर द्वारा वसूल किए गए रेगुलेटरी सरचार्ज की भी छानबीन की बात कही है.