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दो साल बाद भी नहीं लगी सीटी स्कैन की मशीन, हाईकोर्ट ने 24 घंटे में मांगा जवाब - MRI machine

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में सीटी स्कैन और एमआरआई मशीनें अब तक न लग पाने पर सख्त रुख अख्तियार किया है. न्यायालय ने राज्य सरकार के भीतर 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Jul 21, 2021, 4:52 AM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में सीटी स्कैन और एमआरआई मशीनें अब तक न लग पाने पर सख्त रुख अख्तियार किया है. न्यायालय ने राज्य सरकार को 24 घंटे में यह बताने को कहा है कि दो वर्ष बीत जाने के बाद भी मशीनें न लग पाने का क्या कारण है. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने कॉलेज के जूनियर रेजिडेंट्स डॉ. राकेश कुमार वर्मा और अन्य की याचिका पर दिया.

इसे भी पढ़ें- स्वास्थ्य सेवा का बुरा हाल, 8 जुलाई से जांच मशीन खराब

न्यायालय ने कहा कि दो साल पहले ये मशीनें मेडिकल कॉलेज में लगाने का निर्णय लिया जा चुका है. इसके बावजूद अब तक इन्हें नहीं लगाया जा सका, जबकि दो साल पर्याप्त समय होता है. न्यायालय ने कहा कि याचीगण अपने अध्यन सम्बंधी कार्य के लिए निजी एजेंसियों पर निर्भर हैं. याचिका में कहा गया है कि याचीगण मेडिकल कॉलेज में रेडियो डॉयग्नोसिस डिपार्टमेंट से पीजी कर रहे हैं, लेकिन कॉलेज में आज तक सीटी स्कैन और एमआरआई मशीनें नहीं लगाई गई हैं, जिसकी वजह से प्रैक्टिकल के लिए उन्हें बाहर जाना पड़ता है. बाहर उनसे मनमाना पैसा लिया जाता है और रिपोर्ट भी सही नहीं होती. इस सम्बंध में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल कई बार महानिदेशक कार्यालय को पत्र भेज चुके हैं. बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जबकि मरीजों और उनके तीमारदारों को भी मशीनें न होने से मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में सीटी स्कैन और एमआरआई मशीनें अब तक न लग पाने पर सख्त रुख अख्तियार किया है. न्यायालय ने राज्य सरकार को 24 घंटे में यह बताने को कहा है कि दो वर्ष बीत जाने के बाद भी मशीनें न लग पाने का क्या कारण है. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने कॉलेज के जूनियर रेजिडेंट्स डॉ. राकेश कुमार वर्मा और अन्य की याचिका पर दिया.

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न्यायालय ने कहा कि दो साल पहले ये मशीनें मेडिकल कॉलेज में लगाने का निर्णय लिया जा चुका है. इसके बावजूद अब तक इन्हें नहीं लगाया जा सका, जबकि दो साल पर्याप्त समय होता है. न्यायालय ने कहा कि याचीगण अपने अध्यन सम्बंधी कार्य के लिए निजी एजेंसियों पर निर्भर हैं. याचिका में कहा गया है कि याचीगण मेडिकल कॉलेज में रेडियो डॉयग्नोसिस डिपार्टमेंट से पीजी कर रहे हैं, लेकिन कॉलेज में आज तक सीटी स्कैन और एमआरआई मशीनें नहीं लगाई गई हैं, जिसकी वजह से प्रैक्टिकल के लिए उन्हें बाहर जाना पड़ता है. बाहर उनसे मनमाना पैसा लिया जाता है और रिपोर्ट भी सही नहीं होती. इस सम्बंध में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल कई बार महानिदेशक कार्यालय को पत्र भेज चुके हैं. बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जबकि मरीजों और उनके तीमारदारों को भी मशीनें न होने से मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

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