लखनऊ : 'भारतीय संस्कृति में पौधों एवं अन्य जीवों से जुड़ाव शुरू से ही रहा है. भारत की ग्रामीण एवं लोक संस्कृति में अनेकों परम्पराओं, अनुष्ठानों एवं गतिविधियों को पौधों से जोड़ा गया है. अनेकों लोक गीत जो विभिन्न अवसरों पर गाये जाते हैं व इस भावना को प्रदर्शित करते हैं जो विभिन्न अवसरों पर गाये जाते हैं एवं भारत के लोगों का वनस्पतियों से जुड़ाव प्रदर्शित करते हैं.' यह बातें सुप्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने कहीं.
सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में सोमवार को हिंदी पखवाड़ा समारोह का उद्घाटन किया गया. इस मौके पर सुप्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थीं. इस मौके पर मुख्य अतिथि द्वारा संस्थान के पुस्तकालय द्वारा आयोजित हिंदी पुस्तकों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया. संस्थान की राजभाषा पत्रिका ‘विज्ञान वाणी’ के नवीनतम अंक का विमोचन किया गया एवं हिंदी प्रोत्साहन पुरस्कार विजेताओं को प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया. मुख्य समारोह में संस्थान के निदेशक डॉ. अजित शासनी द्वारा मुख्य अतिथि एवं आमंत्रित अतिथियों एवं श्रोताओं का स्वागत किया गया.
उन्होंने वर्तमान पीढी में अपनी लोक संस्कृति और वनस्पतियों के प्रति जानकारी कम होने जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि 'एक समय था कि घर की महिलाएं घरेलू चीजों से ही अनेकों बीमारियों का इलाज कर लेती थीं और ऐसे दादी-नानी के नुस्खे आज भी प्रचलित हैं. उन्होंने कहा कि आज हमारी संस्कृति की जानकारियों को अगली पीढ़ी तक ले जाने की बहुत आवश्यकता है. इस दौरान संस्थान की राजभाषा कार्यान्वयन समिति के सदस्य सचिव डॉ. कृष्ण कुमार रावत द्वारा संस्थान द्वारा पिछले एक वर्ष में कार्यालय में हिंदी के प्रगामी प्रयोग के लिए की गई. गतिविधियों और वर्त्तमान हिंदी पखवाड़े के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान की गयी. कार्यक्रम के आखिरी में संस्थान की राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष डॉ. श्रीकृष्ण तिवारी ने कार्यक्रम में आने के लिए धन्यवाद किया.