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मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद करने से हाईकोर्ट का इंकार

आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ सीतापुर में दर्ज एफआईआर को रद करने से हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इंकार कर दिया है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Jun 13, 2022, 10:24 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ सीतापुर जनपद में दर्ज एफआईआर को रद करने से इंकार कर दिया है. न्यायालय ने मोहम्मद जुबैर की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि प्रथम दृष्टया अभियुक्त के विरुद्ध जांच के पर्याप्त आधार हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव, प्रथम की खंडपीठ ने मोहम्मद जुबैर की याचिका पर पारित किया.

याची ने सीतापुर के खैराबाद थाने में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती दी थी. उक्त एफआईआर धार्मिक आस्था का अपमान कर एक वर्ग की धार्मिक भावनाएं भड़काने व आईटी एक्ट के तहत दर्ज की गई है. अभियुक्त पर आरोप है कि उसने अपने ट्विटर हैंडल से हिंदू संतों यति नरसिंहा नंद सरस्वती, बजरंग मुनि व आनंद स्वरूप के विरुद्ध टिप्पणी करते हुए, ‘हेट मॉंगर्स’ अर्थात घृणा फैलाने वाले कहा था.

इसे भी पढ़ें-Shine City: 400 से अधिक आपराधिक रिकॉर्ड वाले अभियुक्त आसिफ की जमानत खारिज

एफआईआर रद् करने की मांग करते हुए दलील दी गई कि अभियुक्त का उक्त ट्वीट किसी वर्ग विशेष के खिलाफ नहीं था. वहीं याचिका का विरोध करते हुए, राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि अभियुक्त आदतन अपराधी है. उसके विरुद्ध चार मुकदमे पहले से दर्ज हैं. इनमें से एक मुकदमा पॉक्सो एक्ट की धारा 12 व आईपीसी की धारा 509-बी में भी दर्ज है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात अपने आदेश में कहा कि मामला अभी प्रारम्भिक चरण में है. यदि याची के विरुद्ध आरोप गलत हैं तो यह बात विवेचना में सामने आ जाएगी. न्यायालय ने आगे कहा कि जो दलीलें अभियुक्त की ओर से दी गई हैं, उनके तथ्यों की सत्यता विवेचना या विचारण में ही साबित हो सकती है. लिहाजा एफआईआर को रद करने का कोई औचित्य नहीं है.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ सीतापुर जनपद में दर्ज एफआईआर को रद करने से इंकार कर दिया है. न्यायालय ने मोहम्मद जुबैर की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि प्रथम दृष्टया अभियुक्त के विरुद्ध जांच के पर्याप्त आधार हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव, प्रथम की खंडपीठ ने मोहम्मद जुबैर की याचिका पर पारित किया.

याची ने सीतापुर के खैराबाद थाने में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती दी थी. उक्त एफआईआर धार्मिक आस्था का अपमान कर एक वर्ग की धार्मिक भावनाएं भड़काने व आईटी एक्ट के तहत दर्ज की गई है. अभियुक्त पर आरोप है कि उसने अपने ट्विटर हैंडल से हिंदू संतों यति नरसिंहा नंद सरस्वती, बजरंग मुनि व आनंद स्वरूप के विरुद्ध टिप्पणी करते हुए, ‘हेट मॉंगर्स’ अर्थात घृणा फैलाने वाले कहा था.

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एफआईआर रद् करने की मांग करते हुए दलील दी गई कि अभियुक्त का उक्त ट्वीट किसी वर्ग विशेष के खिलाफ नहीं था. वहीं याचिका का विरोध करते हुए, राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि अभियुक्त आदतन अपराधी है. उसके विरुद्ध चार मुकदमे पहले से दर्ज हैं. इनमें से एक मुकदमा पॉक्सो एक्ट की धारा 12 व आईपीसी की धारा 509-बी में भी दर्ज है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात अपने आदेश में कहा कि मामला अभी प्रारम्भिक चरण में है. यदि याची के विरुद्ध आरोप गलत हैं तो यह बात विवेचना में सामने आ जाएगी. न्यायालय ने आगे कहा कि जो दलीलें अभियुक्त की ओर से दी गई हैं, उनके तथ्यों की सत्यता विवेचना या विचारण में ही साबित हो सकती है. लिहाजा एफआईआर को रद करने का कोई औचित्य नहीं है.

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