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Illegal Ploting : रजिस्ट्री रोक कर क्यों नहीं किया जाता अवैध काॅलोनियों पर नियंत्रण - Bulldozer on Illegal Construction in Lucknow

राजधानी लखनऊ और आसपास के जिलों में अवैध प्लाॅटिंग (Illegal Ploting) और निर्माण की खबरें लगातार मिलती हैं. दरअसल इस खेल में सरकार की मंशा लोगों की भलाई की बजाय अपनी कमाई की है. यही कारण है कि कार्रवाई के नाम पर आम आदमी की गाढ़ी कमाई पर बुलडोजर चला दिया जाता है और मुख्य गुनहगार बच निकलते हैं. देखें विस्तृत खबर.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 11, 2023, 10:33 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर की की चर्चा देशभर में है, लेकिन प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुलडोजर की चर्चा एक और कारण से भी खूब होती है. यह है कथित रूप से अवैध निर्माण, जिनके खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण यानी एनडीए बराबर कार्रवाई करता रहता है. प्राधिकरण की इन्हीं कार्रवाइयों और नोटिसों के बीच आधा शहर अवैध रूप से बस गया है. ऐसे तमाम कालोनियां है, जो अवैध घोषित हैं और वहां लाखों लोग रह रहे हैं. स्वाभाविक है कि अब इन काॅलोनियों के खिलाफ कार्रवाई कर पाना एलडीए के बस की बात नहीं है. हां, नवविकसित इलाकों में प्रॉपर्टी डीलरों और एलडीए के बीच चूहे बिल्ली का खेल जारी है. यहां एक ओर प्लॉटिंग हो रही है तो कहीं-कहीं एलडीए की कार्रवाई की खानापूरी भी. बड़ा सवाल यह है कि यदि एलडीए इन अवैध कॉलोनियों का विकास नहीं चाहता तो क्यों नहीं राजस्व विभाग को चिट्ठी लिखकर रजिस्ट्री हो रोक दी जाती है. न रजिस्ट्री होगी और न ही अवैध निर्माण होंगे.

लखनऊ में अवैध प्लाॅटिंग और निर्माण के कारण.
लखनऊ में अवैध प्लाॅटिंग और निर्माण के कारण.
राजधानी लखनऊ में लगभग दो दर्जन के आसपास अवैध कॉलोनियां चिह्नित की गईं हैं. जिनके खिलाफ ध्वस्तीकरण, सीलिंग और नोटिस आदि की कार्रवाई की जा रही है. बावजूद इसके इन क्षेत्रों में भी निर्माण कार्य धड़ल्ले से चल रहे हैं. स्वाभाविक है कि कहीं न कहीं इसमें एलडीए के अभियंताओं और कर्मचारियों की मिलीभगत भी होती है. यही कारण है कि राजधानी में नियम विरुद्ध तरीके से इतनी काॅलोनियां तैयार हो गईं और एलडीए हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा. जिस अभियंता के क्षेत्र में अवैध निर्माण हो, उसके खिलाफ कार्रवाई का नियम बने तो शायद इस पर रोक लग सके. वहीं प्रापर्टी डीलर कृषि की जमीनों को कम दरों पर खरीद कर प्लाॅटिंग करते हैं और मालामाल हो जाते हैं. सरकार के पास आसान उपाय है कि वह ऐसी जमीनों की रजिस्ट्री पर रोक लगा दे तो पूरा गोरखधंधा ही बंद हो जाएगा. न एलडीए को दिक्कत होगी न आम आदमी को. प्रापर्टी डीलर्स से नव विकसित इलाकों में सस्ते प्लॉट लेकर राजधानी में अपना घरौंदा बनाने का सपना लेकर आने वाले लोग ही अंतत: ठगे जाते हैं. प्राय: ऐसे लोग भी एलडीए की कार्रवाई की जद में आते हैं. समस्या यह है कि लोगों को अक्सर यह मालूम ही नहीं होता कि वह जहां भूमि खरीद कर निर्माण करा रहे हैं, वह वैध नहीं है. जब उनके पास एलडीए का नोटिस पहुंचता है, तो लोगों को जानकारी होती है.
लखनऊ में अवैध प्लाॅटिंग और निर्माण.
लखनऊ में अवैध प्लाॅटिंग और निर्माण.



एलडीए अथवा आवास विकास विभाग द्वारा विकसित की गई काॅलोनियों में मानक के अनुसार चौड़ी सड़कें, पार्क, स्कूल और अन्य आवश्यक जरूरतों के लिए पर्याप्त भूमि छोड़ी जाती है, जबकि अवैध काॅलोनियों में इन सुविधाओं का ध्यान नहीं दिया जाता. यही कारण है कि एलडीए और आवास विकास की जमीनों को खरीदना महंगा होता है, जबकि अन्य जमीनें सस्ती होती हैं. स्वाभाविक है कि जिन लोगों के पास पैसे कम होते हैं, वह सस्ती जमीनों की ओर ही भागते हैं. अवैध काॅलोनियों के खिलाफ कार्रवाई करते वक्त एलडीए जिन बिंदुओं को देखता है, उनमें निर्माणाधीन इमारत का नक्शा पास हुआ है या नहीं, पास किए गए नक्शे के आधार पर निर्माण कार्य हो रहा है या नहीं, निर्माणाधीन इमारत का भू उपयोग क्या है और कृषि योग्य भूमि पर तो निर्माण नहीं किया जा रहा है. इन बिंदुओं को न पूरा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की तलवार लटकी रहती है.



