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IAS अदिति सिंह ने अभी तक नहीं लिया बलिया DM का चार्ज

योगी सरकार ने 12 फरवरी को सात आईएएस अधिकारियों का तबादला किया था. इनमें से छह अधिकारियों ने अपनी तैनाती स्थल पर ज्वाइनिंग भी कर ली है, लेकिन हापुड़ की जिलाधिकारी रहीं अदिति सिंह का स्थानांतरण बलिया जिलाधिकारी के पद पर हुआ था और उन्होंने सात दिन बीत जाने के बाद ही अभी तक बलिया जाकर कार्यभार ग्रहण नहीं किया है, जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है.

ias aditi singh
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Published : Feb 18, 2021, 6:18 PM IST

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद एक सप्ताह पूर्व सात आईएएस अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया था. इनमें से एक आईएएस अधिकारी को छोड़कर सभी अधिकारियों ने अपना कार्यभार ग्रहण भी कर लिया है. बता दें कि डीएम हापुड़ से डीएम बलिया के लिए स्थानांतरित होने वाली 2009 बैच की आईएएस अधिकारी अदिति सिंह ने अभी तक अपना चार्ज नहीं लिया, जो नौकरशाही में चर्चा का विषय बना हुआ है.

तत्काल ज्वाइन करने का हुआ था आदेश
यही नहीं नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग की तरफ से जिलाधिकारी के तबादले के आदेश पर स्पष्ट लिखा होता है कि संबंधित अधिकारी तत्काल नवीन तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण कर शासन को सूचित करें, लेकिन आईएएस अदिति सिंह ने कार्यभार ग्रहण करने न करने को लेकर कोई भी कारण या सूचना अभी तक शासन को उपलब्ध नहीं कराई है.

नियुक्ति विभाग का दावा जल्दी करेंगी ज्वाइन
नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग उनके ज्वाइन न करने के बारे में कारण स्पष्ट नहीं कर पा रहा है. अपर मुख्य सचिव नियुक्ति मुकुल सिंघल ने ईटीवी भारत से कहा कि वह जल्द ही कार्यभार ग्रहण कर लेंगी, लेकिन एक सप्ताह तक डीएम का कार्यभार ग्रहण करने में देरी के बारे में वह कुछ बोलने से बचते रहे. वहीं दूसरी तरफ शासन में एक सप्ताह बाद भी आईएएस अधिकारी अदिति सिंह के बलिया डीएम पद पर ज्वाइन न करने को लेकर सही नहीं माना जा रहा है. डीएम जैसे पद पर एक सप्ताह से सीडीओ चार्ज पर हैं और आईएएस अदिति सिंह कहां हैं, यह किसी को पता तक नहीं है.

12 फरवरी को हुआ था ट्रांसफर
प्रदेश सरकार ने 12 फरवरी को सात आईएएस अधिकारियों का तबादला किया था. इनमें से छह अधिकारियों ने अपनी तैनाती स्थल पर ज्वाइनिंग भी कर ली है, लेकिन हापुड़ की जिलाधिकारी रहीं अदिति सिंह का स्थानांतरण बलिया जिलाधिकारी के पद पर हुआ था और उन्होंने सात दिन बीत जाने के बाद ही अभी तक बलिया जाकर कार्यभार ग्रहण नहीं किया है, जबकि डीएम जैसी महत्वपूर्ण तैनाती पर चार्ज न लेना और बलिया के सीडीओ ही कार्यवाहक डीएम के रूप में काम कर रहे हैं, जो कि प्रशासनिक व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है. आईएएस अदिति सिंह का अभी तक चार्ज न लेना नौकरशाही में चर्चा का विषय बना हुआ है. ईटीवी भारत ने आईएएस अदिति सिंह सिंह को फोन करके एक सप्ताह तक कार्यभार ग्रहण न करने का कारण जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने न तो फोन उठाया और न ही भेजे गए संदेश का कोई जवाब दिया.

प्रशासनिक व्यवस्था के लिए यह स्थिति ठीक नहीं
फोन पर हुई बातचीत में प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने ईटीवी भारत से कहा कि नौकरशाही के लिए यह स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं है. शासन से जब किसी भी अधिकारी का स्थानांतरण किसी दूसरी जगह किया जाता है तो तबादला आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा जाता है कि नवीन तैनाती स्थल पर तत्काल प्रभाव से कार्यभार ग्रहण कर शासन को सूचित करें.

सीएम के आदेश की भी अवमानना
पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि एक सप्ताह तक जिलाधिकारी बलिया के पद पर अगर कोई अधिकारी स्थानांतरण के बावजूद कार्यभार ग्रहण नहीं कर रहा है तो यह शासन के नियमों की अवहेलना है. डीएम जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनाती सीएम के निर्देश के बाद होती है तो यह सीएम के आदेश की भी अवमानना है. साथ ही प्रशासनिक व्यवस्था में इस स्थिति को ठीक नहीं माना जाता है. जिले के मुखिया की कुर्सी अगर किसी दूसरे अधिकारी के पास रहती है तो इससे जनहित से जुड़े और विकास कार्य से जुड़े कामकाज भी प्रभावित होते हैं. शासन को इस पर संज्ञान लेना चाहिए.

