लखनऊ: मौजूदा समय में एच3एन2 से लोग बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं. इनफ्लुएंजा वायरस 15 से 20 दिन तक मरीजों को रहता है. इसी बीच खसरा से भी पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ गई है. सिविल अस्पताल के वरिष्ठ पीडियाट्रिशियन डॉ. वीके गुप्ता का कहना है कि मौजूदा समय में अस्पताल की ओपीडी में खसरा से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ी है. जिन बच्चों को खसरा हो रहा है उन्हें डायरिया, मलेरिया जैसी अन्य बीमारी भी पकड़ रही है. जिन बच्चों को बचपन में खसरा का टीका नहीं लगा है. यह खसरा हो रहा है.
कोविड के बाद से टीकाकरण में हुई कमी: वरिष्ठ पीडियाट्रिशियन वीके गुप्ता ने बताया कि कोरोना के बाद से टीकाकरण कराने वाले बच्चों की कमी हुई है. कोरोना काल में 3 साल तक बच्चों को लगने वाले जरूरी टीके इधर से उधर हुए हैं. जो टीका बच्चे को 6 महीने की उम्र में लगना चाहिए. वह बच्चे को 2 साल की उम्र में लग रहा है. ऐसे में बच्चों को तमाम बीमारियां अपनी गिरफ्त में ले रही हैं. उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में भी बहुत सारे ऐसे अभिभावक है. जो अपने बच्चों को जरूरी टीके नहीं लगवा रहे हैं. यही कारण है कि इस समय बच्चे खसरा से पीड़ित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस समय अस्पताल की ओपीडी में तकरीबन 10 में से 2 बच्चे खसरे के आ रहे हैं.
300 से अधिक बच्चे रोजाना पहुंच रहेः उन्होंने बताया कि इस समय इनफ्लुएंजा से पीड़ित बच्चों की संख्या अस्पताल की पीडियाट्रिशियन विभाग में काफी ज्यादा हो रही है. इस समय 300 बच्चे रोजाना पीडियाट्रिक विभाग में इलाज के लिए आ रहे हैं. एक साथ बच्चों को दो बीमारियां हो जा रही है. जिन बच्चों को खसरे के टीके नहीं लगे हैं वह बुरी तरह से इनफ्लुएंजा से भी पीड़ित हो रहे हैं. अस्पताल में इस दोनों बीमारी से पीड़ित बच्चे आ रहे हैं.
डॉ. वीके गुप्ता बताया कि खसरा रोग संक्रामक वायरस के कारण होने वाला एक संक्रमण रोग है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी आसानी से फैल सकता है. खसरा होने पर इसमें पूरे शरीर पर लाल चकत्ते उभर आते हैं. इसमें शरुआत में लाल दाने सिर में होते हैं फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाते हैं. खसरा रोग को रूबेला (Rubeola) भी कहा जाता है. 6 महीने से 18 साल से कम उम्र के बच्चे अस्पताल के ओपीडी में लाए जा रहे हैं, जो वायरल बुखार से बुरी तरह से प्रभावित है. बहुत से मरीज ऐसे हैं, जिनमें वायरल इन्फ्लूएंजा के साथ ही खसरा के भी लक्षण देखने को मिल रहे हैं.
टीकाकरण जागरूकता अभियान चलाया जा रहा हैः उन्होंने बताया कि इस समय स्वास्थ्य विभाग के द्वारा टीकाकरण जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है. जिससे अभिभावक जागरूक हो और बच्चों को जरूरी टीकाकरण कराएं. जो उनके बच्चों के लिए जरूरी है. कई बार जिन बच्चों को जरूरी टीके नहीं लगे होते हैं जैसे-खसरा, हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, पोलियो. उन्हें बीमारियां जल्द से जल्द अपनी चपेट में लेती हैं. कई बार यह काफी ज्यादा खतरनाक भी साबित होता है. उन्होंने यह भी कहा कि वैसे तो यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग बच्चों को टीका नहीं लगाते हैं. इसलिए अस्पताल की ओपीडी में खसरा से या अन्य बीमारियों से पीड़ित बच्चों की संख्या जो होती है वह मुस्लिम समुदाय के बच्चे होते हैं. इसलिए जरूरी है कि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जो जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. वह जन-जन तक पहुंचे और वह उससे जागरूक हो.
खसरा के लक्षण
- सामान्य से तेज बुखार आना.
- सूखी खांसी आना.
- लगातार नाक बहना.
- गले में खरास बने रहना.
- आंखों में सूजन हो जाना.
- गाल की अंदरूनी परत पर मुंह के अंदर पाए जाने वाले लाल रंग की छाले.
- शरीर पर बड़े दाने के समान लाल चकत्ते जो अक्सर एक दूसरे में प्रवाहित होते हैं.
ऐसे मौसम में बच्चों का रखें ख्याल
- इस समय बच्चे को ज्यादा ठंडे पानी से नहाना है नॉर्मल पानी से बच्चे को उसके समय के अनुरूप नहलाए और समय में परिवर्तन न करें.
- बच्चे को जूस व नारियल पानी पिलाएं. दिन भर थोड़ा-थोड़ा पानी पिलाते रहे ताकि डिहाइड्रेशन की दिक्कत बच्चे को न हो.
- मच्छरों को नष्ट करें. कहीं भी पानी न जमा होने दें और बच्चे को मच्छरदानी के अंदर ही सुनाएं.
- बच्चे को खाने में दाल, दलिया व हरी सब्जियां खिलाएं.
- जिन बच्चों को खसरा का टीका नहीं लगा है या पैदा होने के बाद से 15 साल की उम्र तक जो अनिवार्य टीका होते हैं उन्हें अवश्य लगवाएं ताकि बच्चा किसी बीमारी की चपेट में न आए.
- बच्चे को फुल कपड़ा पहना कर बाहर फैलाने घुमाने के लिए लेकर जाएं.
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