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ढिबरी की रोशनी में आईपीएस बनने वाले अफसर की कहानी - पूर्व डीजीपी बृजलाल

पूर्व डीजीपी और बीजेपी के राज्यसभा सांसद बृजलाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अपने कार्यकाल के तमाम अनुभवों को शेयर किया. यहां सुनिए बृजलाल से की गई खास बातचीत.

पूर्व डीजीपी और बीजेपी के राज्यसभा सांसद बृजलाल
पूर्व डीजीपी और बीजेपी के राज्यसभा सांसद बृजलाल
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Published : Dec 10, 2020, 12:59 PM IST

लखनऊ: गरीब परिवार में जन्म हुआ. स्कूल के लिए जूते नहीं थे. गर्म कपड़े भी इनके पास नहीं होते थे. बड़ी जद्दोजहद कर पढ़ाई पूरी की. उत्तर प्रदेश के छोटे से जिले सिद्धार्थ नगर से निकल कर आईपीएस बने. हम बात कर रहे हैं सूबे के पूर्व डीजीपी बृजलाल की. उन्होंने 37 वर्ष भारतीय पुलिस की नौकरी करते हुए देश की सेवा की. नौकरी के दौरान सैफई परिवार के निशाने पर और बसपा प्रमुख मायावती के करीबी अफसरों में सुमार रहे बृजलाल अब भाजपा के टिकट पर राज्यसभा पहुंच गए हैं. बृजलाल ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि वह सैफई के यादव परिवार के निशाने पर क्यों थे. एक मुख्यमंत्री के भाई पर कैसे लिखी एफआईआर, कैसे बसपा से हुआ मोह भंग और दलितों का सच्चा हितैषी कौन सा दल है.

पूर्व डीजीपी और बीजेपी के राज्यसभा सांसद बृजलाल
कर्ण के कवच कुंडल की तरह वर्दी
राज्यसभा सांसद बृजलाल ने कहा कि हमारे जीवन में वर्दी हमारी कर्ण के कवच और कुंडल की तरह थी. वैसे ही राज्यसभा देश की सबसे बड़ी पंचायत है. इस फोरम पर हम उन गरीबों, मजदूरों की आवाज उठा सकते हैं, उनकी समस्याओं को रख सकते हैं. मैं जिस पार्टी में हूं उसकी थीम हमेशा से रही है सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की.
सैफई परिवार के साथ सबसे दु:खद अनुभव
राज्यसभा सांसद बृजलाल कहते हैं कि नौकरी के दौरान सैफई परिवार के साथ उनका बेहद दु:खद अनुभव रहा है. उन्होंने कहा कि मेरी कार्यप्रणाली से सभी अवगत थे. 18 दिसंबर 1989 को मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री हुए. उन्होंने मेरी पहली पोस्टिंग एसएसपी इटावा के रूप में की. उस समय मेरे गृह सचिव एके. रस्तोगी थे. आरपी जोशी डीजीपी थे. उन लोगों ने कहा कि बृजलाल जी आपको बधाई दूं या सद्भावना दूं. आप अपने बैच के पहले एसएसपी हुए हैं. मैंने कहा कि मैं अपनी कार्यप्रणाली से इतर जाकर काम नहीं कर सकता, वह चाहे मुख्यमंत्री का गृह जनपद ही क्यों ना हो.इसके बाद मैं मुख्यमंत्री के पास गया. उनसे कहा कि इटावा मुझे मत ले जाइए, आपको दिक्कत होगी. खैर, वह नहीं माने और मैं एसएसपी के रूप में इटावा में जॉइन किया. मैं कार्रवाई करने लगा. कहीं भी कोई घटना होती थी तो मैं रेड डालता था, पकड़ता था. पता चला कि मेरे चार महीने के कार्यकाल में मेरे केस लेकर सीआईडी को दे दिया जाता था. ऐसी ऐसी घटनाएं हुईं, तमाम झूठे मुकदमे कायम कराए जाते थे.
सैफई के प्रधान दर्शन सिंह को थाने में बंद किया
राज्यसभा सांसद बृजलाल ने बताया कि मैं उस घटना का जिक्र करना चाहता हूं, जिसे लोग जानते हैं और सुनना चाहते हैं. बात है आठ अप्रैल 1990 की, शाम को एक यादव जी का फोन आया. उन्होंने कहा कि हमारी जमीन सैफई परिवार के लोगों ने कब्जा कर लिया है, आपकी मदद नहीं हुई तो कल पूरा कब्जा हो जाएगा. सिविल लाइंस थाना अध्यक्ष शाह आलम खान थे. वह इस समय इस दुनिया में नहीं हैं. मैंने एप्लीकेशन आगे बढ़ाई और कहा कि मुकदमा दर्ज किया जाए.

