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लखनऊ: केजीएमयू में 'ICD-10' पर वर्कशॉप का किया गया आयोजन, डॉक्टरों को दी गई महत्वूर्ण जानकारी

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज पर एक कार्यशाला का आयोजन किया. इस आयोजन में कई तरह की बीमारियों की इंटरनेशनल कोडिंग के बारे में बात की गई.

क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज पर कार्यशाला का किया गया आयोजन.
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Published : Jul 14, 2019, 4:47 AM IST

लखनऊ : शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के शताब्दी अस्पताल फेज 2 में इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसको करने का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर बीमारी की कोडिंग करना है. इससे मरीजों के इलाज करने में बेहद आसानी होगी.

क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज पर कार्यशाला का किया गया आयोजन.

कार्यशाला की प्रमुख बातें:

  • ICD-10 की वर्कशॉप डॉक्टरों और प्रोफेसरों के लिए एक बेहतरीन और सकारात्मक कदम रहा.
  • इस आयोजन में केजीएमयू के डॉक्टरों समेत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो के अधिकारी गण मौजूद रहे.

इस कार्यक्रम को करने का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर बीमारी की कोडिंग करना है. इससे मरीजों के इलाज करने में बेहद आसानी होगी. साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बीमारी को पहचानने में मुश्किल नहीं आएगी.

-प्रोफेसर डॉ. एसके सिंह, डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन, केजीएमयू

इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज की वर्कशॉप दो तरह से होती है. इसमें आज आयोजित हुई वर्कशॉप टर्शियरी केयर हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेजेस को शामिल कर की गई है. जिसमें टेक्निकल सेशन के द्वारा हम यह बता सकेंगे कि किसी भी बीमारी की कोडिंग कैसे करनी है. इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उस बीमारी को पहचानने में आसानी होगी.

-एमसी शुक्ला, डिप्टी डायरेक्टर, केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो

लखनऊ : शनिवार को किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के शताब्दी अस्पताल फेज 2 में इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसको करने का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर बीमारी की कोडिंग करना है. इससे मरीजों के इलाज करने में बेहद आसानी होगी.

क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज पर कार्यशाला का किया गया आयोजन.

कार्यशाला की प्रमुख बातें:

  • ICD-10 की वर्कशॉप डॉक्टरों और प्रोफेसरों के लिए एक बेहतरीन और सकारात्मक कदम रहा.
  • इस आयोजन में केजीएमयू के डॉक्टरों समेत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो के अधिकारी गण मौजूद रहे.

इस कार्यक्रम को करने का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर बीमारी की कोडिंग करना है. इससे मरीजों के इलाज करने में बेहद आसानी होगी. साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बीमारी को पहचानने में मुश्किल नहीं आएगी.

-प्रोफेसर डॉ. एसके सिंह, डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन, केजीएमयू

इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज की वर्कशॉप दो तरह से होती है. इसमें आज आयोजित हुई वर्कशॉप टर्शियरी केयर हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेजेस को शामिल कर की गई है. जिसमें टेक्निकल सेशन के द्वारा हम यह बता सकेंगे कि किसी भी बीमारी की कोडिंग कैसे करनी है. इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उस बीमारी को पहचानने में आसानी होगी.

-एमसी शुक्ला, डिप्टी डायरेक्टर, केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो

Intro:लखनऊ। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो ने आज किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के शताब्दी अस्पताल फेज 2 में इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिसीज़ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आयोजन में तमाम तरह की बीमारियों की इंटरनेशनल कोडिंग के बारे में बात की गई।


Body:वीओ1 आयोजन में केजीएमयू के डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ एसके सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम को करने का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर बीमारी की कोडिंग करना है। इस कोडिंग से डॉक्टर किसी भी मर्ज को आसानी से एक कोर्ट में डायग्नोज कर सकते हैं। इससे मरीजों के इलाज करने में बेहद आसानी साथ होगी। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बीमारी को पहचानने में मुश्किल नहीं आएगी। icd-10 की वर्कशॉप डॉक्टरों और प्रोफेसर एस के लिए एक बेहतरीन और सकारात्मक कदम साबित हो सकती है। वही केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो के डिप्टी डायरेक्टर एमसी शुक्ला ने कहा कि इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज की वर्कशॉप दो तरह से होती है। इसमें आज आयोजित हुई वर्कशॉप टर्शियरी केयर हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेजेस को शामिल कर की गई है, जिसमें टेक्निकल सेशन के द्वारा हम यह बता सकेंगे कि किसी भी बीमारी की कोडिंग कैसे करनी है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उस बीमारी को पहचानने में आसानी होगी। फिलहाल हमारी परेशानी यह है कि हम जिला स्तर पर इसके बारे जागरूकता नहीं फैला पा रहे हैं। हमारी कोशिश जारी है कि छोटे से छोटे स्तर पर भी आईसीडी के बारे में जानकारी दी जा सके ताकि इससे मरीजों के इलाज में बेहतरी लाई जा सके।


Conclusion:इस आयोजन में केजीएमयू के डॉक्टरों समेत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो के अधिकारी गण मौजूद रहे। बाइट- एमसी शुक्ला बाइट- डॉक्टर एस के सिंह केजीएमयू
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