लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बाराबंकी की एक विधवा महिला की एफआईआर पर कार्रवाई के बजाय उल्टा उसके ही कमरे को लॉक करने के मामले में गम्भीर रुख अपनाया है. न्यायालय ने बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक को मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चन्द्रा व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने बाराबंकी के थाना कोतवाली क्षेत्र निवासिनी शोभा शर्मा की याचिका पर पारित किया. याची के अधिवक्ता चन्दन श्रीवास्तव का कहना था कि याची एक विधवा महिला है. वह अपने दो नाबालिग बच्चों के साथ ससुर के बनाए मकान में रहती है जहां उसके जेठ का परिवार भी रहता है. कहा गया कि उक्त मकान के हिस्से को लेकर विवाद था जिसे थाना दिवस में जिलाधिकारी व एसपी के आदेश पर दोनों पक्षों में सुलह करवा के समाप्त करवा दिया गया था, बावजूद इसके 9 जुलाई 2023 को याची के हिस्से के कमरे पर कब्जा करने के नियत से कमरे की दीवार तोड़कर कीमती सामान उठा लिए गए. याची की शिकायत पर एसपी ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया तब एफआईआर तो दर्ज हो गई, लेकिन जांच करने आए सब-इंस्पेक्टर फिरोज ने उल्टा याची के कमरे की चाभी ले ली. ऑडियो रिकॉर्डिंग का हवाला देते हुए, दलील दी गई कि याची ने उक्त सब-इंस्पेक्टर को फोन कर के चाभी वापस देने का अनुरोध किया व यह भी कहा कि उक्त कमरे में उसका राशन पानी रखा हुआ है, जिसकी वजह से उसे खाने तक की दिक्कत हो रही है लेकिन सब-इंस्पेक्टर ने उसे चाभी नहीं लौटाई. न्यायालय ने याची पक्ष की दलीलें सुनने के बाद पारित अपने आदेश में कहा कि याची एसपी को सभी साक्ष्य 14 दिनों में उपलब्ध कराए व एसपी दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करें.