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हाय हाय ये कोरोना: हाईपर टेंशन, ब्लडप्रेशर जैसी कई जानवेला बीमारियों की दवाओं के बढ़े दाम - लखनऊ न्यूज

कोरोना की वजह से दवाओं के दाम में भी इजाफा हो गया है. चीन से तनाव के बाद देश में दवाओं के निर्माण में आवश्यक कच्चे माल का आयात नहीं हो पा रहा है. ऐसे में फार्मा कंपनियां रॉ मैटेरियल की महंगाई के नाम पर बार-बार दवाओं की कीमतें बढ़ा रही हैं. इसका सीधा असर आम मरीजों की जेब पर पड़ रहा है.

हाय हाय ये कोरोना
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Published : Aug 5, 2021, 2:09 PM IST

लखनऊ: कोरोना ने जनमानस पर जमकर कहर बरपाया है. अभी भी महामारी का खौफ खत्म नहीं हुआ है और तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है. उधर दवा कंपनियां मुनाफाखोरी में जुटी हुई हैं. स्थिति यह है कि पिछले दिनों बारी-बारी से 30 फीसदी तक दवाओं के रेट बढ़ा दिए हैं. इसके चलते मरीजों का इलाज महंगा हो गया है.

रॉ मैटेरियल के नाम पर बढ़ा रहे दाम

देश में करीब 18 लाख करोड़ दवाओं का सालाना कारोबार है. बता दें कि यूपी की 80 हजार फुटकर, 25 हजार थोक दवा की दुकानों पर 2 लाख लाख 40 हजार करोड़ का व्यापार है. चीन से तनाव के बाद देश में दवाओं के निर्माण में आवश्यक कच्चे माल का आयात नहीं हो पा रहा है. ऐसे में फार्मा कंपनियां रॉ मैटेरियल की महंगाई के नाम पर बार-बार दवाओं की कीमतें बढ़ा रही हैं. इसका सीधा असर आम मरीजों की जेब पर पड़ रहा है. कोरोना ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में शामिल समेत कई बीमारियों की दवाओं की कीमतें बढ़ गई हैं.

लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष.

ब्लड प्रेशर से लेकर सांस के रोगियों तक पर आफत

लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन रिटेल के अध्यक्ष आदित्य प्रताप सिंह के मुताबिक पिछले दो-तीन माह के अंदर कई दवाओं की कीमतें बढ़ गई हैं. इसमें ब्लड प्रेशर की एमलोप्रेस का पत्ता 122.8 रुपये से बढ़कर 135.9 का हो गया है. हाईपर टेंशन की मेटोकार्ड टेबलेट का एक पत्ता 60.56 रुपये से बढ़कर 64.28 रुपये हो गया है. ऐसे ही जोड़ों में दर्द की दवा की कीमत 184 रुपये से बढ़कर 202 हो गई है. यूरिक एसिड की एबी फ्लो टेबलेट का पत्ता 112 रुपये से 123, सांस रोगियों का सीरप डुफलेक 505 से 515.69 रुपये, लिवर की एबीफिलिन 123 से 135 रुपये, स्किन की बिटनोवेट क्रीम 33 से 36.60 रुपये, गार्गल करने के लिए बीटाडिन 210 से 230 रुपये, मनोरोग की ओलिन जेड 32 से 37 रुपये, दर्द की इंडोकैप 105 से 115 रुपये, कोलेस्ट्रॉल की रोजवेल 303 का एक पत्ता था, जो बढ़कर 330 का हो गया है.

बैच बदलकर कीमत बढ़ाने का खेल

कोरोना काल में दवा कंपनियों ने नया स्लॉट और बैच नंबर बदलकर एमआरपी बढ़ाने का खेल किया गया है. स्थिति यह है कि कोरोना ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में शामिल आईवर मेक्टिन टेबलेट की सितंबर की मैन्युफैक्चरिंग में जहां 195 रुपये एमआरपी प्रिंट था, वहीं अब बैच नंबर बदलकर कंपनी ने 10 टेबलेट की स्ट्रिप पर 350 एमआरपी डालकर नया स्लॉट बाजार में उतार दिया. ऐसे ही चक्कर आने में दी जाने वाली दवा वर्टिन पहले 174 रुपये की थी. यह अब नए बैच में 200 रुपये का पत्ता हो गया. इसके अलावा डायबिटीज जूनामेट में 70 रुपये बढ़ा दिए गए हैं.

