ETV Bharat / state

विश्व क्षयरोग दिवस: कोरोना जागरूकता कॉलरट्यून से टीबी के मरीज हो रहे चिन्हित

मोबाइल फोन से किसी को कॉल करने पर बजने वाली रिंगटोन से लोग कोरोना के प्रति जागरूक हो रहे हैं. वहीं इसके साथ टीबी के मरीज भी चिन्हित हो रहे हैं. केजीएमयू के चिकित्सक ने बताया कि कोरोना के भय से जांच कराने आ रहे मरीजों में कई मरीज टीबी के पाए जा रहे हैं. इससे टीबी के मरीजों का पता चलने में आसानी हो रही है.

author img

By

Published : Mar 24, 2020, 10:09 PM IST

etv bharat
जांच के लिए पहुंचे लोग.

लखनऊः कोरोना का खौफ लोगों में इस कदर व्याप्त है कि वे रोजाना राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में जांच कराने पहुंच जा रहे हैं. इस दौरान कोरोना के मरीज तो नहीं पाए जा रहे हैं लेकिन टीबी के मरीज जरूर मिल रहे हैं. जांच में कोरोना निगेटिव सुनकर लोग तसल्ली कर रहे हैं वहीं कुछ मरीज टीबी की जानकारी होने पर उसके इलाज में जुट गए हैं.

कोरोना की जांच में टीबी के मरीज.

अक्सर लोग खांसी को करते हैं नजरअंदाज
केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत विश्व क्षय रोग दिवस पर ईटीवी भारत से जानकारी साझा की. डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि टीबी के मरीजों का पहचान करना कठिन काम है क्योंकि लोग अक्सर खांसी की समस्या को नजरअंदाज करते हैं. सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी लोग अस्पताल जाने से हिचकते हैं. महीनों तक खांसी आती रहती है, लेकिन घरेलू नुस्खों के भरोसे ही बैठे रह जाते हैं.

कोरोना की जांच में निकल रहे टीबी के मरीज
नजरअंदाज का नतीजा यह होता है कि बहुत लोग टीबी की चपेट में आ जाते हैं. कोरोना जैसी महामारी और इसके भय की वजह से सरकारी अस्पतालों में खांसी सर्दी जुकाम वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन कोरोना का खौफ इस कदर व्याप्त है कि लोग खांसी आते ही सीधा अस्पताल की तरफ भाग रहे हैं. जांच के दौरान अधिकांश लोगों में कोरोना के लक्षण तो नहीं पाए जा रहे हैं, लेकिन कइयों में टीबी की बीमारी की पुष्टि हो रही है. इस तरह से टीबी के अभियान को कोरोना की वजह से बल मिल रहा है.

यह भी पढ़ेंः-लखनऊः मछली मंडी के अंदर फैले थर्माकोल में लगी आग

खांसी को हल्के में लेना ठीक नहीं
उन्होंने बताया कि मोबाइल पर कोरोना के लिए खांसी वाली कॉलर ट्यून से लोग ज्यादा जागरूक हो रहे हैं. लोगों ने स्वीकार करना शुरू कर दिया है कि खांसी को हल्के में नहीं लेना चाहिए, भले ही कोरोना को लेकर जागरुकता बढ़ी हो ,लेकिन इससे टीबी के मरीजों की भी पहचान हो रही है. ऐसे मरीजों को चिन्हित कर उनका इलाज कराया जा रहा है.

लखनऊः कोरोना का खौफ लोगों में इस कदर व्याप्त है कि वे रोजाना राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में जांच कराने पहुंच जा रहे हैं. इस दौरान कोरोना के मरीज तो नहीं पाए जा रहे हैं लेकिन टीबी के मरीज जरूर मिल रहे हैं. जांच में कोरोना निगेटिव सुनकर लोग तसल्ली कर रहे हैं वहीं कुछ मरीज टीबी की जानकारी होने पर उसके इलाज में जुट गए हैं.

कोरोना की जांच में टीबी के मरीज.

अक्सर लोग खांसी को करते हैं नजरअंदाज
केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत विश्व क्षय रोग दिवस पर ईटीवी भारत से जानकारी साझा की. डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि टीबी के मरीजों का पहचान करना कठिन काम है क्योंकि लोग अक्सर खांसी की समस्या को नजरअंदाज करते हैं. सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी लोग अस्पताल जाने से हिचकते हैं. महीनों तक खांसी आती रहती है, लेकिन घरेलू नुस्खों के भरोसे ही बैठे रह जाते हैं.

कोरोना की जांच में निकल रहे टीबी के मरीज
नजरअंदाज का नतीजा यह होता है कि बहुत लोग टीबी की चपेट में आ जाते हैं. कोरोना जैसी महामारी और इसके भय की वजह से सरकारी अस्पतालों में खांसी सर्दी जुकाम वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन कोरोना का खौफ इस कदर व्याप्त है कि लोग खांसी आते ही सीधा अस्पताल की तरफ भाग रहे हैं. जांच के दौरान अधिकांश लोगों में कोरोना के लक्षण तो नहीं पाए जा रहे हैं, लेकिन कइयों में टीबी की बीमारी की पुष्टि हो रही है. इस तरह से टीबी के अभियान को कोरोना की वजह से बल मिल रहा है.

यह भी पढ़ेंः-लखनऊः मछली मंडी के अंदर फैले थर्माकोल में लगी आग

खांसी को हल्के में लेना ठीक नहीं
उन्होंने बताया कि मोबाइल पर कोरोना के लिए खांसी वाली कॉलर ट्यून से लोग ज्यादा जागरूक हो रहे हैं. लोगों ने स्वीकार करना शुरू कर दिया है कि खांसी को हल्के में नहीं लेना चाहिए, भले ही कोरोना को लेकर जागरुकता बढ़ी हो ,लेकिन इससे टीबी के मरीजों की भी पहचान हो रही है. ऐसे मरीजों को चिन्हित कर उनका इलाज कराया जा रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.