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दारोगा ने सीबीसीआईडी के अधिकारियों पर दर्ज कराई एफआईआर, जानें क्या है मामला

सीबीसीआईडी के अधिकारियों पर दर्ज हुई एफआईआर. दरोगा नेपाल सिंह ने हजरतगंज कोतवाली में दर्ज कराया मुकदमा. सीबीसीआईडी पर घूस लेने का आरोप लगाया. 156/3 के तहत कोर्ट के आदेश के बाद सीबीसीआईडी के अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज हुई.

हजरतगंज कोतवाली
हजरतगंज कोतवाली
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Published : Dec 10, 2021, 7:59 PM IST

लखनऊ : सीबीसीआईडी के अधिकारियों ने विगत दिनों दारोगा नेपाल सिंह (Inspector Nepal Singh) समेत कई पुलिस कर्मियों पर एक निर्दोष को जेल भेजने का आरोप पत्र दाखिल करते हुए अलीगंज थाने में मामला दर्ज करवाया.

इस मामले में आरोपी बने पुलिस कर्मियों ने खुद को निर्दोष बताते हुए अधिकारियों से गुहार लगाई थी. जब कहीं से कोई राहत नहीं मिली तो दारोगा नेपाल सिंह ने कोर्ट का सहारा लेकर सीबीसीआईडी के अधिकारियों पर मामला दर्ज करवाया है.

दारोगा नेपाल सिंह ने सीबीसीआईडी के अधिकारी आजाद सिंह केसरी, केपी दुबे व मनीष मिश्र समेत तीन अज्ञात के खिलाफ धारा-167, 504, 384, 389, 468, 471, 193, 13(1) के तहत हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवाई है. इस मामले में पुलिस जांच कर रही है.

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दरोगा नेपाल सिंह की मानें तो वह मौजूदा समय में गोमती नगर विस्तार थाने (Gomti Nagar Extension Police Station) में तैनात हैं. उन्होंने बताया कि साल 2018 में अलीगंज थाने में उनकी तैनाती के दौरान 16/17 जुलाई 2018 की रात मुखबिर ने सूचना दी कि केनरा बैंक एटीएम (Canara Bank ATM) के पास दो व्यक्ति एटीएम तोड़ने की योजना बना रहे हैं.

इस सूचना पर उन्होंने मौके पर पहुंचकर दो व्यक्तियों मनीष मिश्र एवं उसके साथी इरफान उर्फ राजू को गिरफ्तार कर लिया. इस दौरान आरोपियों ने पुलिस पर फायर भी किया. गिरफ्तारी के समय उनके साथ दारोगा वीर भान सिंह व सिपाही पंकज राय एवं मिथिलेश गिरी उपस्थित थे.

अपराध के साक्ष्य मिलने पर चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल की गई लेकिन आरोपियों ने आरोप पत्र दाखिल होने की बात छुपाते हुए इस मामले की जांच 4 फरवरी 2020 में सीबीसीआईडी से करवाए जाने का आदेश शासन से करवा लिया.

7 फरवरी 2020 को इस मामले की विवेचना के लिए इंस्पेक्टर आजाद सिंह केसरी को नामित किया गया. आजाद सिंह केसरी द्वारा उन्हें बयान देने के लिए जवाहर भवन हजरतगंज स्थित अपने कार्यालय बुलाया गया. दारोगा नेपाल सिंह ने बताया उनके साथ दारोगा वीरभान सिंह सिपाही, पंकज राय एवं सिपाही मिथिलेश गिरी भी गए.

दारोगा नेपाल सिंह का आरोप है कि विवेचक आजाद सिंह केसरी (Investigator Azad Singh Kesari) ने 10 लाख रुपये की उनसे मांग की. न देने पर गिरफ्तारी को अवैधानिक साबित करने एवं विवेचना में अंतिम आख्या लगाने के साथ ही उन पर झूठा मुकदमा दर्ज कराने की बात कही थी.

यह भी आरोप है कि उन्होंने विरोध किया तो विवेचक ने उनसे आरोपियों की गिरफ्तारी के समर्थन में तथ्य प्रस्तुत करने पर इंस्पेक्टर आजाद सिंह केसरी द्वारा उनको व उनके साथी पुलिस कर्मियों के सामने अपमानित किया.

