लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 19 मार्च को अपने कार्यकाल का चार साल पूरा कर रही है. इन चार सालों में सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर काफी ध्यान दिया है. नए बिजली घरों की स्थापना की, जिससे उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जा सके. बिजली आपूर्ति में किसी तरह का कोई व्यवधान न पड़े, इसे ध्यान में रखकर ट्रांसफॉर्मरों की क्षमता बढ़ाई गई. हर घर में रोशनी फैल सके इसके लिए सौभाग्य योजना के तहत जिन झुग्गी-झोपड़ियों में शाम होते ही अंधेरा छा जाता था, उन झुग्गी-झोपड़ियों में भी बल्ब जले. करोड़ों नए बिजली कनेक्शन दिए गए. गांवों और मजरों में बिजली पहुंचाई गई. हालांकि इसी दौरान स्मार्ट मीटर को लेकर तमाम सवाल उठे जिससे बिजली विभाग को बैकफुट पर जाना पड़ा. डीएचएफएल घोटाला हुआ जो सरकार के लिए गले की फांस बना. इसके अलावा ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण को लेकर भी कर्मचारी सड़कों पर उतरे. बावजूद इसके चार साल में ऊर्जा क्षेत्र में सरकार का काम जरूर नजर आ रहा है.
गांव और शहर में सुधरी बिजली आपूर्ति की स्थिति
जहां पूर्व में गांव और शहर में बिजली आपूर्ति की हालत खस्ता थी. गांवों में तो कई-कई दिन तक बिजली गुल रहती थी. योगी सरकार ने अपने कार्यकाल में बिजली आपूर्ति पर विशेष ध्यान दिया. इसके तहत प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों, नगरीय निकायों में 24 घंटे, तहसील मुख्यालयों और ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है. सूर्यास्त के बाद ग्रामीण क्षेत्र पूरी तरह से कटौती मुक्त किए गए हैं. यह इसी सरकार में संभव हो पाया है.
इतने गांवों में पहुंची बिजली, इतने को मिली सौभाग्य में बिजली
चार साल में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक करोड़ 38 लाख मुफ्त में नए बिजली कनेक्शन दिए. सौभाग्य योजना के तहत उन घरों में भी बिजली पहुंची जिनमें आजादी के बाद से अब तक लोगों ने बिजली की कल्पना नहीं की थी. एक लाख 21 हजार गांवों में इन चार सालों के दौरान निर्बाध बिजली आपूर्ति की सरकार ने पूरी व्यवस्था की. साल 2017-18 में 61058 मजरों में बिजली पहुंचाई गई और साल 2018-19 में बचे रह गए 7266 नजरों का विद्युतीकरण किया गया. इसके बाद 100% मजारों का विद्युतीकरण हो चुका है. 2017 से अब तक एक लाख 21,324 मजारों का सरकार ने विद्युतीकरण कराया. इसी तरह साल 2017-18 में 35.79 लाख और वर्ष 2020-21 में 10 लाख 48 हजार बिजली कनेक्शन दिए गए. प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) के तहत गरीब परिवारों को नि:शुल्क और अन्य ग्रामीण परिवारों को ₹50 की 10 मासिक किस्तों में बिजली कनेक्शन देने की सुविधा प्रदान की गई.
वितरण क्षेत्र में हुआ सुधार, स्थापित हुए नए उपकेंद्र, बढ़ाई गई क्षमता
प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति हो सके, इसके लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 में 275 नए 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र ऊर्जीकृत किए गए और 529 विद्युत उपकेंद्रों की क्षमता बढ़ाई गई. इसी तरह वित्तीय वर्ष 2018-19 में 236 नए विद्युत उपकेंद्रों का ऊर्जीकरण किया गया और 342 विद्युत उपकेंद्रों की क्षमता बढ़ाई गई. साल 2019-20 में सरकार ने 106 नए विद्युत उपकेंद्र का ऊर्जीकरण किया और 245 नए विद्युत उपकेंद्रों की क्षमता बढ़ाई. वित्तीय वर्ष 2020-21 में अब तक 39 नए विद्युत उपकेंद्र का ऊर्जीकरण और 100 नए विद्युत उपकेंद्रों की क्षमता में वृद्धि की जा चुकी है. एक अप्रैल 2017 से अब तक प्रदेश सरकार ने कुल 656 नए 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र स्थापित किए और कुल 1216 विद्युत उपकेंद्रों की क्षमता बढ़ाई गई.
