लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान अजीबोगरीब स्थिति सामने आई है. रेप पीड़िता के दो शैक्षिक दस्तावेजों में अलग-अलग जन्मतिथि दर्ज पाई गई है. न्यायालय ने इसे गम्भीर मामला मानते हुए अम्बेडकरनगर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को मामले की जांच कर धोखाधड़ी करने वाले शैक्षणिक संस्थान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं.
यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल पीठ ने रिंकू यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. याची पर अम्बेडकर नगर जिले के हंसवर थाने में आईपीसी की धारा 376, 363, 366 समेत पॉक्सो एक्ट और एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज है. याची के अधिवक्ता ने न्यायालय के समक्ष पीड़िता का स्कूल सर्टिफिकेट पेश करते हुए दलील दी कि दस्तावेज के मुताबिक पीड़िता 18 वर्ष से अधिक उम्र की है. लिहाजा इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध ही नहीं बनता है.
सरकारी वकील ने पुलिस से मिले निर्देश के अनुसार न्यायालय को बताया कि अपर प्राइमरी स्कूल, दाउदपुर, बसखारी द्वारा पीड़िता की जारी मार्कशीट में उसकी जन्म तिथि वर्ष 2003 अंकित है. अर्थात घटना के समय पीड़िता नाबालिग थी. इस पर न्यायालय ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. न्यायालय ने कहा है कि जिम्मेदार पाए जाने वाले शैक्षणिक संस्थान के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जाए.