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अयोध्या मुद्दे पर बोले पूर्व आईएएस अनीस अंसारी, कहा-सरकार को दे दी जाए विवादित जमीन

यूपी के लखनऊ में विवादित अयोध्या मसले पर इंडियन मुस्लिम फॉर पीस के बैनर तले कई बुद्धिजीवियों ने बैठक की. इस बैठक में रिटायर्ड आईएएस अनीस अंसारी ने कहा कि अयोध्या में विवादित जमीन का टुकड़ा सरकार को दे दिया जाए और फिर कोर्ट में मुस्लिम पक्ष अगर जीत भी जाए, तो भी जमीन राम मंदिर के लिए दे दी जाए. इसके बदले में मुस्लिम पक्ष को कहीं दूसरी जगह मस्जिद के लिए जमीन मुहैया करा दी जाए.

पूर्व आईएएस अधिकारी.
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Published : Oct 11, 2019, 1:51 AM IST

लखनऊः देश के सबसे चर्चित और विवादित अयोध्या मसले पर इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अपने आखिरी दौर में है. इसका फैसला नवंबर में आने की उम्मीद जताई जा रही है. इन सबके बीच अयोध्या मसले को आपसी बातचीत के जरिए भी हल करने की कोशिशें जारी हैं. जिसके चलते लखनऊ में इंडियन मुस्लिम फॉर पीस के बैनर तले, कई हिंदू-मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने एक मंच से अयोध्या मसले को आपसी सहमति से हल करने पर जोर दिया.

मीडिया से बात करते रिटायर्ड आईएएस अनीस अंसारी.

बैठक में शामिल हुए कई बुद्धिजीवी
इंडियन मुस्लिम फॉर पीस के बैनर तले लखनऊ में अयोध्या मसले को लेकर होने वाली इस बैठक में रिटायर्ड आईएएस अनीस अंसारी, पद्मश्री डॉ मंसूर हसन, पूर्व मंत्री मोहित अहमद, रिटायर्ड आईपीएस निसार अहमद, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर जमीरउद्दीन शाह और पूर्व आईपीएस विभूति नारायण राय शामिल हुए. बुद्धिजीवियों ने कहा कि हिंदुस्तान में लोग अमन के पक्षधर हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत होगा, लेकिन बेहतर होगा कि सुलह से अयोध्या विवाद हल हो.

पढे़ं- लखनऊ: मुस्लिम लीग ने अयोध्या मामले में मध्यस्थता का किया विरोध

अयोध्या जमीन कर दिया जाए सुप्रीम कोर्ट के हवाले

मीडिया को जानकारी देते हुए आईएएस अनीस अंसारी ने बताया कि इस बैठक में 4 प्रस्ताव रखे गए हैं, जिसमें हमारा मानना है कि अयोध्या मसले के हिंदू मुस्लिम पक्षकार और सुप्रीम कोर्ट की सहमति के साथ, इस मसले का हल आपसी बातचीत से तय हो जाए. इससे फैसला आने के बाद किसी को भी कोई रंज ना रहे. अनीस अंसारी ने कहा कि बेहतर होगा कि अयोध्या में विवादित जमीन का टुकड़ा सरकार को दे दिया जाए.

उन्होंने कहा कि इसके बदले में मुस्लिम पक्ष को कहीं दूसरी जगह मस्जिद के लिए जमीन मुहैया करा दी जाए. इसके अलावा प्लेसेस ऑफ़ वरशिप ऐप कानून के तहत जो 15 अगस्त 1947 से धार्मिक स्थलों की हैसियत न बदलने का हुक्म है. उसमें सजा के प्रावधान को 3 महीने से बढ़ाकर 3 साल या उम्र कैद कर दी जाए.

लखनऊः देश के सबसे चर्चित और विवादित अयोध्या मसले पर इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अपने आखिरी दौर में है. इसका फैसला नवंबर में आने की उम्मीद जताई जा रही है. इन सबके बीच अयोध्या मसले को आपसी बातचीत के जरिए भी हल करने की कोशिशें जारी हैं. जिसके चलते लखनऊ में इंडियन मुस्लिम फॉर पीस के बैनर तले, कई हिंदू-मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने एक मंच से अयोध्या मसले को आपसी सहमति से हल करने पर जोर दिया.

मीडिया से बात करते रिटायर्ड आईएएस अनीस अंसारी.

बैठक में शामिल हुए कई बुद्धिजीवी
इंडियन मुस्लिम फॉर पीस के बैनर तले लखनऊ में अयोध्या मसले को लेकर होने वाली इस बैठक में रिटायर्ड आईएएस अनीस अंसारी, पद्मश्री डॉ मंसूर हसन, पूर्व मंत्री मोहित अहमद, रिटायर्ड आईपीएस निसार अहमद, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर जमीरउद्दीन शाह और पूर्व आईपीएस विभूति नारायण राय शामिल हुए. बुद्धिजीवियों ने कहा कि हिंदुस्तान में लोग अमन के पक्षधर हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत होगा, लेकिन बेहतर होगा कि सुलह से अयोध्या विवाद हल हो.