लखनऊ: कोरोना ने जनमानस पर जमकर कहर बरपाया है. अभी भी महामारी का खौफ खत्म नहीं हुआ है और तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है. उधर दवा कंपनियां मुनाफाखोरी में जुटी हुई हैं. स्थिति यह है कि पिछले दिनों बारी-बारी से 30 फीसदी तक दवाओं के रेट बढ़ा दिए हैं. इसके चलते मरीजों का इलाज महंगा हो गया है.

रॉ मैटेरियल के नाम पर बढ़ा रहे दाम

देश में करीब 18 लाख करोड़ दवाओं का सालाना कारोबार है. बता दें कि यूपी की 80 हजार फुटकर, 25 हजार थोक दवा की दुकानों पर 2 लाख लाख 40 हजार करोड़ का व्यापार है. चीन से तनाव के बाद देश में दवाओं के निर्माण में आवश्यक कच्चे माल का आयात नहीं हो पा रहा है. ऐसे में फार्मा कंपनियां रॉ मैटेरियल की महंगाई के नाम पर बार-बार दवाओं की कीमतें बढ़ा रही हैं. इसका सीधा असर आम मरीजों की जेब पर पड़ रहा है. कोरोना ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में शामिल समेत कई बीमारियों की दवाओं की कीमतें बढ़ गई हैं.

लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष.

ब्लड प्रेशर से लेकर सांस के रोगियों तक पर आफत

लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन रिटेल के अध्यक्ष आदित्य प्रताप सिंह के मुताबिक पिछले दो-तीन माह के अंदर कई दवाओं की कीमतें बढ़ गई हैं. इसमें ब्लड प्रेशर की एमलोप्रेस का पत्ता 122.8 रुपये से बढ़कर 135.9 का हो गया है. हाईपर टेंशन की मेटोकार्ड टेबलेट का एक पत्ता 60.56 रुपये से बढ़कर 64.28 रुपये हो गया है. ऐसे ही जोड़ों में दर्द की दवा की कीमत 184 रुपये से बढ़कर 202 हो गई है. यूरिक एसिड की एबी फ्लो टेबलेट का पत्ता 112 रुपये से 123, सांस रोगियों का सीरप डुफलेक 505 से 515.69 रुपये, लिवर की एबीफिलिन 123 से 135 रुपये, स्किन की बिटनोवेट क्रीम 33 से 36.60 रुपये, गार्गल करने के लिए बीटाडिन 210 से 230 रुपये, मनोरोग की ओलिन जेड 32 से 37 रुपये, दर्द की इंडोकैप 105 से 115 रुपये, कोलेस्ट्रॉल की रोजवेल 303 का एक पत्ता था, जो बढ़कर 330 का हो गया है.

बैच बदलकर कीमत बढ़ाने का खेल

कोरोना काल में दवा कंपनियों ने नया स्लॉट और बैच नंबर बदलकर एमआरपी बढ़ाने का खेल किया गया है. स्थिति यह है कि कोरोना ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में शामिल आईवर मेक्टिन टेबलेट की सितंबर की मैन्युफैक्चरिंग में जहां 195 रुपये एमआरपी प्रिंट था, वहीं अब बैच नंबर बदलकर कंपनी ने 10 टेबलेट की स्ट्रिप पर 350 एमआरपी डालकर नया स्लॉट बाजार में उतार दिया. ऐसे ही चक्कर आने में दी जाने वाली दवा वर्टिन पहले 174 रुपये की थी. यह अब नए बैच में 200 रुपये का पत्ता हो गया. इसके अलावा डायबिटीज जूनामेट में 70 रुपये बढ़ा दिए गए हैं.

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