ETV Bharat / state

सहायक शिक्षक भर्ती मामले में राज्य सरकार को मिली राहत, हाईकोर्ट ने कहा-'बचे हुए 6470 पदों को जल्द भरे सरकार'

हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 12,460 सहायक अध्यापकों के चयन (12460 teachers recruitment) को रद् करने के 1 नवम्बर 2018 के एकल पीठ के निर्णय को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने भर्ती के क्रम में बचे हुए 6470 पदों के लिए कॉमन मेरिट लिस्ट जारी करते हुए, तीन माह में इन्हें भरने का भी आदेश दिया है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 7, 2023, 10:57 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है. न्यायालय ने 12,460 सहायक अध्यापकों के चयन को रद् करने के 1 नवम्बर 2018 के एकल पीठ के निर्णय को खारिज कर दिया है. इसी के साथ न्यायालय ने उक्त भर्ती के क्रम में बचे हुए 6470 पदों के लिए कॉमन मेरिट लिस्ट जारी करते हुए, तीन माह में इन्हें भरने का भी आदेश राज्य सरकार को दिया है.


19 विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई : यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने मोहित कुमार द्विवेदी व अन्य चयनित अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल 19 विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. उक्त भर्तियों के लिए 21 दिसम्बर 2016 को विज्ञापन जारी करते हुए, चयन प्रक्रिया प्रारम्भ की गई थी. एकल पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि उक्त भर्तियां यूपी बेसिक एजूकेशन टीचर्स सर्विस रूल्स 1981 के नियमों का पूरी तरह पालन करते हुए नए सिरे से काउंसलिंग कराके पूरी की जाएं. साथ ही कहा था कि नई चयन प्रकिया के लिए वही नियम लागू किए जाएंगे जोकि पूर्व में प्रकिया प्रारम्भ करते समय बनाए गए थे.

नोटिफिकेशन को खारिज किए जाने की मांग : दरअसल, एकल पीठ के समक्ष 26 दिसम्बर 2012 के उस नोटिफिकेशन को खारिज किए जाने की मांग की गई थी, जिसके तहत उन जिलों जहां कोई रिक्तियां नहीं थीं, वहां के अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के लिए किसी भी जिले को प्रथम वरीयता के तौर पर चुनने की छूट दी गई थी. कहा गया था कि 26 दिसम्बर 2016 के नोटिफिकेशन द्वारा नियमों में उक्त बदलाव भर्ती प्रकिया प्रारम्भ होने के बाद किया गया, जबकि नियमानुसार एक बार भर्ती प्रकिया प्रारम्भ होने के बाद नियमों में परिवर्तन नहीं किया जा सकता. दो सदस्यीय खंडपीठ ने एकल पीठ के निर्णय को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि अच्छी शिक्षा के लिए हमेशा मेरिट को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. योग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति से इंकार करना उचित नहीं है.

5990 पदों पर भी तीन माह में भर्ती : न्यायालय ने कहा कि जिन जिलों में कोई रिक्तियां नहीं थीं, वहां के अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के लिए किसी भी जिले को प्रथम वरीयता के तौर पर चुनने की छूट देने में कोई कोई त्रुटि नहीं है. अपने आदेश में न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा सुनवाई को बार-बार टलवाने और यथोचित सहयोग न किए जाने की आलोचना भी की. न्यायालय ने यह भी पाया कि 12,460 सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया के क्रम में फिलहाल 5990 अभ्यर्थी की नियुक्ति प्राप्त करने के उपरांत काम कर रहे हैं, ऐसे में बचे हुए 5990 पदों पर भी तीन माह में भर्ती सम्पन्न की जाए.

यह भी पढ़ें : 68500 शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षण के आदेश को लागू करने की मांग, घेरा बेसिक शिक्षा मंत्री आवास

यह भी पढ़ें : 69000 शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों ने SCRT कार्यालय का किया घेराव

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है. न्यायालय ने 12,460 सहायक अध्यापकों के चयन को रद् करने के 1 नवम्बर 2018 के एकल पीठ के निर्णय को खारिज कर दिया है. इसी के साथ न्यायालय ने उक्त भर्ती के क्रम में बचे हुए 6470 पदों के लिए कॉमन मेरिट लिस्ट जारी करते हुए, तीन माह में इन्हें भरने का भी आदेश राज्य सरकार को दिया है.


19 विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई : यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने मोहित कुमार द्विवेदी व अन्य चयनित अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल 19 विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. उक्त भर्तियों के लिए 21 दिसम्बर 2016 को विज्ञापन जारी करते हुए, चयन प्रक्रिया प्रारम्भ की गई थी. एकल पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि उक्त भर्तियां यूपी बेसिक एजूकेशन टीचर्स सर्विस रूल्स 1981 के नियमों का पूरी तरह पालन करते हुए नए सिरे से काउंसलिंग कराके पूरी की जाएं. साथ ही कहा था कि नई चयन प्रकिया के लिए वही नियम लागू किए जाएंगे जोकि पूर्व में प्रकिया प्रारम्भ करते समय बनाए गए थे.

नोटिफिकेशन को खारिज किए जाने की मांग : दरअसल, एकल पीठ के समक्ष 26 दिसम्बर 2012 के उस नोटिफिकेशन को खारिज किए जाने की मांग की गई थी, जिसके तहत उन जिलों जहां कोई रिक्तियां नहीं थीं, वहां के अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के लिए किसी भी जिले को प्रथम वरीयता के तौर पर चुनने की छूट दी गई थी. कहा गया था कि 26 दिसम्बर 2016 के नोटिफिकेशन द्वारा नियमों में उक्त बदलाव भर्ती प्रकिया प्रारम्भ होने के बाद किया गया, जबकि नियमानुसार एक बार भर्ती प्रकिया प्रारम्भ होने के बाद नियमों में परिवर्तन नहीं किया जा सकता. दो सदस्यीय खंडपीठ ने एकल पीठ के निर्णय को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि अच्छी शिक्षा के लिए हमेशा मेरिट को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. योग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति से इंकार करना उचित नहीं है.

5990 पदों पर भी तीन माह में भर्ती : न्यायालय ने कहा कि जिन जिलों में कोई रिक्तियां नहीं थीं, वहां के अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के लिए किसी भी जिले को प्रथम वरीयता के तौर पर चुनने की छूट देने में कोई कोई त्रुटि नहीं है. अपने आदेश में न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा सुनवाई को बार-बार टलवाने और यथोचित सहयोग न किए जाने की आलोचना भी की. न्यायालय ने यह भी पाया कि 12,460 सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया के क्रम में फिलहाल 5990 अभ्यर्थी की नियुक्ति प्राप्त करने के उपरांत काम कर रहे हैं, ऐसे में बचे हुए 5990 पदों पर भी तीन माह में भर्ती सम्पन्न की जाए.

यह भी पढ़ें : 68500 शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षण के आदेश को लागू करने की मांग, घेरा बेसिक शिक्षा मंत्री आवास

यह भी पढ़ें : 69000 शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों ने SCRT कार्यालय का किया घेराव

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.