ETV Bharat / state

मिट्टी की सेहत का रखें ख्याल, रसायन का कम करें इस्तेमाल - रासायनिक खाद का प्रयोग

मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती... यह मशहूर गाना तो आपने जरूर सुना होगा, लेकिन यह तभी मुमकिन है जब हम अपने खेतों की मिट्टी की सेहत का ख्याल रखें. समय-समय पर मिट्टी की जांच कराते रहें और नियमानुसार ही खेतों में रासायनिक खाद का प्रयोग करें.

मृदा परीक्षण
मृदा परीक्षण
author img

By

Published : Dec 5, 2020, 6:27 PM IST

लखनऊः 5 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मृदा दिवस मनाया जाता है. इस दिन लोगों को जागरूक किया जाता है कि कैसे वह अपने खेतों की मिट्टी का ख्याल रखें और समय-समय पर उसके पोषक तत्वों की जांच कराते रहें. अंतरराष्ट्रीय मृदा दिवस के मौके पर ईटीवी भारत की टीम राजधानी की सरकारी प्रयोगशाला में पहुंची, जहां मिट्टी की जांच के बारे में जानकारी ली.

मिट्टी की सेहत के लिए मृदा परीक्षण है जरूरी.

सरकारी प्रयोगशाला के टेक्निकल असिस्टेंट योगेश शर्मा ने बताया कि मिट्टी की जांच बहुत जरूरी होती है. किसान भाई बिना मिट्टी की जांच कराए ही अधिकता में उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है. वहीं, अगर लखनऊ क्षेत्र की बात की जाए तो उसके आसपास के क्षेत्रों में खेतों की मिट्टी में जिंक की काफी कमी आ गई है.

12 पैरामीटर्स पर होती है मिट्टी की जांच
सरकारी प्रयोगशाला में मिट्टी की जांच के 12 पैरामीटर्स निर्धारित किए गए हैं, जिसमें माइक्रोवेव मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की जांच की जाती है. वहीं, मिट्टी का पीएच भी देखा जाता है, जिससे यह पता चलता है कि मिट्टी में कितनी उर्वरा शक्ति बची हुई है. इसके बाद किसान को निर्धारित रूप से मिट्टी में रसायन का इस्तेमाल करने को बताया जाता है.

3 साल में एक बार होती है जांच
प्रयोगशाला के टेक्निकल असिस्टेंट योगेश शर्मा ने बताया कि 3 साल में एक बार मिट्टी की जांच की जाती है. कोई भी व्यक्ति हमारे यहां अपने खेतों की मिट्टी की जांच करा सकता है. इसके लिए 102 रुपये निर्धारित शुल्क लिया जाता है. वहीं, सरकार द्वारा चलाई जा रही सोशल हेल्थ कार्ड योजना के तहत मुफ्त में भी मिट्टी की जांच की जाती है.

लखनऊः 5 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मृदा दिवस मनाया जाता है. इस दिन लोगों को जागरूक किया जाता है कि कैसे वह अपने खेतों की मिट्टी का ख्याल रखें और समय-समय पर उसके पोषक तत्वों की जांच कराते रहें. अंतरराष्ट्रीय मृदा दिवस के मौके पर ईटीवी भारत की टीम राजधानी की सरकारी प्रयोगशाला में पहुंची, जहां मिट्टी की जांच के बारे में जानकारी ली.

मिट्टी की सेहत के लिए मृदा परीक्षण है जरूरी.

सरकारी प्रयोगशाला के टेक्निकल असिस्टेंट योगेश शर्मा ने बताया कि मिट्टी की जांच बहुत जरूरी होती है. किसान भाई बिना मिट्टी की जांच कराए ही अधिकता में उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है. वहीं, अगर लखनऊ क्षेत्र की बात की जाए तो उसके आसपास के क्षेत्रों में खेतों की मिट्टी में जिंक की काफी कमी आ गई है.

12 पैरामीटर्स पर होती है मिट्टी की जांच
सरकारी प्रयोगशाला में मिट्टी की जांच के 12 पैरामीटर्स निर्धारित किए गए हैं, जिसमें माइक्रोवेव मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की जांच की जाती है. वहीं, मिट्टी का पीएच भी देखा जाता है, जिससे यह पता चलता है कि मिट्टी में कितनी उर्वरा शक्ति बची हुई है. इसके बाद किसान को निर्धारित रूप से मिट्टी में रसायन का इस्तेमाल करने को बताया जाता है.

3 साल में एक बार होती है जांच
प्रयोगशाला के टेक्निकल असिस्टेंट योगेश शर्मा ने बताया कि 3 साल में एक बार मिट्टी की जांच की जाती है. कोई भी व्यक्ति हमारे यहां अपने खेतों की मिट्टी की जांच करा सकता है. इसके लिए 102 रुपये निर्धारित शुल्क लिया जाता है. वहीं, सरकार द्वारा चलाई जा रही सोशल हेल्थ कार्ड योजना के तहत मुफ्त में भी मिट्टी की जांच की जाती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.