15 दिन में पैसा न देने की स्थिति में परिणाम भुगतने की धमकी भी दी. इंस्पेक्टर को पैसा न दिया गया तो उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए अपने कार्यालय में बयान दर्ज किए जाने की बात कहकर बुलाया था.

इस दौरान उन पर रुपये देने का दबाव बनाने लगे. इस बात की जब उनके द्वारा शिकायत करने की बात कही गई तो विवेचक आजाद सिंह केसरी ने उनका कॉलर पकड़ कर खींच लिया और मारपीट पर आमादा हो गए. उस समय नेपाल सिंह अपनी वर्दी में थे. इस बीच उनके साथ मौजूद दरोगा वीर मान भी कार्यालय में मौजूद थे जिन्होंने बीच-बचाव करके मामले को शांत कराया.

आरोप है कि विवेचक आजाद सिंह केसरी द्वारा मांगी गई घूस की मांग पूरी न होने पर उन्होंने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए बिना किसी साक्ष्य के विवेचना व गिरफ्तारी के दौरान हुई तकनीकी त्रुटियों को आवश्यकता से अधिक महत्व देते हुए दुरभिसंधि के अंतर्गत झूठे साक्ष्य गढ़कर उनके व उनके साथियों के खिलाफ मामले की अंतिम रिपोर्ट न्यायालय में प्रेषित कर दी.

इस आरोप पत्र के मामले में सीबीसीआईडी के विवेचक आजाद सिंह केसरी ने अपनी विवेचना में संकलित झूठे आधारहीन एवं मनगढ़ंत साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय में प्रेषित की थी. अंतिम आख्या को आधार बनाते हुए एवं अंतिम आख्या में की गई संस्तुति के अनुक्रम में विवेचक द्वारा नेपाल सिंह व उनकी टीम में शामिल दारोगा व सिपाही के खिलाफ प्रतिशोध की भावना से थाना अलीगंज में एक अप्रैल 2021 को मुकदमा दर्ज करवाया गया था. इसकी विवेचना थाना मड़ियांव में तैनात निरीक्षक मोहम्मद अहमद को सौंपी गई थी.

अलीगंज थाने में दर्ज हुई एफआईआर की जांच कर रहे इंस्पेक्टर मोहम्मद अहमद द्वारा बैंक मैनेजर से प्राप्त पत्र के आधार पर यह पाया गया कि सीबीसीआईडी विवेचक आजाद सिंह केसरी ने आरोपी मनीष मिश्रा के बैंक ऑफ इंडिया सीतापुर रोड शाखा (Bank Of India Sitapur Road Branch) लखनऊ स्थित खाता संख्या 6839 3021 00.... को जिस पर मनीष मिश्र द्वारा साल 2017 में 7 लाख रुपये का लोन लिया गया था (जो एनपीए हो चुका है), उसका बचत खाता बताकर आर्थिक रूप से समृद्ध बताने का प्रयास सीबीसीआईडी विवेचक आजाद सिंह केसरी द्वारा किया गया.

इसके अलावा केस डायरी में अन्य कई गवाहों के फर्जी एवं मनगढ़ंत बयान दर्जकर नेपाल सिंह व उनके साथी पुलिस कर्मियों द्वारा की गई आरोपियों की गिरफ्तारी को झूठा बताने एवं आरोपियों को अनुचित लाभ सीबीसीआईडी विवेचक आजाद सिंह केसरी द्वारा दिया गया है.

यह भी आरोप लगाया कि सीबीसीआईडी विवेचक द्वारा नेपाल सिंह व उनके साथी पुलिस कर्मियों को झूठे एवं मनगढ़ंत मामले में फंसाने की नीयत से विवेचना के दौरान झूठे साक्ष्य गढ़े गए. मनगढ़ंत बयान दर्ज कर फर्जी कूट रचित केस डायरी व दस्तावेज तैयार की गई है जिसके आधार पर विवेचक आजाद सिंह केसरी द्वारा नेपाल सिंह व उनके साथी पुलिस कर्मियों के खिलाफ झूठे एवं मनगढ़ंत मामले में झूठा मुकदमा अलीगंज थाने में दर्ज कराया गया.

