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पूर्व डीआईजी अरविन्द सेन को हाईकोर्ट ने दी जमानत, जानिए पूरा मामला

पशुपालन विभाग में टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने के मामले में अभियुक्त पूर्व डीआईजी की जमानत याचिका मंजूर कर ली है.

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Published : May 4, 2023, 8:29 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पशुपालन विभाग में टेंडर दिलाने के नाम पर इंदौर के एक व्यापारी से करोड़ों की ठगी करने के मामले में अभियुक्त पूर्व डीआईजी अरविन्द सेन की जमानत याचिका मंजूर कर ली है. न्यायालय के आदेश पर मामले के वादी को बीस लाख रुपये का ड्राफ्ट देने के बाद जमानत पर रिहा करने का आदेश हुआ है.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अरविन्द सेन की जमानत याचिका पर पारित किया. अरविन्द सेन के अधिवक्ता ने दलील दी कि मामले में कुल 9 करोड़ 72 लाख 12 हजार रुपए ठगी का आरोप है, जिसमें से अभियुक्त अरविन्द सेन के खाते में सिर्फ दस लाख रुपये आए थे. आरोप है कि अभियुक्त ने वादी के साथ ठगी में दूसरे अभियुक्तों का पूरा साथ दिया था, जिस समय वारदात को अंजाम दिया गया अभियुक्त मुख्यमंत्री के साथ ड्यूटी पर था. कहा गया कि अभियुक्त 27 जनवरी 2021 से ही जेल में है, वहीं न्यायालय ने 17 अप्रैल को ही सुनवाई के दौरान अभियुक्त के अधिवक्ता को बीस लाख रुपये का बैंक ड्राफ्ट लाने का निर्देश दिया था जो उनके द्वारा लाया गया व कोर्ट में ही वादी के अधिवक्ता को उक्त बीस लाख रुपये का ड्राफ्ट दे दिया गया.


क्या है मामला : इंदौर के व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया ने इस मामले की प्राथमिकी हजरतगंज थाने पर आईपीसी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज कराई थी. कहा गया है कि अप्रैल 2018 में वादी के छोटे भाई के दोस्त वैभव शुक्ला अपने साथी संतोष शर्मा के साथ उनके इंदौर स्थित आवास पर आया और बताया कि पशुपालन मंत्री के करीबी और उप निदेशक पशुपालन एसके मित्तल आपको पार्टी हित में गेहूं, शक्कर, आटा और दाल की सप्लाई देना चाहते हैं, जिस पर विश्वास करके वादी ने दोनों अभियुक्तों को अपनी कम्पनी का प्रोफाइल और टर्न ओवर के कागज दे दिए, कुछ दिनों के बाद दोनों पशुपालन से जारी टेंडर फार्म लेकर आए और वादी और उसकी पत्नी के हस्ताक्षर कराए तथा रेट उप निदेशक द्वारा भरने की बात कही. आरोप है कि इस सप्लाई के कार्य के लिए अभियुक्तों ने वादी से कुल नौ करोड़ 72 लाख 12 हजार रुपए लिए, लेकिन जब वादी ने ऑन लाइन टेंडर की स्थिति देखी तो पता चला कि उसे टेंडर नहीं मिला है और अभियुक्तों ने उसके साथ धोखाधड़ी कर दी है. मामले में पूर्व डीआईजी अरविन्द सेन की भी भूमिका सामने आई.

यह भी पढ़ें : लखनऊ में महिला मतदाता ने प्रत्याशी को जड़ा थप्पड़, मतदान स्थल पर मची अफरा-तफरी

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पशुपालन विभाग में टेंडर दिलाने के नाम पर इंदौर के एक व्यापारी से करोड़ों की ठगी करने के मामले में अभियुक्त पूर्व डीआईजी अरविन्द सेन की जमानत याचिका मंजूर कर ली है. न्यायालय के आदेश पर मामले के वादी को बीस लाख रुपये का ड्राफ्ट देने के बाद जमानत पर रिहा करने का आदेश हुआ है.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अरविन्द सेन की जमानत याचिका पर पारित किया. अरविन्द सेन के अधिवक्ता ने दलील दी कि मामले में कुल 9 करोड़ 72 लाख 12 हजार रुपए ठगी का आरोप है, जिसमें से अभियुक्त अरविन्द सेन के खाते में सिर्फ दस लाख रुपये आए थे. आरोप है कि अभियुक्त ने वादी के साथ ठगी में दूसरे अभियुक्तों का पूरा साथ दिया था, जिस समय वारदात को अंजाम दिया गया अभियुक्त मुख्यमंत्री के साथ ड्यूटी पर था. कहा गया कि अभियुक्त 27 जनवरी 2021 से ही जेल में है, वहीं न्यायालय ने 17 अप्रैल को ही सुनवाई के दौरान अभियुक्त के अधिवक्ता को बीस लाख रुपये का बैंक ड्राफ्ट लाने का निर्देश दिया था जो उनके द्वारा लाया गया व कोर्ट में ही वादी के अधिवक्ता को उक्त बीस लाख रुपये का ड्राफ्ट दे दिया गया.


क्या है मामला : इंदौर के व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया ने इस मामले की प्राथमिकी हजरतगंज थाने पर आईपीसी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज कराई थी. कहा गया है कि अप्रैल 2018 में वादी के छोटे भाई के दोस्त वैभव शुक्ला अपने साथी संतोष शर्मा के साथ उनके इंदौर स्थित आवास पर आया और बताया कि पशुपालन मंत्री के करीबी और उप निदेशक पशुपालन एसके मित्तल आपको पार्टी हित में गेहूं, शक्कर, आटा और दाल की सप्लाई देना चाहते हैं, जिस पर विश्वास करके वादी ने दोनों अभियुक्तों को अपनी कम्पनी का प्रोफाइल और टर्न ओवर के कागज दे दिए, कुछ दिनों के बाद दोनों पशुपालन से जारी टेंडर फार्म लेकर आए और वादी और उसकी पत्नी के हस्ताक्षर कराए तथा रेट उप निदेशक द्वारा भरने की बात कही. आरोप है कि इस सप्लाई के कार्य के लिए अभियुक्तों ने वादी से कुल नौ करोड़ 72 लाख 12 हजार रुपए लिए, लेकिन जब वादी ने ऑन लाइन टेंडर की स्थिति देखी तो पता चला कि उसे टेंडर नहीं मिला है और अभियुक्तों ने उसके साथ धोखाधड़ी कर दी है. मामले में पूर्व डीआईजी अरविन्द सेन की भी भूमिका सामने आई.

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