लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. न्यायालय ने कहा कि किसी मामले में जब विकास प्राधिकरण कार्यवाही शुरू कर चुका है और जिसके खिलाफ कार्यवाही हो रही है, उससे इतर तीसरे व्यक्ति द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई सम्भव नहीं है.
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने लखनऊ निवासी लक्ष्मीकांत सिंह की जनहित याचिका पर दिया है. याची का कहना था कि शहर के कंचना बिहारी मार्ग पर मेट्रो हॉस्पिटल के समीप एक पांच मंजिला अपार्टमेंट का निर्माण कार्य चल रहा है. उक्त निर्माण लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा संस्तुत नक्शे के बिना किया जा रहा है, लिहाजा उक्त निर्माण अवैध है. याची का यह भी कहना था कि एलडीए ने इस मामले का संज्ञान भी लिया और उक्त निर्माण स्थल को सील भी कर चुकी है.
एलडीए के उक्त कार्रवाई के बावजूद अपार्टमेंट का निर्माण कार्य पुनः शुरू कर दिया गया, जिस पर एक एफआईआर भी दर्ज कराई गई है. याची का कहना था कि ये सभी कार्यवाहियां कागजी साबित हो रही हैं, क्योंकि इन कार्यवाहियों के बावजूद निर्माण कार्य धड़ल्ले से चल रहा है. याचिका का सरकारी वकील द्वारा विरोध किया गया. दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पारित अपने आदेश में न्यायलय ने कहा कि यह पहले भी तय किया जा चुका है कि जब एक मामला विकास प्राधिकरण और किसी व्यक्ति के बीच चल रहा है तो उस मामले में किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दाखिल याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता.
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