लखनऊः यूपी के डीजीपी मुकुल गोयल (DGP Mukul Goyal) महकमे में नई व्यवस्था को लागू करने से इंस्पेक्टर संवर्ग में खासी नाराजगी है. हालांकि, इंस्पेक्टर्स कुछ खुलकर नहीं बोल रहे हैं. लेकिन, सोशल मीडिया के जरिये अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं. डीजीपी की नई व्यवस्था के मुताबिक, अब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी एडिशनल एसपी और पुलिस उपाधीक्षक के पेशकार होंगे. नई व्यवस्था के आधार पर सबसे पहले लखीमपुर खीरी जनपद में 1984 से लेकर 2012 बैच तक के 8 इंस्पेक्टर को बतौर पेशकार तैनात भी कर दिया गया है. जबकि अभी तक एडिशनल एसपी के पेशकार सब इंस्पेक्टर और पुलिस उपाधीक्षक के पेशकार हेड कांस्टेबल होते थे.
इंस्पेक्टर संवर्ग के अधिकारियों का सोशल मीडिया पर दर्द छलक रहा है. इंस्पेक्टरों का कहना है कि यह सही निर्णय नहीं है. वह खुल कर तो कुछ नहीं कह पा रहे हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर मैसेज के सहारे अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. इंस्पेक्टरों कहना है कि, इंस्पेक्टर अब तक पुलिस अधीक्षक या उनसे उच्च स्तर के अधिकारियों के पेशकार के तौर पर तैनात होते थे. अब एडिशनल एसपी और पुलिस उपाधीक्षक के पेशकार के तौर पर काम करना कैसे संभव है?
डीजीपी ने इंस्पेक्टरों की नाराजगी पर तर्क दिया है कि जिलों में थाना प्रभारी के पद पर नियुक्त होने के बाद जो अतिरिक्त इंस्पेक्टर बचते हैं या जो 58 साल की आयु पूरी कर चुके हैं, उनसे अपर पुलिस अधीक्षक और पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय में पेशकार का काम लेने के आदेश किये गए हैं. दरअसल, अपर पुलिस अधीक्षक या पुलिस उपाधीक्षक सरकारी काम से कार्यालय या मुख्यालय से बाहर रहते हैं, तो उनकी अनुपस्थिति में आमजन की समस्याएं सुनने के लिए कोई उच्च स्तर का अधिकारी नहीं रहता है. इससे आम जनता को दिक्कत होती है और उन्हें अधिकारी से मिलने के लिए बार-बार उनके कार्यालय आना पड़ता है. इसके अलावा अपर पुलिस अधीक्षक और पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय के अभिलेख, अपराध रजिस्टर, एसआर पत्रावली आदि का रखरखाव का जैसा स्तर होना चाहिए, वैसा नहीं हो पा रहा है.
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डीजीपी मुकुल गोयल के द्वारा जारी किए गए आदेश के मुताबिक, योग्य, कार्यकुशल, अनुभवी, कर्मठ, ईमानदार, दक्ष और स्वस्थ इंस्पेक्टर का सदुपयोग किया जाना विभागीय हित में होगा. प्रदेश में जिलों के लिए इंस्पेक्टर के 3,642 पद स्वीकृत हैं. इसके सापेक्ष 3,057 इंस्पेक्टर इस समय थानों और कार्यालयों में तैनात हैं. इनमें से थाना प्रभारी के पद पर नियुक्त होने के बाद जो अतिरिक्त इंस्पेक्टर बचते हैं या जो इंस्पेक्टर 58 साल की आयु पूरी कर चुके हैं, उन्हें थाना प्रभारी के पद पर नीतिगत आधार पर तैनात नहीं किया जा सकता है. 58 वर्ष से कम आयु के भी प्रत्येक जिले में ऐसे कई इंस्पेक्टर हैं, जिनका सदुपयोग नहीं हो पा रहा है.