लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गोवध अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करने के एक मामले में सीतापुर जनपद के एसपी से व्यक्तिगत हलफनामा तलब किया है. न्यायालय ने कहा है कि यदि हलफनामा नहीं आता तो एसपी को कोर्ट के समक्ष पेश होना होगा. यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने सूरज की जमानत याचिका को मंजूर करते हुए दिया.
जानें पूरा मामला
याची पर आरोप है कि वह अपने अन्य साथियों के साथ दो सांड़ का वध करने जा रहा था. अभियुक्तों के पास से पुलिस ने दो सांड़, एक बंडल रस्सी, एक छोटा व एक बड़ा गंड़ासा व पांच-पांच किलो के 12 खाली झोले मिले थे. इस मामले में स्थानीय दारोगा द्वारा लिखाई गई एफआईआर में कहा गया कि पुलिस टीम ने अभियुक्त व उसके साथियों को बात करते सुना कि वे तीन बछड़े पहले काट चुके हैं, जिससे उन्होंने काफी पैसे कमाए थे. इस बार दो सांड़ों से भी उन्हें अच्छे पैसे मिलेंगे. जिसके बाद पुलिस टीम ने अभियुक्त व उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया व गोवध अधिनियम की धारा 3/5/8 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई.
कोर्ट ने एसपी से मांगा स्पष्टीकरण
न्यायालय ने पाया कि एफआईआर के अनुसार अभियुक्त द्वारा कोई अपराध कारित नहीं किया गया था. यदि एफआईआर में उल्लेखित तथ्यों को सही मान भी लिया जाए तो अभियुक्त ने सिर्फ अपराध की तैयारी की थी. न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में अपराध की महज तैयारी के आरोप से उक्त धाराओं में मामला नहीं बनता. न्यायालय ने मामले में गोवध अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज होने पर एसपी से स्पष्टीकरण तलब किया है.
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