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इंटरनेशनल कॉफी डे पर सुनिए लखनऊ के मश्हूर इंडियन कॉफी हाउस की कहानी

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Published : Oct 2, 2019, 2:59 PM IST

इंडियन कॉफी हाउस कई मायनों में लखनऊ के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण मंच रहा है. सालों पुराने इस काफी के कई पुराने ग्राहक तो आज भी आते हैं, लेकिन युवा इसके ऑथेंटिक टेस्ट से अंजान हैं. इंटरनेशनल कॉफी डे के मौके पर देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...

लखनऊ के मश्हूर इंडियन कॉफी हाउस की कहानी.

लखनऊ: देश की पहली कॉफी चेन 'कैफे कॉफी डे' के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ कहा करते थे 'अलॉट कैन हैपन ओवर कॉफी' यानी कॉफी के दौरान जिंदगी में काफी कुछ हो सकता है. आज चाय पर चर्चा के साथ ही कॉफी भी एक परंपरा और पहचान का रूप ले चुकी है. इंटरनेशनल कॉफी डे के मौके पर देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट.

लखनऊ के मश्हूर इंडियन कॉफी हाउस की कहानी.

इसे भी पढ़ें: ईटीवी भारत की ओर से देश के सर्वश्रेष्ठ गायकों ने बापू को दी संगीतमय श्रद्धांजलि

1960 में कैसा था लखनऊ का इंडियन कॉफी हाउस

इंडियन कॉफी हाउस कई मायनों में लखनऊ के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण मंच रहा है. प्रयागराज से आए डॉ मोहम्मद हारून सिद्दीकी कहते हैं कि 1960 के दशक के आसपास जब हम लखनऊ में कॉलेज में पढ़ा करते थे, तो हमारा रूटीन था कि हम दिन में कुछ घंटे जरूर इंडियन कॉफी हाउस में बिताएं. इंडियन कॉफी हाउस एक ऐसी जगह होती थी, जहां देर रात तक चहल-पहल कम नहीं होती थी.

  • यहां तमाम बड़े राजनीतिज्ञ नेता और कई अन्य लोग आते थे.
  • घंटों बैठने के बावजूद कोई रोकने-टोकने वाला नहीं था.
  • राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षिक जैसी तमाम बातें एक जगह पर सुनने को मिल जाती थी.
  • यहां पर सिर्फ पुराने लोग ही आते हैं क्योंकि युवा कैफे कॉफी डे, नेस्कैफे और बरिस्ता जैसी जगहों पर जाने लगे हैं.
  • पहले इंडियन कॉफी हाउस में आकर राजनीति के तमाम पहलुओं पर कुछ न कुछ सीखने को मिलता था.

लोग ऑथेंटिक टेस्ट के लिए आते थे इंडियन कॉफी हाउस

इंडियन कॉफी हाउस के संचालक केके सिंह कहते हैं कि पहले यहां पर लोग ऑथेंटिक कॉफी के टेस्ट के लिए आते थे. आज भी अन्य कॉफी हाउस की अपेक्षा इंडियन कॉफी हाउस में कॉफी बेहतरीन और किफायती दामों पर मिलती है.

इंटरनेशनल कॉफी डे पर नवाबों की नगरी के इंडियन कॉफी हाउस की कहानी यह बयां कर रही है कि भले ही कॉफी हाउस इसके मिजाज बदल गए हो, लेकिन आज भी कॉफी पर किस्से कहानियों का दौर जारी है.

लखनऊ: देश की पहली कॉफी चेन 'कैफे कॉफी डे' के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ कहा करते थे 'अलॉट कैन हैपन ओवर कॉफी' यानी कॉफी के दौरान जिंदगी में काफी कुछ हो सकता है. आज चाय पर चर्चा के साथ ही कॉफी भी एक परंपरा और पहचान का रूप ले चुकी है. इंटरनेशनल कॉफी डे के मौके पर देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट.

लखनऊ के मश्हूर इंडियन कॉफी हाउस की कहानी.

इसे भी पढ़ें: ईटीवी भारत की ओर से देश के सर्वश्रेष्ठ गायकों ने बापू को दी संगीतमय श्रद्धांजलि

1960 में कैसा था लखनऊ का इंडियन कॉफी हाउस

इंडियन कॉफी हाउस कई मायनों में लखनऊ के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण मंच रहा है. प्रयागराज से आए डॉ मोहम्मद हारून सिद्दीकी कहते हैं कि 1960 के दशक के आसपास जब हम लखनऊ में कॉलेज में पढ़ा करते थे, तो हमारा रूटीन था कि हम दिन में कुछ घंटे जरूर इंडियन कॉफी हाउस में बिताएं. इंडियन कॉफी हाउस एक ऐसी जगह होती थी, जहां देर रात तक चहल-पहल कम नहीं होती थी.

  • यहां तमाम बड़े राजनीतिज्ञ नेता और कई अन्य लोग आते थे.
  • घंटों बैठने के बावजूद कोई रोकने-टोकने वाला नहीं था.
  • राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षिक जैसी तमाम बातें एक जगह पर सुनने को मिल जाती थी.
  • यहां पर सिर्फ पुराने लोग ही आते हैं क्योंकि युवा कैफे कॉफी डे, नेस्कैफे और बरिस्ता जैसी जगहों पर जाने लगे हैं.
  • पहले इंडियन कॉफी हाउस में आकर राजनीति के तमाम पहलुओं पर कुछ न कुछ सीखने को मिलता था.