विद्युत उत्पादन की परियोजनाओं पर हुआ काम
उत्तर प्रदेश में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में साल 2017 से अब तक कुल 3098.77 मेगावाट की विद्युत उत्पादन की परियोजनाएं कमीशन की जा चुकी हैं. इसके अलावा साल 2029-30 तक विद्युत मांग के सापेक्ष विद्युत आपूर्ति के लिए ऊर्जा की आवश्यकता एवं उपलब्धता को ध्यान में रखकर 42146.4 मेगावाट की उपलब्धता के लिए योजना तैयार की गई है. इसमें से वर्तमान में 26997.5 मेगावाट की परियोजनाओं से बिजली मिल रही है. शेष 15148.84 मेगावाट की परियोजनाओं से भविष्य में लोगों को बिजली मिलेगी. इसके अलावा सौर एवं पवन ऊर्जा के प्रोत्साहन के लिए साल 2024 तक कुल 8150 मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता की योजना प्रस्तावित है.उपभोक्ता हित में लागू की गई योजनाएं
प्रदेश सरकार ने नई व्यवस्था के तहत निजी नलकूप के किसानों की पूर्व की व्यवस्था के अनुसार स्वयं ट्रांसफार्मर उतारकर वर्कशॉप लाने की जगह उनके बिजली बिल बकाया नहीं होने की दशा में विभागीय वाहन से ही उनका छतिग्रस्त ट्रांसफार्मर निर्धारित 48 घंटे में बदलने की व्यवस्था की. डार्क जोन में नए निजी नलकूप कनेक्शन देने पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया गया. लगभग 100000 किसानों को सीधा फायदा हुआ. डार्क जोन में साल 2017-18 में 1000, साल 2018-19 में 19415 और साल 2019-20 में 5338 निजी नलकूपों का ऊर्जीकरण कराया गया. इस तरह एक अप्रैल 2017 से अब तक डार्क जोन में कुल 25803 निजी नलकूपों का इलेक्ट्रिफिकेशन किया गया. सामान्य योजना के तहत वर्ष 2017 से अब तक कुल 136775 निजी नलकूप कनेक्शन दिए जा चुके हैं.
लाइन लॉस कम करने के हुए उपाय
लाइन लॉस से बिजली विभाग को काफी नुकसान होता है. इसे कम करने के लिए भी प्रदेश सरकार के इस कार्यकाल में प्रयास किए गए. शहरी क्षेत्रों के तहत अधिक लाइन लॉस वाले क्षेत्रों को चिन्हित करके खुले तारों को एरियल बंच कंडक्टर केबल से बदला गया. इस कार्य के लिए विभागीय बिजनेस प्लान से साल 2018-19 में 103 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए. इस परियोजना के तहत वितरण खंडों में 173 चिन्हित स्थानों पर कार्य स्वीकृत किया गया. साल 2018-19 में 13 स्थानों पर और साल 2019-20 में 146 स्थानों पर कार्य पूरा किया गया. वित्तीय वर्ष 2020-21 में अब तक आठ स्थानों पर कार्य पूरा किया जा चुका है. इस तरह अब तक 167 स्थानों पर तार बदलने का काम पूर्ण हो चुका है और छह स्थानों पर कार्य चल रहा है. अब तक 1076 किलोमीटर एरियल बच कंडक्टर केबल लगाई जा चुकी है.
