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सपा के लाल बिहारी यादव की याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज - न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला

सपा के लाल बिहारी यादव ( Lal Bihari Yadav) की याचिका हाईकोर्ट (High Court ) ने खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष का पद याची का अधिकार नहीं है.

नेता प्रतिपक्ष का पद याची का अधिकार नहीं
नेता प्रतिपक्ष का पद याची का अधिकार नहीं
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Published : Oct 21, 2022, 10:36 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने सपा नेता व विधान परिषद सदस्य लाल बिहारी यादव ( Lal Bihari Yadav) द्वारा दाखिल उस याचिका को खारिज कर दिया है. जिसमें विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष पद की उनकी मान्यता समाप्त करने के फैसले को चुनौती दी गई थी. न्यायालय ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष का पद याची का अधिकार नहीं है. क्योंकि सम्बंधित कानून ऐसे किसी पद को मान्यता देने का प्रावधान नहीं करते.


यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला (Justice Om Prakash Shukla) की खंडपीठ ने पारित किया. याचिका में कहा गया था कि याची विधान मंडल के उच्च सदन का वर्ष 2020 से निर्वाचित सदस्य है. इसी वर्ष 27 मई को उसे विधान परिषद का नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था. लेकिन 7 जुलाई को प्रमुख सचिव, विधान परिषद ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए. नेता प्रतिपक्ष के तौर पर याची की मान्यता समाप्त कर दी. उक्त नोटिफिकेशन में कहा गया कि उच्च सदन में सपा सदस्यों की संख्या मात्र 9 रह गई है. जबकि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता के लिए न्यूनतम 10 सदस्यों की आवश्यकता होती है. याची की ओर से इस आदेश को मनमानापूर्ण बताते हुए, इसे रद् करने की मांग की गई थी.


न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि न तो इस पद को मान्यता देने का प्रावधान है और न ही विधान परिषद अध्यक्ष ऐसे किसी मानदंड से बंधे हैं. इसके तहत सबसे बड़े विपक्षी दल से नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया जाए. यह निर्णय पूरी तरह उनके विवेक पर निर्भर करता है.

यह भी पढ़ें-गोमती नदी के किनारे टीलेश्वर महादेव मंदिर विवाद की निगरानी याचिका पर बहस पूरी

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने सपा नेता व विधान परिषद सदस्य लाल बिहारी यादव ( Lal Bihari Yadav) द्वारा दाखिल उस याचिका को खारिज कर दिया है. जिसमें विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष पद की उनकी मान्यता समाप्त करने के फैसले को चुनौती दी गई थी. न्यायालय ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष का पद याची का अधिकार नहीं है. क्योंकि सम्बंधित कानून ऐसे किसी पद को मान्यता देने का प्रावधान नहीं करते.


यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला (Justice Om Prakash Shukla) की खंडपीठ ने पारित किया. याचिका में कहा गया था कि याची विधान मंडल के उच्च सदन का वर्ष 2020 से निर्वाचित सदस्य है. इसी वर्ष 27 मई को उसे विधान परिषद का नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था. लेकिन 7 जुलाई को प्रमुख सचिव, विधान परिषद ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए. नेता प्रतिपक्ष के तौर पर याची की मान्यता समाप्त कर दी. उक्त नोटिफिकेशन में कहा गया कि उच्च सदन में सपा सदस्यों की संख्या मात्र 9 रह गई है. जबकि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता के लिए न्यूनतम 10 सदस्यों की आवश्यकता होती है. याची की ओर से इस आदेश को मनमानापूर्ण बताते हुए, इसे रद् करने की मांग की गई थी.


न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि न तो इस पद को मान्यता देने का प्रावधान है और न ही विधान परिषद अध्यक्ष ऐसे किसी मानदंड से बंधे हैं. इसके तहत सबसे बड़े विपक्षी दल से नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया जाए. यह निर्णय पूरी तरह उनके विवेक पर निर्भर करता है.

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