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हाईकोर्ट ने कहा- किसान के ट्रैक्टर की मनमानी नीलामी पर लगा हर्जाना सही - allahabad high court

बाराबंकी जिले के एक किसान के ट्रैक्टर की मनमानी नीलामी के कारण एकल पीठ द्वारा राज्य सरकार और यूनियन बैंक पर लगाए गए 10 लाख रुपये के हर्जाने के आदेश को सरकार और बैंक ने चुनौती दी थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को सही पाते हुए, दोनों की अपीलें खारिज कर दीं.

लखनऊ हाईकोर्ट.
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Published : Jul 28, 2021, 9:43 PM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में राज्य सरकार और यूनियन बैंक को बड़ा झटका लगा है. न्यायालय ने एक किसान के ट्रैक्टर की मनमाने तरीके से नीलाम करने के मामले में दोनों पर लगे 10 लाख रुपये के हर्जाने के आदेश को सही करार दिया है. साथ ही उनकी अपीलों को खारिज भी कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार और यूनियन बैंक की अलग-अलग विशेष अपीलों पर पारित किया. उक्त अपीलों में एकल पीठ के 18 जुलाई 2012 के आदेश को चुनौती दी गई थी. एकल पीठ ने बाराबंकी निवासी किसान जयसिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया था कि उसने वर्ष 2000 में ट्रैक्टर खरीदने के लिए यूनियन बैंक से दो लाख रुपये कर्ज लिया था. बाद में वह किश्तों का भुगतान नहीं कर सका.

इसे भी पढ़ें:- खुशखबरी: चुनाव से पहले कर्मचारियों को मिलेगा रुका हुआ महंगाई भत्ता

इस दौरान वर्ष 2008 में कर्ज माफी योजना के तहत उसके कर्ज को माफ कर दिया गया व उस पर मात्र 47 हजार 59 रुपये का कर्ज बकाया रह गया. कर्ज के बचे हुए इस हिस्से के लिए जयसिंह का ट्रैक्टर वर्ष 2009 में नीलाम कर दिया गया. एकल पीठ ने पाया था कि वसूली की प्रक्रिया मनमाने तरीके से की गई. नीलामी की तिथि को भी अधिसूचित नहीं किया गया. एकल पीठ ने कहा कि पूरी प्रक्रिया को देखकर लगता है कि याची की संपत्ति हड़पने के लिए ऐसा किया गया. एकल पीठ ने किसान को 10 लाख रुपये हर्जाना देने का आदेश बैंक, राजस्व अधिकारियों और राज्य सरकार को दिया. इस आदेश को राज्य सरकार ने वर्ष 2014 में व बैंक ने 2012 में चुनौती देते हुए अपीलें दाखिल कीं, जिन्हें कोर्ट ने अब खारिज कर दिया है.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में राज्य सरकार और यूनियन बैंक को बड़ा झटका लगा है. न्यायालय ने एक किसान के ट्रैक्टर की मनमाने तरीके से नीलाम करने के मामले में दोनों पर लगे 10 लाख रुपये के हर्जाने के आदेश को सही करार दिया है. साथ ही उनकी अपीलों को खारिज भी कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार और यूनियन बैंक की अलग-अलग विशेष अपीलों पर पारित किया. उक्त अपीलों में एकल पीठ के 18 जुलाई 2012 के आदेश को चुनौती दी गई थी. एकल पीठ ने बाराबंकी निवासी किसान जयसिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया था कि उसने वर्ष 2000 में ट्रैक्टर खरीदने के लिए यूनियन बैंक से दो लाख रुपये कर्ज लिया था. बाद में वह किश्तों का भुगतान नहीं कर सका.

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इस दौरान वर्ष 2008 में कर्ज माफी योजना के तहत उसके कर्ज को माफ कर दिया गया व उस पर मात्र 47 हजार 59 रुपये का कर्ज बकाया रह गया. कर्ज के बचे हुए इस हिस्से के लिए जयसिंह का ट्रैक्टर वर्ष 2009 में नीलाम कर दिया गया. एकल पीठ ने पाया था कि वसूली की प्रक्रिया मनमाने तरीके से की गई. नीलामी की तिथि को भी अधिसूचित नहीं किया गया. एकल पीठ ने कहा कि पूरी प्रक्रिया को देखकर लगता है कि याची की संपत्ति हड़पने के लिए ऐसा किया गया. एकल पीठ ने किसान को 10 लाख रुपये हर्जाना देने का आदेश बैंक, राजस्व अधिकारियों और राज्य सरकार को दिया. इस आदेश को राज्य सरकार ने वर्ष 2014 में व बैंक ने 2012 में चुनौती देते हुए अपीलें दाखिल कीं, जिन्हें कोर्ट ने अब खारिज कर दिया है.

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