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद एक सप्ताह पूर्व सात आईएएस अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया था. इनमें से एक आईएएस अधिकारी को छोड़कर सभी अधिकारियों ने अपना कार्यभार ग्रहण भी कर लिया है. बता दें कि डीएम हापुड़ से डीएम बलिया के लिए स्थानांतरित होने वाली 2009 बैच की आईएएस अधिकारी अदिति सिंह ने अभी तक अपना चार्ज नहीं लिया, जो नौकरशाही में चर्चा का विषय बना हुआ है.

तत्काल ज्वाइन करने का हुआ था आदेश
यही नहीं नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग की तरफ से जिलाधिकारी के तबादले के आदेश पर स्पष्ट लिखा होता है कि संबंधित अधिकारी तत्काल नवीन तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण कर शासन को सूचित करें, लेकिन आईएएस अदिति सिंह ने कार्यभार ग्रहण करने न करने को लेकर कोई भी कारण या सूचना अभी तक शासन को उपलब्ध नहीं कराई है.

नियुक्ति विभाग का दावा जल्दी करेंगी ज्वाइन
नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग उनके ज्वाइन न करने के बारे में कारण स्पष्ट नहीं कर पा रहा है. अपर मुख्य सचिव नियुक्ति मुकुल सिंघल ने ईटीवी भारत से कहा कि वह जल्द ही कार्यभार ग्रहण कर लेंगी, लेकिन एक सप्ताह तक डीएम का कार्यभार ग्रहण करने में देरी के बारे में वह कुछ बोलने से बचते रहे. वहीं दूसरी तरफ शासन में एक सप्ताह बाद भी आईएएस अधिकारी अदिति सिंह के बलिया डीएम पद पर ज्वाइन न करने को लेकर सही नहीं माना जा रहा है. डीएम जैसे पद पर एक सप्ताह से सीडीओ चार्ज पर हैं और आईएएस अदिति सिंह कहां हैं, यह किसी को पता तक नहीं है.

12 फरवरी को हुआ था ट्रांसफर
प्रदेश सरकार ने 12 फरवरी को सात आईएएस अधिकारियों का तबादला किया था. इनमें से छह अधिकारियों ने अपनी तैनाती स्थल पर ज्वाइनिंग भी कर ली है, लेकिन हापुड़ की जिलाधिकारी रहीं अदिति सिंह का स्थानांतरण बलिया जिलाधिकारी के पद पर हुआ था और उन्होंने सात दिन बीत जाने के बाद ही अभी तक बलिया जाकर कार्यभार ग्रहण नहीं किया है, जबकि डीएम जैसी महत्वपूर्ण तैनाती पर चार्ज न लेना और बलिया के सीडीओ ही कार्यवाहक डीएम के रूप में काम कर रहे हैं, जो कि प्रशासनिक व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है. आईएएस अदिति सिंह का अभी तक चार्ज न लेना नौकरशाही में चर्चा का विषय बना हुआ है. ईटीवी भारत ने आईएएस अदिति सिंह सिंह को फोन करके एक सप्ताह तक कार्यभार ग्रहण न करने का कारण जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने न तो फोन उठाया और न ही भेजे गए संदेश का कोई जवाब दिया.

प्रशासनिक व्यवस्था के लिए यह स्थिति ठीक नहीं
फोन पर हुई बातचीत में प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने ईटीवी भारत से कहा कि नौकरशाही के लिए यह स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं है. शासन से जब किसी भी अधिकारी का स्थानांतरण किसी दूसरी जगह किया जाता है तो तबादला आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा जाता है कि नवीन तैनाती स्थल पर तत्काल प्रभाव से कार्यभार ग्रहण कर शासन को सूचित करें.

सीएम के आदेश की भी अवमानना
पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि एक सप्ताह तक जिलाधिकारी बलिया के पद पर अगर कोई अधिकारी स्थानांतरण के बावजूद कार्यभार ग्रहण नहीं कर रहा है तो यह शासन के नियमों की अवहेलना है. डीएम जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनाती सीएम के निर्देश के बाद होती है तो यह सीएम के आदेश की भी अवमानना है. साथ ही प्रशासनिक व्यवस्था में इस स्थिति को ठीक नहीं माना जाता है. जिले के मुखिया की कुर्सी अगर किसी दूसरे अधिकारी के पास रहती है तो इससे जनहित से जुड़े और विकास कार्य से जुड़े कामकाज भी प्रभावित होते हैं. शासन को इस पर संज्ञान लेना चाहिए.

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