नौ अप्रैल को वहां लोग कब्जा करने के लिए गए. शाह आलम खान सभी लोगों को पकड़कर थाने ले आए. उन्हें बंद कर दिया. मुकदमा कायम किया. थोड़ी देर में सैफई के प्रधान दर्शन सिंह यादव अपने कुछ लोगों के साथ थाने पहुंचे. उन्होंने थानाध्यक्ष के साथ बदतमीजी की. थानाध्यक्ष को थप्पड़ मारा. इस पर थाना अध्यक्ष ने उन्हें भी थाने में बंद कर दिया.

डेढ़ सौ लोगों के साथ शिवपाल ने थाने पर बोला था हमला

बृजलाल ने बताया कि इसके बाद किसी ने जाकर यादव परिवार से सारी बातें बताईं. शिवपाल यादव को यह बात नागवार गुजरी. वह सौ-डेढ़ सौ हथियारबंद लोगों के साथ थाने पर हमला बोल दिए. थाना अध्यक्ष को बुरी तरह से पीटा. पूरा थाना भाग गया. उसके बाद शाह आलम को पीटा, उसको कुर्सी से खींच कर के लात जूता मार के चले गए, जब मैं थाने पर पहुंचा तो वहां कोई नहीं था. पूरा थाना चला गया था. मेरे साथ सरकार की नइत्तफाकियां थीं. सरकार मुझे हटाने को लेकर असमंजस में थी.

अपराधियों से जलते थानाध्यक्ष पर लिखवाया मुकदमा

उन्होंने कहा कि 1972 बैच के मेरे डीआईजी थे, उनका मैं नाम नहीं लेना चाहता. उनको इटावा भेजा गया. डीआईजी ने जो मुलजिम छुड़ा लिए गए थे उनसे प्रार्थना पत्र लेकर के आठ फर्जी मुकदमें थाना अध्यक्ष शाह आलम के खिलाफ दर्ज करा दिया. डीआईजी सब कुछ तय करके वापस आ गए. मुझसे बोले कि कप्तान साहब सरकार चाहती है कि शाह आलम को जेल भेज दिया जाए. मैंने पूछा क्यों. उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री की तरफ से अपेक्षा की गई है. इस पर मैंने साफ मना कर दिया.

शिवपाल यादव पर दर्ज किया मुकदमा

बृजलाल ने बताया कि जब दारोगा शाह आलम से इस्तीफा लिखने के लिए दबाव बनाया जाने लगा तब मैंने उसे आदेश दिया कि प्रधान दर्शन सिंह और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव खिलाफ मुकदमा कायम किया जाए. मुकदमा कायम किया गया. उसी के साथ मुझे नैनीताल ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया. राज्यसभा सांसद बृजलाल ने इंटरव्यू के दौरान ऐसे ही तमाम बातें बताईं हैं.

लखनऊ: गरीब परिवार में जन्म हुआ. स्कूल के लिए जूते नहीं थे. गर्म कपड़े भी इनके पास नहीं होते थे. बड़ी जद्दोजहद कर पढ़ाई पूरी की. उत्तर प्रदेश के छोटे से जिले सिद्धार्थ नगर से निकल कर आईपीएस बने. हम बात कर रहे हैं सूबे के पूर्व डीजीपी बृजलाल की. उन्होंने 37 वर्ष भारतीय पुलिस की नौकरी करते हुए देश की सेवा की. नौकरी के दौरान सैफई परिवार के निशाने पर और बसपा प्रमुख मायावती के करीबी अफसरों में सुमार रहे बृजलाल अब भाजपा के टिकट पर राज्यसभा पहुंच गए हैं. बृजलाल ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि वह सैफई के यादव परिवार के निशाने पर क्यों थे. एक मुख्यमंत्री के भाई पर कैसे लिखी एफआईआर, कैसे बसपा से हुआ मोह भंग और दलितों का सच्चा हितैषी कौन सा दल है.

