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अयोध्या जमीन खरीद के एक मामले में सरकार को हाईकोर्ट से मिली राहत - allegation of showing agricultural land

अयोध्या में एयरपोर्ट बनाने के लिए जमीन खरीदने के एक मामले में राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से ने राहत दी है. कोर्ट ने गैर-कृषि जमीनों को कृषि भूमि दर्शाते हुए खरीदने के आरोप लेकर दाखिल याचिका को सरकार के जवाब के बाद खारिज कर दिया है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Jun 29, 2021, 11:04 PM IST

लखनऊः अयोध्या जनपद में एयरपोर्ट बनाने के लिए जमीन खरीदने के एक मामले में राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से बड़ी राहत मिली है. न्यायालय ने गैर-कृषि जमीनों को कृषि भूमि दर्शाते हुए खरीदने के आरोप लेकर दाखिल याचिका को सरकार के जवाब के बाद खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने अयोध्या निवासी दुर्गा प्रसाद यादव व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिया.

गैर-कृषि भूमि को कृषि भूमि दर्शाते हुए खरीदने का लगाया गया था प्रशासन पर आरोप
याचियों का कहना था कि उन्होंने आवासीय प्लॉट खरीदे थे, जो गैर-कृषि भूमि के तौर पर रिकॉर्ड में दर्ज थे. उनकी जमीनों को कृषि भूमि दर्शाते हुए बैनामा ले लिया गया. याचियों का कहना था कि भूमि के बदले में जो धनराशि दी गई है, वह कृषि भूमि के दर के अनुसार दी गई है. जबकि जमीनों से लगी हुई दूसरी जमीनों का भुगतान आवासीय प्लॉट के दर के अनुसार किया गया.

इसे भी पढ़ें-रेप पीड़िता एक जन्म तिथियां दो, हाईकोर्ट ने दिया जांच का आदेश

हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज की याचिका
याचिका पर जवाब देते हुए सरकार व स्थानीय प्रशासन का कहना था कि याचियों की जमीनें पहले चरण में ली गईं. जब जमीनें ली गईं तब वहां कोई भी गैर-कृषि कार्य नहीं हो रहा था. जबकि दूसरे चरण में ली गई जमीनों में निर्माण था. कोर्ट में बहस के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने भी स्वीकार किया कि याचियों की जमीनों पर कोई निर्माण नहीं था. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यदि याचियों का बैनामे को लेकर कोई विवाद है तो वे सिविल मुकदमा दायर कर सकते हैं. लेकिन वर्तमान याचिका में उन्हें कोई राहत नहीं दी जा सकती.

लखनऊः अयोध्या जनपद में एयरपोर्ट बनाने के लिए जमीन खरीदने के एक मामले में राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से बड़ी राहत मिली है. न्यायालय ने गैर-कृषि जमीनों को कृषि भूमि दर्शाते हुए खरीदने के आरोप लेकर दाखिल याचिका को सरकार के जवाब के बाद खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने अयोध्या निवासी दुर्गा प्रसाद यादव व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिया.

गैर-कृषि भूमि को कृषि भूमि दर्शाते हुए खरीदने का लगाया गया था प्रशासन पर आरोप
याचियों का कहना था कि उन्होंने आवासीय प्लॉट खरीदे थे, जो गैर-कृषि भूमि के तौर पर रिकॉर्ड में दर्ज थे. उनकी जमीनों को कृषि भूमि दर्शाते हुए बैनामा ले लिया गया. याचियों का कहना था कि भूमि के बदले में जो धनराशि दी गई है, वह कृषि भूमि के दर के अनुसार दी गई है. जबकि जमीनों से लगी हुई दूसरी जमीनों का भुगतान आवासीय प्लॉट के दर के अनुसार किया गया.

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हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज की याचिका
याचिका पर जवाब देते हुए सरकार व स्थानीय प्रशासन का कहना था कि याचियों की जमीनें पहले चरण में ली गईं. जब जमीनें ली गईं तब वहां कोई भी गैर-कृषि कार्य नहीं हो रहा था. जबकि दूसरे चरण में ली गई जमीनों में निर्माण था. कोर्ट में बहस के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने भी स्वीकार किया कि याचियों की जमीनों पर कोई निर्माण नहीं था. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यदि याचियों का बैनामे को लेकर कोई विवाद है तो वे सिविल मुकदमा दायर कर सकते हैं. लेकिन वर्तमान याचिका में उन्हें कोई राहत नहीं दी जा सकती.

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