लोग ऑथेंटिक टेस्ट के लिए आते थे इंडियन कॉफी हाउस

इंडियन कॉफी हाउस के संचालक केके सिंह कहते हैं कि पहले यहां पर लोग ऑथेंटिक कॉफी के टेस्ट के लिए आते थे. आज भी अन्य कॉफी हाउस की अपेक्षा इंडियन कॉफी हाउस में कॉफी बेहतरीन और किफायती दामों पर मिलती है.

इंटरनेशनल कॉफी डे पर नवाबों की नगरी के इंडियन कॉफी हाउस की कहानी यह बयां कर रही है कि भले ही कॉफी हाउस इसके मिजाज बदल गए हो, लेकिन आज भी कॉफी पर किस्से कहानियों का दौर जारी है.

Intro:लखनऊ। देश की पहली कॉफी चेन 'कैफे कॉफी डे' के संस्थापक वी जी सिद्धार्थ कहा करते थे 'अलॉट कैन हैपन ओवर कॉफी' यानी कॉफी के दौरान जिंदगी में काफी कुछ हो सकता है। उनकी यह बात एकदम सटीक है। आज चाय पर चर्चा के साथ ही कॉफी भी एक परंपरा और पहचान का रूप ले चुकी है। हर शहर की कहानी में कोई न कोई कॉफी हाउस एक अहम किरदार रहा है। जिस के मंच पर उस शहर से जुड़े बाशिंदों ने न जाने कितनी कहानियां पकाई होंगी। इंटरनेशनल कॉफी डे पर ईटीवी भारत आपके लिए लाया है नवाबों की नगरी में कभी बेहद मशहूर रहा इंडियन कॉफी हाउस की बदलती कहानी-


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इंडियन कॉफी हाउस कई मायनों में लखनऊ के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण मंच रहा है। प्रयागराज से आए डॉ मोहम्मद हारून सिद्दीकी कहते हैं कि 1960 के दशक के आसपास जब हम लखनऊ में कॉलेज में पढ़ा करते थे तो हमारा रूटीन था कि हम दिन में कुछ घंटे जरूर इंडियन कॉफी हाउस में बिताएं। इंडियन कॉफी हाउस एक ऐसी जगह होती थी जहां देर रात तक चहल-पहल कम नहीं होती थी। यहां तमाम बड़े राजनीतिज्ञ नेता और कई अन्य लोग आते थे यह एक ऐसी जगह थी जहां घंटों बैठने के बावजूद कोई रोकने टोकने वाला नहीं था। यहां तक कि यहां एक सकारात्मक माहौल हुआ करता था। राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षिक जैसी तमाम बातें एक जगह पर सुनने को मिल जाती थी। वह कहते हैं कि कई बार तो यहां पर राजनेता बैठे-बैठे ही कोई फैसला ले लिया करते थे, जो आगे चलकर हमें अखबारों मैं पढ़ने को मिलते थे। आज मैं देख रहा हूं कि यहां पर सिर्फ पुराने लोग भी बैठे हैं, क्योंकि युवा कैफे कॉफी डे, नेस्कैफे और बरिस्ता जैसी जगहों पर जाने लगे हैं। इसे देखकर काफी दुख होता है कि लोग कॉफी हाउस और यहां की कॉफी की महत्ता भी भूलते जा रहे हैं।

इंडियन कॉफी हाउस में ही कॉफी का चस्का लेने आए लखनऊ के बहजाद हुसैन कहते हैं कि आजकल के युवा राजनीति में आना तो चाहते हैं लेकिन कुछ सीखने के लिए नहीं और उनके उद्देश्य अलग ही होते हैं पहले इंडियन कॉफी हाउस में आकर राजनीति के तमाम पहलुओं पर कुछ न कुछ सीखने को मिलता था अब ऐसा कुछ नहीं दिखता।

इंडियन कॉफी हाउस के संचालक के के सिंह कहते हैं की पहले यहां पर लोग ऑथेंटिक कॉफी के टेस्ट के लिए आते थे और आज भी अन्य कॉफी हाउस इसकी अपेक्षा इंडियन कॉफी हाउस में कॉफ़ी बेहतरीन और किफायती दामों पर कॉफी मिलती है जो लोग इस कॉफी का टेस्ट जानते हैं वह इंडियन कॉफी हाउस लगातार आते रहते हैं।


Conclusion:इंडियन कॉफ़ी हाउस में पहली बार आये आशुतोष कहते हैं कि यह सुकून और शांति के लिहाज से काफी बेहतरीन जगह है। हालांकि युवाओं को ज्यादातर भीड़भाड़ वाली जगह पसंद आती है पर या अगर इतिहास के गवाह रहे इस इंडियन कॉफी हाउस की कॉफी को वह रखेंगे तो शायद बेहतर भविष्य की ओर भी आगे बढ़ सकते हैं।

इंटरनेशनल कॉफी डे पर नवाबों की नगरी के इंडियन कॉफी हाउस की कहानी यह बयां कर रही है कि भले ही कॉफी हाउस इसके मिजाज बदल गए हो लेकिन आज भी कॉफी पर किस्से कहानियों का दौर जारी है।

बाइट- डॉक्टर मोहम्मद हारून सिद्दीकी
बाइट- बहजाद हुसैन
बाइट- आशुतोष
बाइट- के के सिंह, संचालक, इंडियन कॉफी हाउस

रामांशी मिश्रा
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