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महामारी काल में सिविल मुकदमे के जल्द निस्तारण का नहीं दे सकते निर्देश- हाईकोर्ट

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक सिविल मुकदमे के जल्द निस्तारण की याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि महामारी काल में सिविल मुकदमे के जल्द निस्तारण का निर्देश नहीं दे सकते हैं.

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Published : May 27, 2021, 5:08 PM IST

हाईकोर्ट
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लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक सिविल मुकदमे के जल्द निस्तारण की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न प्रभावों को देखते हुए, जल्द निस्तारण का आदेश नहीं पारित किया जा सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति रविनाथ तिलहरी की एकल सदस्यीय पीठ ने प्रेमचन्द्र की याचिका पर पारित किया.

कोर्ट ने याचिका खारिज की

दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत दाखिल उक्त याचिका में कहा गया था कि याची ने सिविल जज, सीनियर डिवीजन, बाराबंकी के समक्ष इसी वर्ष एक नियमित वाद दाखिल किया है. न्यायहित में उक्त वाद के जल्द निस्तारण का आदेश सिविल जज को दिया जाए. न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि याची ने 22 फरवरी 2021 को वाद दाखिल किया है. 22 फरवरी, 12 मार्च व 26 मार्च को याची के वाद पर निचली अदालत में सुनवाई हुई है व इसके बाद भी तो तारीखें लगाई गई हैं. न्यायालय ने कहा कि हमारे लिए वर्तमान महामारी के कारण उत्पन्न हुई परिस्थिति को देखना जरूरी है. तथा यह भी गौर करने लायक है कि याची ने इसी वर्ष वाद दाखिल किया है. ऐसे में त्वरित निस्तारण का आदेश नहीं पारित किया जा सकता है. न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ याचिका को खारिज कर दिया.

इसे भी पढे़ं- 'फौजदार' ने डांस से उड़ा दी धूल, कोरोना कर्फ्यू को गए भूल

हालांकि न्यायालय ने याची को यह राहत दी है कि यदि याची अस्थाई निषेधाज्ञा के प्रार्थना पत्र के त्वरित निस्तारण के लिए निचली अदालत से मांग करता है तो उस पर यथासम्भव शीघ्र सुनवाई कर निस्तारित किया जाए.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक सिविल मुकदमे के जल्द निस्तारण की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न प्रभावों को देखते हुए, जल्द निस्तारण का आदेश नहीं पारित किया जा सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति रविनाथ तिलहरी की एकल सदस्यीय पीठ ने प्रेमचन्द्र की याचिका पर पारित किया.

कोर्ट ने याचिका खारिज की

दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत दाखिल उक्त याचिका में कहा गया था कि याची ने सिविल जज, सीनियर डिवीजन, बाराबंकी के समक्ष इसी वर्ष एक नियमित वाद दाखिल किया है. न्यायहित में उक्त वाद के जल्द निस्तारण का आदेश सिविल जज को दिया जाए. न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि याची ने 22 फरवरी 2021 को वाद दाखिल किया है. 22 फरवरी, 12 मार्च व 26 मार्च को याची के वाद पर निचली अदालत में सुनवाई हुई है व इसके बाद भी तो तारीखें लगाई गई हैं. न्यायालय ने कहा कि हमारे लिए वर्तमान महामारी के कारण उत्पन्न हुई परिस्थिति को देखना जरूरी है. तथा यह भी गौर करने लायक है कि याची ने इसी वर्ष वाद दाखिल किया है. ऐसे में त्वरित निस्तारण का आदेश नहीं पारित किया जा सकता है. न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ याचिका को खारिज कर दिया.

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हालांकि न्यायालय ने याची को यह राहत दी है कि यदि याची अस्थाई निषेधाज्ञा के प्रार्थना पत्र के त्वरित निस्तारण के लिए निचली अदालत से मांग करता है तो उस पर यथासम्भव शीघ्र सुनवाई कर निस्तारित किया जाए.

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