लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने वकीलों के हड़ताल पर नाराजगी जताते हुए, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस सम्बंध में पारित एक निर्णय का उल्लंघन बताया है. न्यायालय ने अम्बेडकर नगर के आलापुर तहसील के बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को हड़ताल करने पर नोटिस भेजने का आदेश देते हुए, उनसे पूछा है कि बार-बार हड़ताल कर राजस्व अदालत का कार्य प्रभावित करने के लिए उनके खिलाफ क्यों न अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए.
न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 जुलाई 2022 की तिथि नियत करते हुए, उक्त बार के पदाधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का भी आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने पवन कुमार व एक अन्य की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर पारित किया. याचिका आलापुर तहसील के नायब तहसीलदार देवानंद तिवारी के विरुद्ध दाखिल की गई है.
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याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नायब तहसीलदार ने उसके मुकदमे का अब तक निस्तारण नहीं किया. हालांकि न्यायालय ने मामले की ऑर्डर शीट्स को देखने पर पाया कि ज्यादातर तारीखों पर वकीलों के हड़ताल के चलते सुनवाई नहीं हो सकी. न्यायालय ने वकीलों के इस व्यवहार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हरीश उप्पल व डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन, देहरादून मामलों में पारित निर्णयों का उल्लंघन कहा. उक्त निर्णयों में सर्वोच्च न्यायालय यह स्पष्ट कर चुका है कि वकीलों को हड़ताल अथवा न्ययैक कार्य के बहिष्कार का कोई अधिकार नहीं है. न्यायालय ने बार के अध्यक्ष राम प्रकाश तिवारी, पूर्व अध्यक्ष कृष्ण गोपाल मिश्रा व सचिव योगेंद्र यादव को मामले में प्रतिवादीगण बनाए जाने का भी आदेश याची पक्ष को दिया है.