यह भी पढ़ें : लखनऊ में पैर फैला रही अवैध कॉलोनियां, एलडीए वेबसाइट पर जारी करेगा सूची

संभल में अवैध कब्जे पर चला बाबा का बुलडोजर, सरकारी जमीन पर मकान बनाकर रह रही थी महिला

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर की की चर्चा देशभर में है, लेकिन प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बुलडोजर की चर्चा एक और कारण से भी खूब होती है. यह है कथित रूप से अवैध निर्माण, जिनके खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण यानी एनडीए बराबर कार्रवाई करता रहता है. प्राधिकरण की इन्हीं कार्रवाइयों और नोटिसों के बीच आधा शहर अवैध रूप से बस गया है. ऐसे तमाम कालोनियां है, जो अवैध घोषित हैं और वहां लाखों लोग रह रहे हैं. स्वाभाविक है कि अब इन काॅलोनियों के खिलाफ कार्रवाई कर पाना एलडीए के बस की बात नहीं है. हां, नवविकसित इलाकों में प्रॉपर्टी डीलरों और एलडीए के बीच चूहे बिल्ली का खेल जारी है. यहां एक ओर प्लॉटिंग हो रही है तो कहीं-कहीं एलडीए की कार्रवाई की खानापूरी भी. बड़ा सवाल यह है कि यदि एलडीए इन अवैध कॉलोनियों का विकास नहीं चाहता तो क्यों नहीं राजस्व विभाग को चिट्ठी लिखकर रजिस्ट्री हो रोक दी जाती है. न रजिस्ट्री होगी और न ही अवैध निर्माण होंगे.

लखनऊ में अवैध प्लाॅटिंग और निर्माण के कारण.
लखनऊ में अवैध प्लाॅटिंग और निर्माण के कारण.
राजधानी लखनऊ में लगभग दो दर्जन के आसपास अवैध कॉलोनियां चिह्नित की गईं हैं. जिनके खिलाफ ध्वस्तीकरण, सीलिंग और नोटिस आदि की कार्रवाई की जा रही है. बावजूद इसके इन क्षेत्रों में भी निर्माण कार्य धड़ल्ले से चल रहे हैं. स्वाभाविक है कि कहीं न कहीं इसमें एलडीए के अभियंताओं और कर्मचारियों की मिलीभगत भी होती है. यही कारण है कि राजधानी में नियम विरुद्ध तरीके से इतनी काॅलोनियां तैयार हो गईं और एलडीए हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा. जिस अभियंता के क्षेत्र में अवैध निर्माण हो, उसके खिलाफ कार्रवाई का नियम बने तो शायद इस पर रोक लग सके. वहीं प्रापर्टी डीलर कृषि की जमीनों को कम दरों पर खरीद कर प्लाॅटिंग करते हैं और मालामाल हो जाते हैं. सरकार के पास आसान उपाय है कि वह ऐसी जमीनों की रजिस्ट्री पर रोक लगा दे तो पूरा गोरखधंधा ही बंद हो जाएगा. न एलडीए को दिक्कत होगी न आम आदमी को. प्रापर्टी डीलर्स से नव विकसित इलाकों में सस्ते प्लॉट लेकर राजधानी में अपना घरौंदा बनाने का सपना लेकर आने वाले लोग ही अंतत: ठगे जाते हैं. प्राय: ऐसे लोग भी एलडीए की कार्रवाई की जद में आते हैं. समस्या यह है कि लोगों को अक्सर यह मालूम ही नहीं होता कि वह जहां भूमि खरीद कर निर्माण करा रहे हैं, वह वैध नहीं है. जब उनके पास एलडीए का नोटिस पहुंचता है, तो लोगों को जानकारी होती है.
लखनऊ में अवैध प्लाॅटिंग और निर्माण.
लखनऊ में अवैध प्लाॅटिंग और निर्माण.



एलडीए अथवा आवास विकास विभाग द्वारा विकसित की गई काॅलोनियों में मानक के अनुसार चौड़ी सड़कें, पार्क, स्कूल और अन्य आवश्यक जरूरतों के लिए पर्याप्त भूमि छोड़ी जाती है, जबकि अवैध काॅलोनियों में इन सुविधाओं का ध्यान नहीं दिया जाता. यही कारण है कि एलडीए और आवास विकास की जमीनों को खरीदना महंगा होता है, जबकि अन्य जमीनें सस्ती होती हैं. स्वाभाविक है कि जिन लोगों के पास पैसे कम होते हैं, वह सस्ती जमीनों की ओर ही भागते हैं. अवैध काॅलोनियों के खिलाफ कार्रवाई करते वक्त एलडीए जिन बिंदुओं को देखता है, उनमें निर्माणाधीन इमारत का नक्शा पास हुआ है या नहीं, पास किए गए नक्शे के आधार पर निर्माण कार्य हो रहा है या नहीं, निर्माणाधीन इमारत का भू उपयोग क्या है और कृषि योग्य भूमि पर तो निर्माण नहीं किया जा रहा है. इन बिंदुओं को न पूरा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की तलवार लटकी रहती है.



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