लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजधानी व नोएडा में वर्ष 2007 से 2011 के बीच हुए स्मारक घोटाला मामले में दाखिल चार्जशीट को खारिज करने से इनकार कर दिया है. न्यायालय ने याचियों को अभियोजन स्वीकृति के आदेश को ट्रायल के दौरान चुनौती देने की छूट देते हुए याचिका को निस्तारित कर दिया.
यह आदेश न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने अजय कुमार व एक अन्य की याचिका पर पारित किया. याचियों ने इस मामले में अपने खिलाफ दाखिल चार्जशीट व एमपी-एमएलए कोर्ट, लखनऊ द्वारा चार्जशीट पर संज्ञान लिए जाने के आदेश को निरस्त किये जाने की प्रार्थना की थी. राज्य सरकार के अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह ने बताया कि मामला 42 अरब रुपये से अधिक के घोटाले का है. मामले में तत्कालीन मंत्रियों का भी नाम आ चुका है. वहीं याचियों की ओर से कहा गया कि उनके खिलाफ मिले अभियोजन स्वीकृति को ट्रायल के समय चुनौती देने की छूट देते हुए याचिका को निस्तारित कर दिया जाए. इस पर न्यायालय ने उक्त छूट देते हुए याचिका को निस्तारित कर दिया.
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उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 से 2011 के मध्य लखनऊ व नोएडा में स्मारकों के निर्माण में पत्थरों की खरीद व निर्माण में की गई अनियमितता व भ्रष्टाचार के सम्बंध में गोमती नगर थाने में आईपीसी की धारा 409, 120 बी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)डी व धारा 13 (2) के तहत 1 जनवरी 2014 को एफआईआर दर्ज कराई गई थी.
सतर्कता अधिष्ठान द्वारा की गई विवेचना के उपरांत कुल 83 अभियुक्तों में से छह अभियुक्तों अजय कुमार तत्कालीन इकाई प्रभारी राजकीय निर्माण निगम, एसके त्यागी तत्कालीन इकाई प्रभारी राजकीय निर्माण निगम, सोहेल अहमद फारुकी तत्कालीन संयुक्त निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय, होशियार सिंह तरकर, तत्कालीन इकाई प्रभारी राजकीय निर्माण निगम, पन्ना लाल यादव कंसोर्टियम प्रमुख व अशोक सिंह कंसोटियम प्रमुख के विरुद्ध आरोप पत्र एमपी-एमएलए कोर्ट, लखनऊ में 15 अक्टूबर 2020 को भेजा गया था.