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हाईकोर्ट के पास ट्रैफिक को लेकर अधिकारियों को अवमानना की नोटिस

हाईकोर्ट के आसपास जाम की समस्या से निजात मिलने को लेकर दाखिल एक याचिका पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने सम्बंधित अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना का नोटिस जारी करने का आदेश दिया है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : May 9, 2022, 9:20 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कमता तिराहे व पॉलीटेक्निक चौराहे पर जाम की समस्या से निजात न मिलने को लेकर दाखिल एक अवमानना याचिका पर संज्ञान लेते हुए सम्बंधित अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना का नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 मई की तिथि नियत करते हुए, अधिकारियों से जवाब भी मांगा है कि हाईकोर्ट के आसपास जाम की समस्या से निजात पाने के लिए क्या कदम उठाए गए. यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने संजय कुमार वर्मा की याचिका पर पारित किया.

इसे भी पढ़ें-बीबीएयू: छात्र के साथ सीनियरों ने की रैगिंग, शिकायत करने पर भी नहीं हुई कार्रवाई

न्यायालय ने राज्य परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को अपने जवाब में यह भी बताने को कहा है कि न्यायालय के 5 जुलाई 2017 के आदेश में रोक के बावजूद परिवहन निगम की बसें चौराहे पर रोक के यात्रियों को क्यों उतारती या बैठाती हैं.
दरअसल याचिका में कहा गया है कि 5 जुलाई 2017 को हाईकोर्ट ने एक आदेश पारित करते हुए, हाईकोर्ट के आसपास सुचारू रूप से ट्रैफिक चलाने के लिए कदम उठाने का आदेश दिया था. बावजूद इसके आदेश के अनुपालन के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि सम्बंधित अधिकारियों ने आदेश का अनुपालन न कर प्रथम दृष्टया अवमानना की है. याचिका में कहा गया है कि मुख्य सचिव को इस सम्बंध में सम्बंधित विभागों के सचिवों की एक कमेटी गठित करने का भी आदेश था. न्यायालय ने उक्त कमेटी की रिपोर्ट को भी तलब किया है.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कमता तिराहे व पॉलीटेक्निक चौराहे पर जाम की समस्या से निजात न मिलने को लेकर दाखिल एक अवमानना याचिका पर संज्ञान लेते हुए सम्बंधित अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना का नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 मई की तिथि नियत करते हुए, अधिकारियों से जवाब भी मांगा है कि हाईकोर्ट के आसपास जाम की समस्या से निजात पाने के लिए क्या कदम उठाए गए. यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने संजय कुमार वर्मा की याचिका पर पारित किया.

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न्यायालय ने राज्य परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को अपने जवाब में यह भी बताने को कहा है कि न्यायालय के 5 जुलाई 2017 के आदेश में रोक के बावजूद परिवहन निगम की बसें चौराहे पर रोक के यात्रियों को क्यों उतारती या बैठाती हैं.
दरअसल याचिका में कहा गया है कि 5 जुलाई 2017 को हाईकोर्ट ने एक आदेश पारित करते हुए, हाईकोर्ट के आसपास सुचारू रूप से ट्रैफिक चलाने के लिए कदम उठाने का आदेश दिया था. बावजूद इसके आदेश के अनुपालन के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि सम्बंधित अधिकारियों ने आदेश का अनुपालन न कर प्रथम दृष्टया अवमानना की है. याचिका में कहा गया है कि मुख्य सचिव को इस सम्बंध में सम्बंधित विभागों के सचिवों की एक कमेटी गठित करने का भी आदेश था. न्यायालय ने उक्त कमेटी की रिपोर्ट को भी तलब किया है.

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