लखनऊ : उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार की ओर से भरसक प्रयास किए जा रहे हैं. सरकार का दावा है कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा को बेहतर करने के लिए भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल रखने की कोशिश कर रहे हैं. सरकार के दावों को विभाग उच्चतर शिक्षा आयोग की कार्यप्रणाली ही कठघरे में खड़ी कर रही है. जानकारों की मानें तो प्रदेश में मौजूदा समय में सभी विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों को मिलाकर 6000 से अधिक शिक्षकों के पद खाली हैं. इनमें से कुछ पदों को भरने के लिए बीते वर्ष तक विज्ञापन निकाले गए, पर प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. आलम यह है कि उच्चतर शिक्षा शिवा आयोग का कार्यकाल जुलाई के अंतिम सप्ताह में समाप्त होने जा रहा है और सरकार की ओर से नए आयोग के गठन के लिए जो दावे किए गए थे वह अब तक नहीं हो पाया है. ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग में भर्ती के लिए जो प्रक्रिया चल रही थी वह पूरी तरह से ठप हो जाएगा. ऐसे में जो भी विज्ञापन निकाले गए हैं उन पर खतरा मंडरा रहा है कि कहीं वह नए आयोग के गठन होने के बाद रद्द न कर दिए जाएं.
लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध डिग्री कॉलेज शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडे ने बताया कि उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग के अधीन आने वाले सभी विश्वविद्यालयों, राजकीय डिग्री कॉलेज व एडेड डिग्री कॉलेजों की बात की जाए तो डिग्री कॉलेजों में कुल 19 हजार 600 पद खाली हैं. राज्य विश्वविद्यालयों में करीब ढाई हजार से अधिक पद खाली हैं. दोनों को मिला दिया जाए तो कुल 22 हजार से अधिक पद मौजूदा समय में खाली हैं. इन्हें भरने के लिए समय-समय पर उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की ओर से भर्ती प्रक्रिया निकाली जाती है. मौजूदा समय में आयोग 50 व विज्ञापन के तहत पूरे प्रदेश में 917 पदों की भर्ती प्रक्रिया निकाली हुई है. जिसमें से शिक्षा महाविद्यालय में 756 पद और महिला विद्यालयों में 161 पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है.
डॉ. मनोज पांडे ने बताया कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. ऐसे में आयोग के गठन होने तक उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया प्रभावित होगी. कुछ समय पहले राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक नई घोषणा की थी. जिसके तहत अब एक ही आयोग से उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, बेसिक शिक्षा, मदरसा शिक्षा सहित शिक्षक भर्ती प्रक्रिया का आयोजन किया जाना है. पिछली कैबिनेट में इस आयोग के गठन के प्रस्ताव को मुहर लगने की उम्मीद थी, पर सरकार ने इसे कैबिनेट में रखा ही नहीं.
अब इसे अगले कैबिनेट में रखा जा सकता है. कैबिनेट से पास होने के बाद में आयोग के गठन होने की प्रक्रिया पूरी करने में ही सरकार को दिसंबर 2023 तक का समय लग सकता है. 2024 के शुरुआती महीनों में लोकसभा चुनाव होना है. इसके बाद आयोग द्वारा नई भर्ती प्रक्रिया के लिए सभी शिक्षा परिषद से जानकारी मंगाने और उसके स्कूटनी करने के बाद विज्ञापन निकालने की प्रक्रिया में ही 6 महीने समय लग सकता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में साल 2025 से पहले शिक्षा विभाग में भर्ती होने की गुंजाइश कम ही लग रही है. जबकि प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, बेसिक शिक्षा, मदरसा शिक्षा में नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने का आदेश दिया है. प्रशिक्षकों की कमी होने के कारण नई शिक्षा नीति को सही से लागू कर पाना भी एक चुनौतीपूर्ण कार बन जाएगा.
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