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पूर्व एसपी पाटीदार को पुलिस कस्टडी में न देने का आदेश गलत, जानिए हाईकोर्ट ने क्या कहा

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विशेष जज, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, लखनऊ द्वारा 9 नवंबर 2022 को पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार को पुलिस रिमांड में न देने के आदेश को गलत करार दिया है. हालांकि न्यायालय ने कहा है कि अभियुक्त के पहले न्यायिक हिरासत के 15 दिन बीत चुके हैं. लिहाजा अब उसे पुलिस कस्टडी में पूछताछ के लिए नहीं दिया जा सकता है. हालांकि ने राज्य सरकार को यह छूट दी है कि वह चाहे तो अन्य कानूनी विकल्पों पर विचार कर सकती है.

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Published : Nov 17, 2022, 9:53 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विशेष जज, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, लखनऊ द्वारा 9 नवंबर 2022 को पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार (Former SP Manilal Patidar) को पुलिस रिमांड में न देने के आदेश को गलत करार दिया है. हालांकि न्यायालय ने कहा है कि अभियुक्त के पहले न्यायिक हिरासत के 15 दिन बीत चुके हैं. लिहाजा अब उसे पुलिस कस्टडी में पूछताछ के लिए नहीं दिया जा सकता है. हालांकि ने राज्य सरकार को यह छूट दी है कि वह चाहे तो अन्य कानूनी विकल्पों पर विचार कर सकती है.


यह आदेश न्यायमूर्ति बृजराज सिंह (Justice Brijraj Singh) की एकल पीठ ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका (filing revision petition) को निस्तारित करते हुए पारित किया है. सरकार ने विशेष अदालत के 9 नवंबर के आदेश को उक्त याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी. सरकार के अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने दलील दी कि विषेश अदालत ने यह कहकर पुलिस रिमांड देने से इनकार किया था कि जांच एजेंसी ने रिमांड अर्जी (remand application) में यह नहीं लिखा कि उसे पाटीदार की कितने दिन की पुलिस रिमांड चाहिए. जबकि अर्जी में स्पष्ट तौर पर आठ दिनों की पुलिस रिमांड की मांग की गई थी.

न्यायालय ने विशेष अदालत के आदेश (special court orders) को बिना मस्तिष्क का प्रयेाग किए पारित आदेश करार दिया, लेकिन पाटीदार का पुलिस रिमांड नए सिरे से स्वीकृत किए जाने की मांग पर न्यायालय ने सीआरपीसी की धारा 167 की उप धारा 2 का हवाला देते हुए कहा कि न्यायिक हिरासत के पहले 15 दिनों की अवधि के भीतर ही किसी अभियुक्त की पुलिस रिमांड को मंजूर किया जा सकता है. इस मामले में 15 दिनों की न्यायिक रिमांड की अवधि 13 नवंबर को ही पूरी हो चुकी है. उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की उक्त याचिका ही 14 नवंबर को दाखिल हुई थी.

यह भी पढ़ें : कल्बे जव्वाद के विरुद्ध जमानती वारंट जारी, समुदायों के बीच शत्रुता पैदा करने और मानहानि का मामला

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विशेष जज, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, लखनऊ द्वारा 9 नवंबर 2022 को पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार (Former SP Manilal Patidar) को पुलिस रिमांड में न देने के आदेश को गलत करार दिया है. हालांकि न्यायालय ने कहा है कि अभियुक्त के पहले न्यायिक हिरासत के 15 दिन बीत चुके हैं. लिहाजा अब उसे पुलिस कस्टडी में पूछताछ के लिए नहीं दिया जा सकता है. हालांकि ने राज्य सरकार को यह छूट दी है कि वह चाहे तो अन्य कानूनी विकल्पों पर विचार कर सकती है.


यह आदेश न्यायमूर्ति बृजराज सिंह (Justice Brijraj Singh) की एकल पीठ ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल पुनरीक्षण याचिका (filing revision petition) को निस्तारित करते हुए पारित किया है. सरकार ने विशेष अदालत के 9 नवंबर के आदेश को उक्त याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी. सरकार के अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने दलील दी कि विषेश अदालत ने यह कहकर पुलिस रिमांड देने से इनकार किया था कि जांच एजेंसी ने रिमांड अर्जी (remand application) में यह नहीं लिखा कि उसे पाटीदार की कितने दिन की पुलिस रिमांड चाहिए. जबकि अर्जी में स्पष्ट तौर पर आठ दिनों की पुलिस रिमांड की मांग की गई थी.

न्यायालय ने विशेष अदालत के आदेश (special court orders) को बिना मस्तिष्क का प्रयेाग किए पारित आदेश करार दिया, लेकिन पाटीदार का पुलिस रिमांड नए सिरे से स्वीकृत किए जाने की मांग पर न्यायालय ने सीआरपीसी की धारा 167 की उप धारा 2 का हवाला देते हुए कहा कि न्यायिक हिरासत के पहले 15 दिनों की अवधि के भीतर ही किसी अभियुक्त की पुलिस रिमांड को मंजूर किया जा सकता है. इस मामले में 15 दिनों की न्यायिक रिमांड की अवधि 13 नवंबर को ही पूरी हो चुकी है. उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की उक्त याचिका ही 14 नवंबर को दाखिल हुई थी.

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