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लखनऊ: हाईकोर्ट ने वकीलों के बीच मारपीट की घटना की जांच का दिया आदेश - हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पिछले दिनों अधिवक्ता और उसके वादकारी से मारपीट के मामले में जनपद न्यायाधीश को जांच करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने दिया.

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच.
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Published : Feb 14, 2020, 3:11 AM IST

लखनऊ: कुछ वकीलों द्वारा पिछले दिनों पैरवी के लिए आए एक वादकारी व उसके अधिवक्ता से मारपीट के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जनपद न्यायाधीश, लखनऊ को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं. न्यायालय ने 20 फरवरी तक सील्ड कवर में जांच रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने एसएमसी ग्लोबल सिक्यूरिटीज लिमिटेड व एक अन्य की याचिका पर दिया.

याचिका में याचियों के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ के समक्ष चल रहे धोखाधड़ी व मारपीट के एक मामले का ट्रायल किसी अन्य जनपद में ट्रांसफर करने की मांग की गई है. याचियों का कहना है कि एक स्थानीय अधिवक्ता राजेश शुक्ला ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी, मारपीट व जान से मारने की धमकी आदि आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी.

हालांकि विवेचना में याचियों के विरुद्ध साक्ष्य न पाए जाने पर पुलिस ने मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दिया, जिसके बाद वादी ने प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र दाखिल किया, जिसे परिवाद के तौर पर दर्ज करते हुए निचली अदालत ने याचियों को समन किया. याचिका में कहा गया है कि याची जब अपने अधिवक्ता अमरेंद्र प्रताप सिंह के साथ कोर्ट रूम से बाहर निकल रहे थे तो राजेश शुक्ला व उनके कुछ साथियों ने मारपीट की, जिसकी शिकायत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट व जनपद न्यायाधीश से की गई.

याचिका में कहा गया है कि इन परिस्थितियों में याचियों का अपने मुकदमे की पैरवी करना सम्भव नहीं है. लिहाजा मामले को किसी और जनपद में स्थानांतरित किया जाए. याचिका पर सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने जनपद न्यायाधीश को सीसीटीवी फुटेज आदि को देखते हुए जांच करने व 20 फरवरी तक रिपोर्ट देने के आदेश दिए. साथ ही न्यायालय ने याचियों के विरुद्ध कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ें: लखनऊ: देसी बम के हमले में कई वकील घायल, सुरक्षा पर उठे सवाल

लखनऊ: कुछ वकीलों द्वारा पिछले दिनों पैरवी के लिए आए एक वादकारी व उसके अधिवक्ता से मारपीट के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जनपद न्यायाधीश, लखनऊ को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं. न्यायालय ने 20 फरवरी तक सील्ड कवर में जांच रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने एसएमसी ग्लोबल सिक्यूरिटीज लिमिटेड व एक अन्य की याचिका पर दिया.

याचिका में याचियों के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ के समक्ष चल रहे धोखाधड़ी व मारपीट के एक मामले का ट्रायल किसी अन्य जनपद में ट्रांसफर करने की मांग की गई है. याचियों का कहना है कि एक स्थानीय अधिवक्ता राजेश शुक्ला ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी, मारपीट व जान से मारने की धमकी आदि आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी.

हालांकि विवेचना में याचियों के विरुद्ध साक्ष्य न पाए जाने पर पुलिस ने मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दिया, जिसके बाद वादी ने प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र दाखिल किया, जिसे परिवाद के तौर पर दर्ज करते हुए निचली अदालत ने याचियों को समन किया. याचिका में कहा गया है कि याची जब अपने अधिवक्ता अमरेंद्र प्रताप सिंह के साथ कोर्ट रूम से बाहर निकल रहे थे तो राजेश शुक्ला व उनके कुछ साथियों ने मारपीट की, जिसकी शिकायत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट व जनपद न्यायाधीश से की गई.

याचिका में कहा गया है कि इन परिस्थितियों में याचियों का अपने मुकदमे की पैरवी करना सम्भव नहीं है. लिहाजा मामले को किसी और जनपद में स्थानांतरित किया जाए. याचिका पर सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने जनपद न्यायाधीश को सीसीटीवी फुटेज आदि को देखते हुए जांच करने व 20 फरवरी तक रिपोर्ट देने के आदेश दिए. साथ ही न्यायालय ने याचियों के विरुद्ध कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

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