दारोगा नेपाल सिंह व उसके साथी पुलिसकर्मियों द्वारा सीबीसीआईडी विवेचक निरीक्षक आजाद सिंह केसरी की रुपयों की मांग पूरी न किए जाने के कारण उनके द्वारा लगातार पुलिस कर्मियों को प्रताड़ित किया जा रहा था. साथ ही झूठे एवं मनगढ़ंत मामले में फंसाने की उनके द्वारा धमकी दी गई थी.

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लखनऊ : सीबीसीआईडी के अधिकारियों ने विगत दिनों दारोगा नेपाल सिंह (Inspector Nepal Singh) समेत कई पुलिस कर्मियों पर एक निर्दोष को जेल भेजने का आरोप पत्र दाखिल करते हुए अलीगंज थाने में मामला दर्ज करवाया.

इस मामले में आरोपी बने पुलिस कर्मियों ने खुद को निर्दोष बताते हुए अधिकारियों से गुहार लगाई थी. जब कहीं से कोई राहत नहीं मिली तो दारोगा नेपाल सिंह ने कोर्ट का सहारा लेकर सीबीसीआईडी के अधिकारियों पर मामला दर्ज करवाया है.

दारोगा नेपाल सिंह ने सीबीसीआईडी के अधिकारी आजाद सिंह केसरी, केपी दुबे व मनीष मिश्र समेत तीन अज्ञात के खिलाफ धारा-167, 504, 384, 389, 468, 471, 193, 13(1) के तहत हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवाई है. इस मामले में पुलिस जांच कर रही है.

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इस सूचना पर उन्होंने मौके पर पहुंचकर दो व्यक्तियों मनीष मिश्र एवं उसके साथी इरफान उर्फ राजू को गिरफ्तार कर लिया. इस दौरान आरोपियों ने पुलिस पर फायर भी किया. गिरफ्तारी के समय उनके साथ दारोगा वीर भान सिंह व सिपाही पंकज राय एवं मिथिलेश गिरी उपस्थित थे.

अपराध के साक्ष्य मिलने पर चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल की गई लेकिन आरोपियों ने आरोप पत्र दाखिल होने की बात छुपाते हुए इस मामले की जांच 4 फरवरी 2020 में सीबीसीआईडी से करवाए जाने का आदेश शासन से करवा लिया.

7 फरवरी 2020 को इस मामले की विवेचना के लिए इंस्पेक्टर आजाद सिंह केसरी को नामित किया गया. आजाद सिंह केसरी द्वारा उन्हें बयान देने के लिए जवाहर भवन हजरतगंज स्थित अपने कार्यालय बुलाया गया. दारोगा नेपाल सिंह ने बताया उनके साथ दारोगा वीरभान सिंह सिपाही, पंकज राय एवं सिपाही मिथिलेश गिरी भी गए.

दारोगा नेपाल सिंह का आरोप है कि विवेचक आजाद सिंह केसरी (Investigator Azad Singh Kesari) ने 10 लाख रुपये की उनसे मांग की. न देने पर गिरफ्तारी को अवैधानिक साबित करने एवं विवेचना में अंतिम आख्या लगाने के साथ ही उन पर झूठा मुकदमा दर्ज कराने की बात कही थी.

यह भी आरोप है कि उन्होंने विरोध किया तो विवेचक ने उनसे आरोपियों की गिरफ्तारी के समर्थन में तथ्य प्रस्तुत करने पर इंस्पेक्टर आजाद सिंह केसरी द्वारा उनको व उनके साथी पुलिस कर्मियों के सामने अपमानित किया.

15 दिन में पैसा न देने की स्थिति में परिणाम भुगतने की धमकी भी दी. इंस्पेक्टर को पैसा न दिया गया तो उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए अपने कार्यालय में बयान दर्ज किए जाने की बात कहकर बुलाया था.

