लखनऊ : इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के अंतर्गत आने वाले यूपीसीडा में भ्रष्ट और दागी छवि के अधिकारियों की पोस्टिंग के मामले में सरकार ने चुप्पी साध रखी है. विधान परिषद सदन में भी इस मामले पर सरकार ने गोलमोल जवाब दिया है. जिसको लेकर विपक्षी सदस्यों की तरफ से सरकार पर हमला बोला गया है. दागी अफसरों और अभियंताओं की पोस्टिंग गलत तरीके से की गई है. एफआईआर बर्खास्तगी जैसे मामलों को छिपाकर पोस्टिंग दी गई है. जिससे सरकार के जीरो टॉलरेंस पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
बता दें, उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक प्राधिकरण यूपीसीडा में तबादलों में जमकर अनियमितताएं बरती गईं. इस कदर खेल हुआ हुआ कि जिन अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस जांच, एफआईआर और बर्खास्तगी जैसे मामले लंबित हैं उन्हें मलाईदार पोस्टिंग आखिर कैसे और किसके संरक्षण में दे दी गई है. सबसे चौंकाने वाली तो यह है कि सत्तारूढ़ भाजपा के विधान परिषद सदस्य वरिष्ठ नेता देवेंद्र प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक प्राधिकरण यानी यूपीसीड़ा में ट्रांसफर सत्र के दौरान हुए गलत तरीके से ट्रांसफर की अनियमितता के मामले को खुद विधान परिषद सदन में उठाया है. देवेंद्र प्रताप सिंह ने सदन में औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता से पूछा है कि यूपीसीडा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में किन परिस्थितियों के कारण भ्रष्ट और दागी अधिकारियों अभियन्ताओं को महत्वपूर्ण तैनाती दी गई है. ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई कब की जाएगी. इस सवाल पर विधान परिषद सदन में मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ने कहा कि वह इसकी जांच कराएंगे. ऐसा किन परिस्थितियों कारण किया गया है.
बहरहला सवाल यह है कि विदेशी निवेश लाने की कवायद में जुटी पूरी सरकार जीरो टॉलरेंस के अंतर्गत काम करने का दावा कर रही है, लेकिन औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भ्रष्ट और दागी छवि वाले अधिकारियों को महत्वपूर्ण पोस्टिंग देकर शासन की आंख में धूल झोंकने वाले जिम्मेदार अफसरों पर आखिर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई. जब यह मामला उच्च सदन में उठाया गया तो फिर कार्रवाई में देरी क्यों हो रही है. इंडस्ट्री डिपार्टमेंट में इस कारनामे की खूब चर्चा हो रही है. कुछ बड़े अधिकारियों की मनमानी के चलते सारे नियम कायदे कानून ताक पर रखकर बड़े बड़े खेल किए जा रहे हैं.
इन अफसरों को दी गई है महत्वपूर्ण जिम्मेदारी, जिनके ऊपर हैं गम्भीर आरोप | ||
|
|