सरकार ने दिया ओटीएस योजना का लाभ
कोविड-19 महामारी के दौर में प्रदेश के वाणिज्यिक (एलएलबी 2) निजी संस्थान (एलएमबी 4b) और औद्योगिक (एलएमबी 6) विद्युत दर श्रेणी के उपभोक्ताओं के ब्याज अधिभार माफी के लिए सरकार ने एकमुश्त समाधान योजना लागू की. इसमें सभी श्रेणी के बकायेदारों के 30 नवंबर 2020 तक के बकाए पर लगे सरचार्ज को छोड़ते हुए भुगतान करने पर बिजली बकाए के सरचार्ज के रूप में लगाई गई धनराशि में 100% की छूट दी गई. इसके अलावा आम उपभोक्ताओं के लिए भी सरकार ने इसी साल मार्च माह में एकमुश्त समाधान योजना लागू की है. इससे उपभोक्ताओं को सरचार्ज में छूट मिलेगी, वहीं बिजली विभाग जो वर्तमान में 80 से 90 हजार करोड़ रुपए के घाटे में चल रहा है उसकी भी कुछ हद तक भरपाई हो सकेगी.
चर्चा में रहा स्मार्ट मीटर निजी करण डीएचएलएफ घोटाला
उत्तर प्रदेश सरकार के इस कार्यकाल में जहां ऊर्जा क्षेत्र में तमाम काम हुए, वहीं कई ऐसे भी मामले सामने आए जिसमें सरकार ही कटघरे में खड़ी नजर आई. इनमें बिजली विभाग के निजीकरण की आहट को देखते हुए कर्मचारी सड़कों पर उतर पड़े. इसके अलावा उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटर सरदर्द देने वाला साबित हुआ जिसके बाद सरकार ने स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लगा दी. डीएचएफएल घोटाला ऊर्जा विभाग के लिए छवि धूमिल करने वाला साबित हुआ.
काफी काम हुआ पर अभी भी बहुत काम की है जरूरत
जहां तक सवाल है, प्रदेश के उपभोक्ताओं को भरपूर बिजली तो मिल रही है. लो वोल्टेज की बहुत समस्या रहती थी उस पर बहुत काम हुआ है, लेकिन अभी बहुत काम करना बाकी है. उत्तर प्रदेश में बिजली दर बहुत ज्यादा है. इससे जनता बहुत परेशान है. प्रदेश के उपभोक्ताओ का बिजली कंपनियों पर 19534 करोड़ रुपए निकल रहा है. जिससे 25% तक बिजली दर कम हो सकती है. इस पर ध्यान नहीं दिया गया. चार साल की अगर बात की जाए तो स्मार्ट मीटर की प्रक्रिया फेल साबित हुई. डीएचएफएल का मामला बहुत बड़ा रहा. निजीकरण का मामला भी पूरी तरह छाया रहा. टोरेंट पावर की जांच कराई गई उसमें तमाम कमियां निकली हैं. ऊर्जा मंत्री ने माना निजीकरण की सही शुरुआत नहीं हुई. कुल मिलाकर चार साल में कंज्यूमर को कुछ मिला जरूर लेकिन बहुत कुछ पाना है. अभी इस लाभ को ऊंट के मुंह में जीरा साबित करने वाला है. प्रदेश में तीन करोड़ उपभोक्ता हो गए हैं. कार्मिक भर्ती के क्षेत्र में, उत्पादन के क्षेत्र में, सस्ती बिजली के क्षेत्र में, सिस्टम को अपग्रेड करने के क्षेत्र में अभी बहुत काम करने की जरूरत है. तब जाकर प्रदेश के तीन करोड़ उपभोक्ताओं को बिजली मिल पाएगी. सबसे बड़ी चुनौती यह आ रही है कि उपभोक्ताओं द्वारा लिया गया भार 6 करोड़ किलोवाट है और सब स्टेशन की क्षमता पांच करोड़ किलोवाट की है, तो एक करोड़ किलोवाट का मिसमैच है. इसे इंप्रूव करना पड़ेगा तब जाकर अच्छी गुणवत्ता की बिजली मिल पाएगी. सरकार को इमानदारी से अभी प्रयास करना होगा तभी ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा.