लखनऊ: जिले में मंगलवार को पीएनआईसी बोर्ड आफ ट्रस्टी की बैठक हुई. जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआईसी) के कामों की गुणवत्ता जांच आईआईटी से जांच कराई जाएगी. इसके बाद बचे कामों को पूरा कराने के विकल्पों पर विचार किया जाएगा. जे. प्रमुख सचिव आवास की अध्यक्षता में बचे कामों को पूरा कराने और इसके संचालन पर फैसला नहीं हो सका. संशोधित डीपीआर के अनुरूप अधूरे कामों को पूरा कराने के लिए एलडीए को करीब 160 करोड़ रुपये चाहिए.
सपा सरकार में 865 करोड़ रुपए हुए थे मंजूर
पूर्व की सरकार में जेपीएनआईसी के लिए 865 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे. सरकार बदल गई मगर काम अधूरे रह गए. प्राधिकरण के अधिकारी ने बताया कि बचे कामों को पूरा कराने अथवा इसके संचालन शुरू कराने को लेकर तीन विकल्प सुझाए गए थे. इनमें पहला यह हे कि 865 करोड़ में से 824 करोड़ मिले थे. बचे हुए 43 करोड़ और जीएसटी के 13 करोड़ सहित बढ़ी लागत के 97 करोड़ मिलने पर बचे काम पूरे हो सकेंगे.
यह है स्थिति
दूसरा विकल्प है कि इमारत में फैंसी वर्क, फर्नीचर आदि के काम बिना कराए इसे सौंप दिया जाए. हालांकि 65 करोड़ रुपये की देनदारी एलडीए पर पहले हो चुके कामों की है. ऐसे में किसी भी तरह एलडीए को स्वीकृत बजट से अधिक का इंतजाम करना होगा. वहीं तीसरा यह है कि गाइडलाइन के मुताबिक काम पूरा करने के लिए शासन से लगभग 160 करोड़ रुपये मिल जाए. मंगलवार को प्रमुख सचिव दीपक कुमार की अध्यक्षता में बैठक हुई. चर्चा के बाद भी किसी नतीजे पर फैसला नहीं हो सका. इस दौरान निर्देश दिए गए कि जो भी काम हुए हैं उनकी सूची बनाई जाए. इसकी गुणवत्ता जांच के आईआईटी कंपनी से जांच कराई जाए. प्रमुख सचिव ने बताया कि अभी कोई निर्णय नहीं हो सका है. जानकारी मांगी गई है. इसके बाद अगली बैठक में कुछ फैसला होगा.
करीब 91 प्रतिशत काम हो चुके हैं पूरे
जेपीएनआईसी पर अब तक 813 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. वहीं, चार साल से यहां कोई काम नहीं हुआ. इस समय प्रोजेक्ट पर काम पूरी तरह बंद है. सरकारी बजट खर्च होने के बाद भी इसे उपयोगी नहीं बनाया जा सका है. अधूरे कामों के पूरा न होने से इसकी लागत बढ़ती जा रही है. संशोधित डीपीआर में इसका बजट 995 करोड़ रुपये हो चुका है. यानी, लागत 130 करोड़ रुपये बढ़ चुकी है. वहीं, अब भी आडिटोरियम, स्पोर्ट्स ब्लॉक, गेस्ट हाउस ब्लॉक के अलावा लैंडस्केपिंग के काम अधूरे हैं. मुख्य अभियंता इंदुशेखर सिंह का कहना है कि जेपीएनआईसी को पूरा करने के लिए शासन की मंशा के मुताबिक काम किया जाएगा.
प्रबंध नगर योजना शुरू करने पर मंथन
प्रबंध नगर योजना को शुरू करने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण में मंथन किया गया. मंगलवार को सचिव पवन गंगवार की अध्यक्षता में तहसीलदार अर्जन मो. असलम और अधिशासी अभियंता ने योजना को शुरू करने के लिए बैठक की, जिसमें रणनीति बनाई गई. हरदोई रोड और आईआईएम रोड पर 756 हेक्टेअर की प्रबंध नगर योजना दस साल बाद विकसित होने की तैयारी में है. यहां अल्लू नगर डिगरिया, घेला और ककौली गांव हैं. यहां किसानों ने मुआवजा अभी तक नहीं लिया है. नगर निगम सीमा में आने के कारण मुआवजे पर पेंच फंस गया है. इससे शासन के हस्तक्षेप के बाद ही यह योजना शुरू हो सकेगी. 203 करोड़ रुपये आज भी जिला जज के यहां जमा है. प्रबंध नगर योजना के तीन गांव के किसान नए रेट से मुआवजे के लिए कोर्ट जा सकते हैं.