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डॉ. वाईएस सचान मौत मामले में पूर्व डीजीपी, एडीजीपी और जेलर को हाईकोर्ट से बड़ी राहत

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Published : Aug 8, 2022, 9:08 PM IST

Updated : Aug 9, 2022, 1:29 PM IST

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने डॉ. वाईएस सचान की जेल में मौत मामले में अभियुक्तों को तलब किए जाने के आदेश पर रोक लगा दी है. अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद होगी.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच.
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच.

लखनऊ: डॉ. वाईएस सचान की जेल में मौत के मामले में सीबीआई कोर्ट द्वारा बतौर अभियुक्त तलब किए गए, तत्कालीन डीजीपी करमवीर सिंह, तत्कालीन एडिशनल डीजीपी विजय कुमार गुप्ता व तत्कालीन जेलर भीमसेन मुकुंद को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court)से बड़ी राहत मिली है. न्यायालय ने इन सभी को तलब किए जाने के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट, सीबीआई के 7 जुलाई के आदेश पर रोक लगा दी है. न्यायालय ने डॉ. सचान की पत्नी व वादी मालती सचान को भी नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव की एकल पीठ ने उपरोक्त तीनों पूर्व अधिकारियों की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर पारित किया. याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि मामले में सीबीआई जांच कर चुकी थी व डॉ. सचान की मृत्यु को आत्महत्या पाते हुए क्लोजर रिपोर्ट भी दाखिल कर दी गई थी. यह भी दलील दी गई कि याचियों के सरकारी अधिकारी होने के कारण उन्हें तलब किए जाने से पूर्व शासन से संस्तुति प्राप्त करना अनिवार्य था। सीबीआई ने दोहराई आत्महत्या की थ्योरी मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता अनुराग कुमार सिंह ने कहा कि सीबीआई ने मामले की बारीकी से जांच की थी व डॉ. सचान की मृत्यु को आत्महत्या पाए जाने के बाद ही क्लोजर रिपोर्ट लगाई गई थी।

क्या है मामला
डॉ. सचान एनआरएचएम घोटाला मामले में न्यायिक हिरासत में थे. 22 जून 2011 को डॉ. वाईएस सचान की संदिग्ध परिस्थितियों में लखनऊ जेल में मौत हुई थी. 26 जून 2011 को उनकी मौत की एफआईआर थाना गोसाइगंज में अज्ञात व्यक्तियों क खिलाफ दर्ज हुई थी. इसके बाद डॉ. सचान की मौत की न्यायिक जांच शुरू हुई. 11 जुलाई 2011 को न्यायिक जांच रिपोर्ट में डॉ. सचान की मौत को हत्या करार दिया गया. 14 जुलाई 2011 को हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.

27 सितंबर 2012 को सीबीआई ने जांच के बाद डॉ. सचान की मौत को आत्महत्या करार देते हुए अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी गई थी. वहीं, डॉ. सचान की पत्नी मालती सचान ने सीबीआई की अंतिम रिपोर्ट को प्रोटेस्ट अर्जी के माध्यम से चुनौती दी. सीबीआई कोर्ट ने उनकी अर्जी स्वीकार करते हुए सीबीआई को अतिरिक्त कार्यवाही का आदेश दिया. 9 अगस्त, 2017 को सीबीआई ने फिर से अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दिया. 19 नवंबर 2019 को सीबीआई कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया और मालती सचान की अर्जी को परिवाद के रूप में दर्ज कर लिया.

मालती सचान ने कोर्ट में न्यायिक जांच रिपोर्ट के अलावा पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मेडिकल एक्सपर्ट ओपिनयन व पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करने वाले डॉक्टरों के बयान के साथ ही सीबीआई द्वारा दर्ज बयानों का भी हवाला दिया. 7 जुलाई 2022 को सीबीआई कोर्ट ने डॉ. सचान की मृत्यु को हत्या का मामला मानते हुए तत्कालीन डीजीपी करमवीर सिंह, एडिशनल डीजीपी वीके गुप्ता व आईजी जोन लखनऊ सुबेह कुमार सिंह समेत लखनऊ जेल के तत्कालीन जेलर बीएस मुकुंद, डिप्टी जेलर सुनील कुमार सिंह, प्रधान बंदीरक्षक बाबू राम दूबे व बंदीरक्षक पहींद्र सिंह को हाजिर होने का आदेश दिया.

