लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फ्लैट मालिकों को मुआवजा दिए जाने के आदेशों को चुनौती देने वाली आवास विकास परिषद की 51 अपीलों को एक साथ खारिज कर दिया है. इन अपीलों में वृंदावन योजना में निर्मित कुछ फ्लैटों में देरी से कब्जा दिए जाने और अन्य कमियां बरते जाने के आधार पर रियल इस्टेट अपीलेट ट्रिब्युनल द्वारा पारित मुआवजा के आदेशों को चुनौती दी गई थी. न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि ट्रिब्यूनल के आदेश विधिपूर्ण हैं और उनमें कोई अनियमितता भी नहीं है.
यह निर्णय न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की एकल पीठ ने आवास विकास परिषद की ओर से दाखिल 51 अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. आवास विकास की ओर से दलील दी गई थी कि मार्च 2013 में वृंदावन योजना नीलगिरी इन्क्लेव में 640 फ्लैट्स की हाउसिंग कॉलोनी के लिए आवंटन खोला गया. इसके लिए फ्लैट्स की कीमत 20 लाख 88 हजार रुपये थी. फ्लैट मालिकों का कहना था कि सभी किश्तें जमा करने के बावजूद उन्हें तय समय सीमा में फ्लैट्स के कब्जे नहीं दिए गए.
इसी आधार पर फ्लैट मालिकों ने रेरा में शिकायत दर्ज कराई. वहीं, आवास विकास का कहना था कि वर्ष 2013 का अधिग्रहण कानून आने के बाद व किसान संगठनों के धरना प्रदर्शन के कारण फ्लैट्स का कब्जा देने में विलम्ब हुआ. मामला बाद में अपीलेट ट्रिब्यूनल में गया. ट्रिब्यूनल ने पाया कि आवास विकास ने फ्लैट्स का कब्जा देने में विलम्ब किया. जिसकी वजह से फ्लैट्स की कीमतें बढ़ीं और जीएसटी का भी भार आवंटियों को सहना पड़ा.
कुछ आवंटियों ने पार्किंग न होने का भी मुद्दा उठाया था. ट्रिब्यूनल ने सभी तथ्यों पर विचार के बाद आवास विकास को आवंटियों को विलंबित समय के एवज में एसबीआई के होम लोन के ब्याज व एक प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज के हिसाब से आवंटियों को मुआवजा देने के आदेश दिए. इन्हीं आदेशों को आवास विकास द्वारा अपीलों के माध्यम से चुनौती दी गई थी जिन्हें न्यायालय ने खारिज कर दिया.
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