लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की. इस पर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ पत्रकार और आर्थिक मामलों के जानकार अतुल चंद्रा से खास बातचीत की.
ईटीवी भारत से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार अतुल चंद्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा जरूर की, लेकिन 20 लाख करोड़ में से 10 लाख करोड़ पहले ही आ चुके थे. वो चाहे आरबीआई के माध्यम से हो, चाहे वो हो, जो एक लाख 70 हजार करोड़ की निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी. इसलिए इसे हम 10 लाख करोड़ कहें तो ज्यादा सही होगा. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो घोषणाएं की हैं, वो एमएसएमई और अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि एमएसएमई ही किसी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी मानी जाती है.
उन्होंने कहा कि निवेश को लेकर उत्तर प्रदेश में प्रयास तो हो रहे हैं, लेकिन वो प्रयास कितने सफल होंगे, हमारे समझ से यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि हमने जो विगत वर्षों में देखा है, हमको उसके परिणाम कोई बहुत अच्छे नजर नहीं आए हैं, चाहे वह डिफेंस कॉरिडोर हो या उससे पहले हुए इन्वेस्टर समिट हो. ऐसा नहीं है कि निवेश नहीं आए, लेकिन जितने की अपेक्षा थी, उतना नहीं आए.
'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' पर क्या बोले वरिष्ठ पत्रकार
यूपी में सरकार ने अपना वन ड्रिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट शुरू किया है, लेकिन यह चीजें काफी पहले से थीं. अब आपने उसे एक नाम दे दिया. क्या हमें नहीं मालूम था बनारस और आजमगढ़ जिले की साड़ियां मशहूर हैं. क्या हमें कन्नौज, मुरादाबाद और अलीगढ़ में बनने वाले सामान के बारे में जानकारी नहीं थी.
वोकल फॉर लोकल पर क्या बोले वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि स्वदेशी को लेकर बाबा रामदेव ने एक मुहिम चलाई, जिसका परिणाम यह हुआ कि वे बड़े बिजनेसमैन के रूप में उभर कर आ गए. अब वे वापस फिर नीचे आ गए हैं, यह अलग बात है. चूंकि इस मुहिम को गृहमंत्री अमित शाह ने अपना सपोर्ट दे दिया है तो यह चलेगी.
सेंसेक्स या निफ्टी में आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद आए उछाल पर क्या बोले वरिष्ठ पत्रकार
जो अनाउंसमेंट हुई उससे एक बहुत बड़ी उम्मीद बंधी थी कि एमएसएमई को बड़ी राहत मिलने वाली है, जो सही साबित हो गई. एमएसएमई को जो घोषणा हो गई वो बहुत ज्यादा है. हमको आने वाले समय में सेंसेक्स में पॉजिटिव ट्रेंड दिखाई देखा. अगला अनाउंसमेंट क्या होगा, यह देखना होगा.
सरकार ने बदली एमएसएमई की परिभाषा
वरिष्ठ पत्रकार अतुल चंद्रा ने बताया कि सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा बदल दी है. पहले यह था कि माइक्रो के हिसाब से 25 लाख से ज्यादा का निवेश नहीं हो सकता था और उसके टर्नओवर के लिए भी एक सीमा निर्धारित की गई थी. अब यह हुआ है कि वो निवेश तो 25 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ तक हो सकता है. साथ में टर्नओवर भी अगर लिमिट को पार करता है तो फिर भी वह माइक्रो की परिभाषा में ही सीमित रहेगा. उसे यह नहीं कहा जाएगा कि तुम अब माइक्रो से मीडियम हो गए हो. इसी तरह मीडियम के लिए भी निवेश की एक सीमा तय है, उसमें भी छूट दी गई है.
लोकल इंफ्रास्ट्रक्चर कैसे मजबूत होगा
लोकल इंफ्रास्ट्रक्चर कैसे मजबूत होगा, इस पर वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि योगी जी जो भी प्रवासी मजदूर वापस आ रहे हैं, उन्हें गांव की सड़क बनाने में लगवा देंगे, ये एक इंफ्रास्ट्रक्चर हो गया. दूसरा इंफ्रास्ट्रक्चर रियल स्टेट के रूप में होगा. रियल स्टेट सेक्टर जो हमारा बैठा हुआ है, उसे किस तरह राहत दिया जाएगा. इसके लिए वित्त मंत्री ने सारे राज्यों के रेरा को कुछ आदेश दिए हैं कि किस तरह वे अपने नियमों को रिलैक्स करें. अगर उत्तर प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो यहां दो बड़े नए एक्सप्रेस-वे बन रहे हैं. गांव की नहर का निर्माण कर सकते हैं, पुल का निर्माण कर सकते हैं. ये सारी सुविधाएं हमें मिल सकती हैं, अगर जो मजदूर वापस आ रहे हैं, उनका सही इस्तेमाल हो जाए.
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कोरोना के खिलाफ जंग में उत्तर प्रदेश कहां है
वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि अभी तक हमारा जो प्रयास है, वह बहुत सराहनीय है. इसमें कोई दो राय नहीं है. देश की जनसंख्या को देखते हुए संक्रमित लोग बहुत कम हैं. साथ ही कोरोना से सम्बन्धित मृत्युदर भी बहुत कम है. हर व्यक्ति के मन में एक शंका है कि जो ए सिंप्टोमेटिक लोग हैं, वह इस वायरस को बढ़ाने में कितनी भूमिका निभाएंगे. दरअसल, ए सिंप्टोमैटिक लोग वे होते हैं, जिनमें बीमारी से सम्बन्धित कोई लक्षण दिखाई नहीं देते. वरिष्ठ पत्रकार ने आशंका जताई कि एं सिंप्टोमैटिक लोगों की वजह से वायरस के फैलने की आशंका बढ़ गई है.