पढे़ं- लखनऊ: मुस्लिम लीग ने अयोध्या मामले में मध्यस्थता का किया विरोध

अयोध्या जमीन कर दिया जाए सुप्रीम कोर्ट के हवाले

मीडिया को जानकारी देते हुए आईएएस अनीस अंसारी ने बताया कि इस बैठक में 4 प्रस्ताव रखे गए हैं, जिसमें हमारा मानना है कि अयोध्या मसले के हिंदू मुस्लिम पक्षकार और सुप्रीम कोर्ट की सहमति के साथ, इस मसले का हल आपसी बातचीत से तय हो जाए. इससे फैसला आने के बाद किसी को भी कोई रंज ना रहे. अनीस अंसारी ने कहा कि बेहतर होगा कि अयोध्या में विवादित जमीन का टुकड़ा सरकार को दे दिया जाए.

उन्होंने कहा कि इसके बदले में मुस्लिम पक्ष को कहीं दूसरी जगह मस्जिद के लिए जमीन मुहैया करा दी जाए. इसके अलावा प्लेसेस ऑफ़ वरशिप ऐप कानून के तहत जो 15 अगस्त 1947 से धार्मिक स्थलों की हैसियत न बदलने का हुक्म है. उसमें सजा के प्रावधान को 3 महीने से बढ़ाकर 3 साल या उम्र कैद कर दी जाए.

Intro:देश के सबसे चर्चित और विवादित अयोध्या मसले पर इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अपने आखिरी दौर में है इसका फैसला नवंबर में आने की उम्मीद जताई जा रही है इन सबके बीच अयोध्या मसले को आपसी बातचीत के जरिए भी हल करने की कोशिशें जारी हैं जिसके चलते लखनऊ में इंडियन मुस्लिम फॉर पीस के बैनर तले कई हिंदू मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने एक मंच से अयोध्या मसले को आपसी सहमति से हल करने पर जोर दिया


Body:इंडियन मुस्लिम फॉर पीस के बैनर तले लखनऊ में अयोध्या मसले को लेकर होने वाली इस बैठक में रिटायर्ड आईएएस अनीस अंसारी, पद्मश्री डॉ मंसूर हसन, पूर्व मंत्री मोहित अहमद, रिटायर्ड आईपीएस निसार अहमद, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर जमीरउद्दीन शाह व पूर्व आईपीएस विभूति नारायण राय शामिल हुए। बुद्धिजीवियों ने कहा कि हिंदुस्तान में लोग अमन के पक्षधर हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत होगा लेकिन बेहतर होगा कि सुलह से अयोध्या विवाद हल हो इस मौके पर रिटायर्ड आईएएस अनीस अंसारी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि इस बैठक में 4 प्रस्ताव रखे गए हैं जिसमें हमारा मानना है कि अयोध्या मसले के हिंदू मुस्लिम पक्षकार और सुप्रीम कोर्ट की सहमति के साथ इस मसले का हल आपसी बातचीत से तय हो जाए जिससे फैसला आने के बाद किसी को भी कोई रंज ना रहे अनीस अंसारी ने कहा कि बेहतर होगा कि अयोध्या में विवादित जमीन का टुकड़ा सरकार को दे दिया जाए या फिर कोर्ट में मुस्लिम पक्ष अगर जीत भी जाए तो भी जमीन राम मंदिर के लिए दे दी जाए जिसके बदले में मुस्लिम पक्ष को कहीं दूसरी जगह मस्जिद के लिए जमीन मुहैया करा दी जाए इसके अलावा प्लेसेस ऑफ़ वरशिप ऐप के कानून के तहत जो 15 अगस्त 1947 से धार्मिक स्थलों की हैसियत ना बदलने का हुक्म है उसमें सजा के प्रावधान को 3 महीने से बढ़ाकर 3 साल या उम्र कैद की सजा कर दी जाए जिससे देश में दोबारा दूसरी मस्जिद और मंदिरों को लेकर फसाद ना पैदा होने पाए।

बाइट- अनीस अंसारी, पूर्व आईएएस


Conclusion: हालांकि पहले भी अयोध्या मसले को आपसी बातचीत के जरिए हल किए जाने की तमाम कोशिश की गई है लेकिन अब अदालत में मामला अपने आखिरी दौर में चल रहा है ऐसे में अब देखना यह दिलचस्प होगा कि आने वाले वक्त में कोर्ट से मामला हल होता है या फिर इस मसले को आपसी सहमति से सुलझा लिया जाता है
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