लखनऊ: डॉ. वाईएस सचान की जेल में मौत के मामले में सीबीआई कोर्ट द्वारा बतौर अभियुक्त तलब किए गए, तत्कालीन डीजीपी करमवीर सिंह, तत्कालीन एडिशनल डीजीपी विजय कुमार गुप्ता व तत्कालीन जेलर भीमसेन मुकुंद को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court)से बड़ी राहत मिली है. न्यायालय ने इन सभी को तलब किए जाने के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट, सीबीआई के 7 जुलाई के आदेश पर रोक लगा दी है. न्यायालय ने डॉ. सचान की पत्नी व वादी मालती सचान को भी नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव की एकल पीठ ने उपरोक्त तीनों पूर्व अधिकारियों की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर पारित किया. याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि मामले में सीबीआई जांच कर चुकी थी व डॉ. सचान की मृत्यु को आत्महत्या पाते हुए क्लोजर रिपोर्ट भी दाखिल कर दी गई थी. यह भी दलील दी गई कि याचियों के सरकारी अधिकारी होने के कारण उन्हें तलब किए जाने से पूर्व शासन से संस्तुति प्राप्त करना अनिवार्य था। सीबीआई ने दोहराई आत्महत्या की थ्योरी मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता अनुराग कुमार सिंह ने कहा कि सीबीआई ने मामले की बारीकी से जांच की थी व डॉ. सचान की मृत्यु को आत्महत्या पाए जाने के बाद ही क्लोजर रिपोर्ट लगाई गई थी।

क्या है मामला
डॉ. सचान एनआरएचएम घोटाला मामले में न्यायिक हिरासत में थे. 22 जून 2011 को डॉ. वाईएस सचान की संदिग्ध परिस्थितियों में लखनऊ जेल में मौत हुई थी. 26 जून 2011 को उनकी मौत की एफआईआर थाना गोसाइगंज में अज्ञात व्यक्तियों क खिलाफ दर्ज हुई थी. इसके बाद डॉ. सचान की मौत की न्यायिक जांच शुरू हुई. 11 जुलाई 2011 को न्यायिक जांच रिपोर्ट में डॉ. सचान की मौत को हत्या करार दिया गया. 14 जुलाई 2011 को हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.

27 सितंबर 2012 को सीबीआई ने जांच के बाद डॉ. सचान की मौत को आत्महत्या करार देते हुए अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी गई थी. वहीं, डॉ. सचान की पत्नी मालती सचान ने सीबीआई की अंतिम रिपोर्ट को प्रोटेस्ट अर्जी के माध्यम से चुनौती दी. सीबीआई कोर्ट ने उनकी अर्जी स्वीकार करते हुए सीबीआई को अतिरिक्त कार्यवाही का आदेश दिया. 9 अगस्त, 2017 को सीबीआई ने फिर से अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दिया. 19 नवंबर 2019 को सीबीआई कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया और मालती सचान की अर्जी को परिवाद के रूप में दर्ज कर लिया.

मालती सचान ने कोर्ट में न्यायिक जांच रिपोर्ट के अलावा पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मेडिकल एक्सपर्ट ओपिनयन व पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करने वाले डॉक्टरों के बयान के साथ ही सीबीआई द्वारा दर्ज बयानों का भी हवाला दिया. 7 जुलाई 2022 को सीबीआई कोर्ट ने डॉ. सचान की मृत्यु को हत्या का मामला मानते हुए तत्कालीन डीजीपी करमवीर सिंह, एडिशनल डीजीपी वीके गुप्ता व आईजी जोन लखनऊ सुबेह कुमार सिंह समेत लखनऊ जेल के तत्कालीन जेलर बीएस मुकुंद, डिप्टी जेलर सुनील कुमार सिंह, प्रधान बंदीरक्षक बाबू राम दूबे व बंदीरक्षक पहींद्र सिंह को हाजिर होने का आदेश दिया.

Last Updated : Aug 9, 2022, 1:29 PM IST
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