लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में सीआरपीसी की धारा 82 के तहत फरारी की उद्घोषणा जारी होने के बाद अभियुक्त की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर की है. न्यायालय ने माना है कि धारा 82 की कार्यवाही के बाद भी अग्रिम जमानत दिए जाने पर पूर्णतया रोक नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने अजय कुमार शर्मा की अग्रिम जमानत याचिका पर पारित किया.
अभियुक्त पर अयोध्या जनपद में दर्ज एक मामले में धोखाधड़ी व साइबर फ्रॉड के जरिए विदेश भेजने के नाम पर पैसे हड़पने का आरोप है. अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता चन्दन श्रीवास्तव ने दलील दी कि मामले के पीड़ितों की अभियुक्त से कभी मुलाकात तक नहीं हुई. वहीं, मामले के एक पीड़ित ने तो मामले के वादी पर ही घटना को अंजाम देने का आरोप लगाया है. वहीं, राज्य सरकार की ओर से अग्रिम जमानत का यह कहते हुए विरोध किया गया कि अभियुक्त विवेचना में सहयोग नहीं कर रहा.
इसके कारण उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट और फरारी की उद्घोषणा जारी हो चुकी है. कहा गया कि लवेश मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 82 की कार्यवाही के पश्चात अग्रिम जमानत न दिए जाने की बात कही है. इस पर अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि शीर्ष अदालत ने ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत दिए जाने पर पूर्णतया रोक नहीं लगाई है, सिर्फ सामान्यतः न दिए जाने को कहा है. यह भी कहा गया कि उदित आर्या मामले में यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि धारा 82 की कार्यवाही के बाद अग्रिम जमानत दिए जाने पर पूर्णतया रोक नहीं है. वहीं, न्यायालय ने पाया कि अभियुक्त जानबूझ कर विवेचना में असहयोग नहीं कर रहा था. बल्कि उसे वर्तमान मामले की जानकारी ही नहीं हो सकी थी.