लखनऊः देश के सबसे चर्चित और विवादित अयोध्या मसले पर इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अपने आखिरी दौर में है. इसका फैसला नवंबर में आने की उम्मीद जताई जा रही है. इन सबके बीच अयोध्या मसले को आपसी बातचीत के जरिए भी हल करने की कोशिशें जारी हैं. जिसके चलते लखनऊ में इंडियन मुस्लिम फॉर पीस के बैनर तले, कई हिंदू-मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने एक मंच से अयोध्या मसले को आपसी सहमति से हल करने पर जोर दिया.
बैठक में शामिल हुए कई बुद्धिजीवी
इंडियन मुस्लिम फॉर पीस के बैनर तले लखनऊ में अयोध्या मसले को लेकर होने वाली इस बैठक में रिटायर्ड आईएएस अनीस अंसारी, पद्मश्री डॉ मंसूर हसन, पूर्व मंत्री मोहित अहमद, रिटायर्ड आईपीएस निसार अहमद, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर जमीरउद्दीन शाह और पूर्व आईपीएस विभूति नारायण राय शामिल हुए. बुद्धिजीवियों ने कहा कि हिंदुस्तान में लोग अमन के पक्षधर हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत होगा, लेकिन बेहतर होगा कि सुलह से अयोध्या विवाद हल हो.
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अयोध्या जमीन कर दिया जाए सुप्रीम कोर्ट के हवाले
मीडिया को जानकारी देते हुए आईएएस अनीस अंसारी ने बताया कि इस बैठक में 4 प्रस्ताव रखे गए हैं, जिसमें हमारा मानना है कि अयोध्या मसले के हिंदू मुस्लिम पक्षकार और सुप्रीम कोर्ट की सहमति के साथ, इस मसले का हल आपसी बातचीत से तय हो जाए. इससे फैसला आने के बाद किसी को भी कोई रंज ना रहे. अनीस अंसारी ने कहा कि बेहतर होगा कि अयोध्या में विवादित जमीन का टुकड़ा सरकार को दे दिया जाए.
उन्होंने कहा कि इसके बदले में मुस्लिम पक्ष को कहीं दूसरी जगह मस्जिद के लिए जमीन मुहैया करा दी जाए. इसके अलावा प्लेसेस ऑफ़ वरशिप ऐप कानून के तहत जो 15 अगस्त 1947 से धार्मिक स्थलों की हैसियत न बदलने का हुक्म है. उसमें सजा के प्रावधान को 3 महीने से बढ़ाकर 3 साल या उम्र कैद कर दी जाए.