लखनऊ: थिएटर को कला प्रेमी और रंगकर्मी अपने जीवन का अहम हिस्सा मानते हैं. इसको बढ़ाने के लिए कई इंस्टीट्यूट और स्कूल भी अब खुल रहे हैं. वहीं इन सभी स्कूलों और इंस्टीट्यूट के बीच नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा आज भी रंगकर्मियों का पसंदीदा बना हुआ है. वहीं ईटीवी भारत ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के डायरेक्टर सुरेश शर्मा के साथ बातचीत की.
- पिछले कई वर्षों के बजाय अब थिएटर में काफी बदलाव आ चुके हैं.
- मुंबई जाने के लिए युवा थिएटर की तरफ आकर्षित हो रहे हैं.
- पहले लोगों का झुकाव थिएटर की तरफ ही रहता था पर अब वह हर तरफ सोचते हैं.
- पुरानी यादों को साझा करते कहा कि लखनऊ आना घर वापसी समझता हूं.
- नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा अभी युवाओं की पहली पसंद बना हुआ है.
- एनएसडी में एक चार्म है जिसकी वजह से सभी रंगकर्मी इससे जुड़े रहना चाहते हैं.
थिएटर आर्टिस्ट के साथ-साथ लोगों से भी अपील करना चाहता हूं कि थिएटर को फिल्मी पर्दे के बराबर न माने. थिएटर की अपनी महत्ता है और फिल्मों की अपनी महत्ता है. थिएटर आर्टिस्ट जरूर फिल्मी पर्दे पर जाते हैं और अपना नाम कमाते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप थिएटर की तुलना फिल्मों से करें.
-सुरेश शर्मा, डायरेक्टर, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा