लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लखनऊ यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के 199 पदों की भर्ती में 156 पदों को आरक्षित वर्ग के लिए रखे जाने पर विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 7 अक्टूबर की तिथि नियत किया है. साथ ही हाईकोर्ट ने भौतिक विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के एक पद पर भर्ती को अंतिम रूप देने से रोक दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने डॉ. सौरभ पांडेय की सेवा संबंधी याचिका पर पारित किया. याची की ओर से दलील दी गई है कि लखनऊ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के 199 पदों पर भर्ती के लिए 8 सितंबर 2021 को विज्ञापन जारी किया गया. उक्त विज्ञापन के द्वारा 66 पद ओबीसी, 57 पद एससी, 3 पद एसटी व 30 पद ईडब्ल्यूएस वर्गों के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित किए गए. जबकि मात्र 43 पद अनारक्षित श्रेणी के लिए उक्त विज्ञापन में रखे गए हैं.
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दलील दी गई कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इंदिरा साहनी मामले में दिए फैसले के तहत आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है. कहा गया कि इसके बावजूद विश्वविद्यालय ने उपरोक्त आरक्षण व्यवस्था लागू कर दी, जो सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के विपरीत है. याचिका का विश्वविद्यालय के अधिवक्ता द्वारा विरोध किया गया. हालांकि न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत विश्वविद्यालय से अगली सुनवाई पर यह बताने को कहा है कि असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के कुल कितने पदों पर भर्तियां की जानी हैं व इनमें से कितने पद अनारक्षित हैं व कितने पदों को आरक्षित रखा गया है.