इस दौरान उन पर रुपये देने का दबाव बनाने लगे. इस बात की जब उनके द्वारा शिकायत करने की बात कही गई तो विवेचक आजाद सिंह केसरी ने उनका कॉलर पकड़ कर खींच लिया और मारपीट पर आमादा हो गए. उस समय नेपाल सिंह अपनी वर्दी में थे. इस बीच उनके साथ मौजूद दरोगा वीर मान भी कार्यालय में मौजूद थे जिन्होंने बीच-बचाव करके मामले को शांत कराया.

आरोप है कि विवेचक आजाद सिंह केसरी द्वारा मांगी गई घूस की मांग पूरी न होने पर उन्होंने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए बिना किसी साक्ष्य के विवेचना व गिरफ्तारी के दौरान हुई तकनीकी त्रुटियों को आवश्यकता से अधिक महत्व देते हुए दुरभिसंधि के अंतर्गत झूठे साक्ष्य गढ़कर उनके व उनके साथियों के खिलाफ मामले की अंतिम रिपोर्ट न्यायालय में प्रेषित कर दी.

इस आरोप पत्र के मामले में सीबीसीआईडी के विवेचक आजाद सिंह केसरी ने अपनी विवेचना में संकलित झूठे आधारहीन एवं मनगढ़ंत साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय में प्रेषित की थी. अंतिम आख्या को आधार बनाते हुए एवं अंतिम आख्या में की गई संस्तुति के अनुक्रम में विवेचक द्वारा नेपाल सिंह व उनकी टीम में शामिल दारोगा व सिपाही के खिलाफ प्रतिशोध की भावना से थाना अलीगंज में एक अप्रैल 2021 को मुकदमा दर्ज करवाया गया था. इसकी विवेचना थाना मड़ियांव में तैनात निरीक्षक मोहम्मद अहमद को सौंपी गई थी.

अलीगंज थाने में दर्ज हुई एफआईआर की जांच कर रहे इंस्पेक्टर मोहम्मद अहमद द्वारा बैंक मैनेजर से प्राप्त पत्र के आधार पर यह पाया गया कि सीबीसीआईडी विवेचक आजाद सिंह केसरी ने आरोपी मनीष मिश्रा के बैंक ऑफ इंडिया सीतापुर रोड शाखा (Bank Of India Sitapur Road Branch) लखनऊ स्थित खाता संख्या 6839 3021 00.... को जिस पर मनीष मिश्र द्वारा साल 2017 में 7 लाख रुपये का लोन लिया गया था (जो एनपीए हो चुका है), उसका बचत खाता बताकर आर्थिक रूप से समृद्ध बताने का प्रयास सीबीसीआईडी विवेचक आजाद सिंह केसरी द्वारा किया गया.

इसके अलावा केस डायरी में अन्य कई गवाहों के फर्जी एवं मनगढ़ंत बयान दर्जकर नेपाल सिंह व उनके साथी पुलिस कर्मियों द्वारा की गई आरोपियों की गिरफ्तारी को झूठा बताने एवं आरोपियों को अनुचित लाभ सीबीसीआईडी विवेचक आजाद सिंह केसरी द्वारा दिया गया है.

यह भी आरोप लगाया कि सीबीसीआईडी विवेचक द्वारा नेपाल सिंह व उनके साथी पुलिस कर्मियों को झूठे एवं मनगढ़ंत मामले में फंसाने की नीयत से विवेचना के दौरान झूठे साक्ष्य गढ़े गए. मनगढ़ंत बयान दर्ज कर फर्जी कूट रचित केस डायरी व दस्तावेज तैयार की गई है जिसके आधार पर विवेचक आजाद सिंह केसरी द्वारा नेपाल सिंह व उनके साथी पुलिस कर्मियों के खिलाफ झूठे एवं मनगढ़ंत मामले में झूठा मुकदमा अलीगंज थाने में दर्ज कराया गया.

दारोगा नेपाल सिंह व उसके साथी पुलिसकर्मियों द्वारा सीबीसीआईडी विवेचक निरीक्षक आजाद सिंह केसरी की रुपयों की मांग पूरी न किए जाने के कारण उनके द्वारा लगातार पुलिस कर्मियों को प्रताड़ित किया जा रहा था. साथ ही झूठे एवं मनगढ़ंत मामले में फंसाने की उनके द्वारा धमकी दी गई थी.

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