लखनऊ: राज्य में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर डबल खतरा बना हुआ है. एक तरफ बीपी, डायबिटीज, थायरॉइड, एनीमिया जैसी बीमारी महिलाओं पर हावी हैं, वहीं दूसरी तरफ जीवन साथी उन्हें एचआईवी का दंश भी दे रहे हैं. ऐसे में स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने गर्भवतियों की स्क्रीनिंग-ट्रीटमेंट पर जोर देने का फैसला किया है.
केंद्र सरकार द्वारा अभिभावक से बच्चों में एचआईवी संक्रमण रोकने के लिए 'प्रिवेंशन ऑफ पैरेंट टू चाइल्ड ट्रांसमिशन ऑफ एचआईवी' (पीपीटीसीटी) कार्यक्रम शुरू किया गया. इसके तहत स्टेट कंट्रोल सोसाइटी ने राज्य में सालभर में करीब 65 लाख गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच का लक्ष्य रखा है. इसके लिए सरकारी अस्पतालों से लेकर सीएचसी तक में गर्भवती महिलाओं की मुफ्त एचआईवी जांच की सुविधा है. इसमें अभी 73 से 82 फीसद ही महिलाओं की जांच हो पा रही है. वहीं सालभर में हजार से ज्यादा महिलाएं एचआईवी की गिरफ्त में आ रही हैं.
- 70 फीसदी महिलाओं को संक्रमण उनके पति (रेगुलर पार्टनर) से मिला.
- 18 से 20 फीसदी ट्रक ड्राइवर संक्रमण बांट रहे हैं.
- संक्रमित 30 फीसद गर्भवती महिलाओं में एचआईवी के कारण अज्ञात.
- एक लाख गर्भवती में करीब .02 फीसदी महिलाएं पॉजिटिव मिल रही हैं.
वर्ष | जांच लक्ष्य | जांचें हुईं | संक्रमित |
2018 | 64 लाख | 43 फीसदी | 1159 |
2019 | 66 लाख | 82 फीसदी | 1269 |
2020 | 66 लाख | 74 फीसदी | 1273 |