लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के एक अधिकारी के खिलाफ चल रही जांच में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है. न्यायालय ने अनुशाषनात्मक प्राधिकारी को आदेश दिया है कि याची के व्यक्तिगत उपस्थिति के 15 दिनों के भीतर जांच पूरी कर ली जाए.
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ये दिया आदेश
यह आदेश न्यायमूर्ति रविनाथ तिलहरी ने राजेश कुमार की याचिका पर पारित किया. याची का कहना था कि बैंक के प्रबंध निदेशक द्वारा जारी 19 जनवरी 2021 के आदेश से उसे निलंबित कर दिया गया व जांच बैठा दी गई. जांच अधिकारी ने 8 अप्रैल 2021 को उसके खिलाफ जांच रिपोर्ट प्रेषित कर दी. याची ने उक्त जांच रिपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए, इसे खारिज किए जाने की मांग की थी. साथ ही याची की ओर से मांग की गई थी कि उसके खिलाफ निष्पक्ष जांच की जाए व 8 अप्रैल की जांच रिपोर्ट के साथ प्रक्रिया को आगे न बढ़ाया जाए. न्यायालय ने पाया कि 16 अप्रैल को याची के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. इसके पूर्व ही याची ने एक अन्य याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की थी, जिसपर हाईकोर्ट ने याची को व्यक्तिगत तौर पर सुने जाने का निर्देश दिया था. उक्त निर्देश के अनुपालन में प्रबंध निदेशक ने 13 मई को पत्र जारी करते हुए, उसे हाजिर होने का आदेश दिया. न्यायालय ने कहा कि जांच के इस चरण में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकती. हालांकि न्यायालय ने याची द्वारा 8 अप्रैल के जांच रिपोर्ट में उठाई गई आपत्तियों पोअर भी गौर करने के निर्देश जांच अधिकारी को दिए हैं.