लखनऊ : योगी आदित्यनाथ सरकार जल्द ही उत्तर प्रदेश में ग़ैर-क़ानूनी धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने जा रही है. धोखे से, षड्यंत्र करके धर्मांतरण एवं विवाह करने वालों के खिलाफ शिकंजा कसने के लिए राज्य सरकार यह कदम उठा रही है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि शादी-ब्याह के लिए धर्म-परिवर्तन आवश्यक नहीं है, इसे मान्यता नहीं मिलनी चाहिए. इसके बाद योगी ने कहा था कि सरकार भी इस बारे में फैसला ले रही है और लव जिहाद को सख्ती से रोकेंगे. सीएम योगी ने पिछले दिनों लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनाने और अभियान चलाने का ऐलान किया था. उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने 2019 में मुख्यमंत्री को इस विषय पर एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसको लेकर अब सरकार में सक्रियता देखी जा रही है. गृह विभाग ने इसका प्रस्ताव बनाकर विधि व न्याय विभाग को भेज दिया है. ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस ए.एन. मित्तल से इसी मामले में खास बातचीत की.
राज्य विधि आयोग ने 2019 में सौंपी थी रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ए.एन. मित्तल ने बताया कि राज्य विधि आयोग ने नवंबर 2019 में ही ग़ैर-क़ानूनी धर्मांतरण के विषय पर अध्ययन करने के बाद मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंप दी थी. रिपोर्ट में प्रस्तावित अधिनियम का प्रारूप भी संलग्न किया गया. प्रस्तावित अधिनियम में यह व्यवस्था की गई है कि अगर किसी व्यक्ति के द्वारा लालच देकर, किसी षड्यंत्र के द्वारा, अच्छी शिक्षा का आश्वासन देकर, भय दिखा कर या अन्य किसी भी कारण से किसी व्यक्ति का धर्मांतरण कराया जाता है तो वह विधि के विरुद्ध होगा. वह धर्मांतरण अवैध माना जाएगा. इसमें षड्यंत्र करने वाले के खिलाफ दंड का प्रावधान भी किया गया है.
प्रमुख बिंदु-
- लालच, षडयंत्र, डर दिखाकर या फिर अन्य कारण से धर्मांतरण गलत.
- शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन अवैध है.
- भिन्न धर्मों को मानने वालों की शादी के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट है
- धर्म की जानकारी छिपाकर शादी करना अपराध है.
- स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने के लिए कानूनी प्रक्रिया है.
शादी के लिए धर्मांतरण जरूरी नहीं
जस्टिस मित्तल कहते हैं कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 25 में व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता दी गई है. इसका आशय यह है कि कोई भी व्यक्ति कोई भी धर्म अपना सकता है. इसमें कहीं कोई बाधा नहीं है. परंतु जो मामले प्रकाश में आ रहे हैं, वे चौंकाने वाले हैं. इसमें यह देखा जा रहा है कि कई ईसाई मिशनरी व अन्य लोग लालच देकर लोगों को षड्यंत्र करके, धोखे में रखकर धर्मांतरण के लिए उकसा रहे हैं. कुछ मामले ऐसे भी आते हैं जिनमें दो व्यक्ति, जो शादी करने वाले हैं, वह विभिन्न धर्मों के होते हैं. उसमें युवक या युवती केवल शादी करने के लिए धर्मांतरण करते हैं. यह कानूनी रूप से उचित नहीं है. इस बारे में उच्च न्यायालय ने भी हाल ही में एक निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा है कि शादी करने के लिए किया गया धर्मांतरण पूरी तरह से अवैध है.
विवाह करने से सार्वजनिक नोटिस जारी होगा
जस्टिस मित्तल ने कहा, "मैं यह भी बता देना चाहता हूं कि अगर कोई दो अलग-अलग धर्मों के व्यक्ति शादी करना चाहते हैं, वे बालिग हैं तो उसके लिए स्पेशल मैरिज एक्ट 1925 बना हुआ है. इसमें एक प्रक्रिया के तहत विवाह अधिकारी के यहां अपना आवेदन प्रस्तुत करेंगे. उस आवेदन पत्र पर संबंधित पक्ष के माता-पिता को नोटिस जाएगा. एक जनरल नोटिस भी जारी किया जाएगा. अगर किसी को कोई आपत्ति हो तो वह अपनी आपत्ति वहां दर्ज करा सकता है. यह आपत्ति विवाह अधिकारी के समक्ष दर्ज कराई जाएगी. विवाह अधिकारी उन आपत्तियों को दृष्टिगत रखते हुए अपना निर्णय ले सकते हैं."
प्रमुख बिंदु-
- अगर कोई व्यक्ति धोखे से शादी करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान.
- आयोग ने इस मामले में स्वत: ही संज्ञान लेकर अध्ययन किया है.
- भारत के 10 राज्यों में इस तरह का क़ानून पहले से ही लागू है.
- राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश आदि राज्यों में लागू है.
- मध्य प्रदेश ने भी अपने क़ानून में संशोधन करने का फ़ैसला किया है.
- MP ने हमारे प्रस्तावित क़ानून से भी अधिकांश चीजें ली हैं.
- पहला राज्य मध्य प्रदेश था जिसने धर्मांतरण को लेकर अपना क़ानून बनाया.
- इसके बाद ओडिशा ने इस बारे में क़ानून बनाया.
वधू से जानकारी छुपाने पर भी होगी कार्रवाई
जस्टिस मित्तल ने कहा, "इसमें आपत्ति से मेरा आशय यह है कि बहुत बार प्रकाश में आया है कि कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा है, तलाकशुदा है, उसके एक से अधिक पत्नियां हैं. ऐसी दशा में यदि प्रस्तावित वधू से यह बात छुपाई गई है तो विवाह अधिकारी के पास शिकायत की जा सकती है. उसके खिलाफ दंड का प्रावधान है. जस्टिस मित्तल ने धर्मांतरण के खिलाफ बनाए जा रहे कानून के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
प्रमुख बिंदु-
- सामान्य तौर पर धर्मांतरण करने पर कोई सज़ा नहीं
- धोखा, लालच, बल प्रयोग आदि के बल पर धर्मांतरण कराने पर 3 साल की सज़ा का प्रावधान
- जुर्माने का भी प्रावधान किया गया.
- नाबालिग, SC/ST से संबंधित लोगों के धर्मांतरण के मामले में 7 साल तक की सज़ा का प्रावधान
- सामूहिक धर्मांतरण कराने पर 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान
- धोखा देकर धर्मांतरण कर की गयी शादी को चुनौती दी जा सकती है.
- नवंबर महीने तक धर्मांतरण क़ानून लागू हो जाना चाहिए.
इसी माह बनेगा कानून
जस्टिस मित्तल ने बताया कि मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे प्रदेश के करीब 10 राज्यों में धर्मांतरण के खिलाफ कानून लागू है. उत्तर प्रदेश पहला राज्य नहीं है. मुझे उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इसी माह धर्मांतरण के खिलाफ कानून को मूर्त रूप दे देगी.