पूर्व डीजीपी और बीजेपी के राज्यसभा सांसद बृजलाल
कर्ण के कवच कुंडल की तरह वर्दी
राज्यसभा सांसद बृजलाल ने कहा कि हमारे जीवन में वर्दी हमारी कर्ण के कवच और कुंडल की तरह थी. वैसे ही राज्यसभा देश की सबसे बड़ी पंचायत है. इस फोरम पर हम उन गरीबों, मजदूरों की आवाज उठा सकते हैं, उनकी समस्याओं को रख सकते हैं. मैं जिस पार्टी में हूं उसकी थीम हमेशा से रही है सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की.
सैफई परिवार के साथ सबसे दु:खद अनुभव
राज्यसभा सांसद बृजलाल कहते हैं कि नौकरी के दौरान सैफई परिवार के साथ उनका बेहद दु:खद अनुभव रहा है. उन्होंने कहा कि मेरी कार्यप्रणाली से सभी अवगत थे. 18 दिसंबर 1989 को मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री हुए. उन्होंने मेरी पहली पोस्टिंग एसएसपी इटावा के रूप में की. उस समय मेरे गृह सचिव एके. रस्तोगी थे. आरपी जोशी डीजीपी थे. उन लोगों ने कहा कि बृजलाल जी आपको बधाई दूं या सद्भावना दूं. आप अपने बैच के पहले एसएसपी हुए हैं. मैंने कहा कि मैं अपनी कार्यप्रणाली से इतर जाकर काम नहीं कर सकता, वह चाहे मुख्यमंत्री का गृह जनपद ही क्यों ना हो.इसके बाद मैं मुख्यमंत्री के पास गया. उनसे कहा कि इटावा मुझे मत ले जाइए, आपको दिक्कत होगी. खैर, वह नहीं माने और मैं एसएसपी के रूप में इटावा में जॉइन किया. मैं कार्रवाई करने लगा. कहीं भी कोई घटना होती थी तो मैं रेड डालता था, पकड़ता था. पता चला कि मेरे चार महीने के कार्यकाल में मेरे केस लेकर सीआईडी को दे दिया जाता था. ऐसी ऐसी घटनाएं हुईं, तमाम झूठे मुकदमे कायम कराए जाते थे.
सैफई के प्रधान दर्शन सिंह को थाने में बंद किया
राज्यसभा सांसद बृजलाल ने बताया कि मैं उस घटना का जिक्र करना चाहता हूं, जिसे लोग जानते हैं और सुनना चाहते हैं. बात है आठ अप्रैल 1990 की, शाम को एक यादव जी का फोन आया. उन्होंने कहा कि हमारी जमीन सैफई परिवार के लोगों ने कब्जा कर लिया है, आपकी मदद नहीं हुई तो कल पूरा कब्जा हो जाएगा. सिविल लाइंस थाना अध्यक्ष शाह आलम खान थे. वह इस समय इस दुनिया में नहीं हैं. मैंने एप्लीकेशन आगे बढ़ाई और कहा कि मुकदमा दर्ज किया जाए.

नौ अप्रैल को वहां लोग कब्जा करने के लिए गए. शाह आलम खान सभी लोगों को पकड़कर थाने ले आए. उन्हें बंद कर दिया. मुकदमा कायम किया. थोड़ी देर में सैफई के प्रधान दर्शन सिंह यादव अपने कुछ लोगों के साथ थाने पहुंचे. उन्होंने थानाध्यक्ष के साथ बदतमीजी की. थानाध्यक्ष को थप्पड़ मारा. इस पर थाना अध्यक्ष ने उन्हें भी थाने में बंद कर दिया.

डेढ़ सौ लोगों के साथ शिवपाल ने थाने पर बोला था हमला

बृजलाल ने बताया कि इसके बाद किसी ने जाकर यादव परिवार से सारी बातें बताईं. शिवपाल यादव को यह बात नागवार गुजरी. वह सौ-डेढ़ सौ हथियारबंद लोगों के साथ थाने पर हमला बोल दिए. थाना अध्यक्ष को बुरी तरह से पीटा. पूरा थाना भाग गया. उसके बाद शाह आलम को पीटा, उसको कुर्सी से खींच कर के लात जूता मार के चले गए, जब मैं थाने पर पहुंचा तो वहां कोई नहीं था. पूरा थाना चला गया था. मेरे साथ सरकार की नइत्तफाकियां थीं. सरकार मुझे हटाने को लेकर असमंजस में थी.

अपराधियों से जलते थानाध्यक्ष पर लिखवाया मुकदमा

उन्होंने कहा कि 1972 बैच के मेरे डीआईजी थे, उनका मैं नाम नहीं लेना चाहता. उनको इटावा भेजा गया. डीआईजी ने जो मुलजिम छुड़ा लिए गए थे उनसे प्रार्थना पत्र लेकर के आठ फर्जी मुकदमें थाना अध्यक्ष शाह आलम के खिलाफ दर्ज करा दिया. डीआईजी सब कुछ तय करके वापस आ गए. मुझसे बोले कि कप्तान साहब सरकार चाहती है कि शाह आलम को जेल भेज दिया जाए. मैंने पूछा क्यों. उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री की तरफ से अपेक्षा की गई है. इस पर मैंने साफ मना कर दिया.

शिवपाल यादव पर दर्ज किया मुकदमा

बृजलाल ने बताया कि जब दारोगा शाह आलम से इस्तीफा लिखने के लिए दबाव बनाया जाने लगा तब मैंने उसे आदेश दिया कि प्रधान दर्शन सिंह और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव खिलाफ मुकदमा कायम किया जाए. मुकदमा कायम किया गया. उसी के साथ मुझे नैनीताल ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया. राज्यसभा सांसद बृजलाल ने इंटरव्यू के दौरान ऐसे ही तमाम बातें बताईं हैं.

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